इंदौर में 5 हजार ई रिक्शा रजिस्टर्ड
इंदौर। आसान लोक परिवहन (Public Transport) और रोजगार (employment) को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए ई-रिक्शा (E-rickshaws) अब शहर के यातायात के लिए तो मुसीबत बने ही है, पुलिस और प्रशासन (Police and administration) के लिए भी गले की हड्डी साबित हो रहे हैं। मुख्य सडक़ों पर यातायात का कबाड़ा कर रहे ई-रिक्शा के लिए न तो रूट तय हो पा रहे हैं और न ही स्टॉप। भोपाल में पिछले सप्ताह हुई सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक में ई-रिक्शा पर फैसला हो गया है। भोपाल की मुख्य सडक़ों से ई-रिक्शा हटकर कॉलोनी और गलियों में पहुंच रहे हैं, लेकिन इंदौर के लिए कब ऐसा फैसला होगा, इसका इंतजार करना होगा।
पांच साल में बढ़ा आंकड़ा
इंदौर की सडक़ों पर बीते कुछ समय में लगातार ई-रिक्शा की संख्या बढ़ी है। परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक शहर में करीब 5 हजार ई-रिक्शा रजिस्टर्ड है, जो बिना रूट प्लान के शहर में कहीं भी चल रहे हैं। ये आंकड़ें बीते पांच साल के हैं। इनके लिए अब सडक़ सुरक्षा समिति की बैठक मे गंभीरता से बात होना जरूरी है।
सबसे ज्यादा इन सडक़ों पर परेशानी
यूं तो पूरे शहर में ई-रिक्शा का जाल फैला है, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी राजबाड़ा, जवाहर मार्ग, परदेशीपुरा जैसे इलाकों में हैं। ई-रिक्शा का नया स्टैंड कृष्णपुरा छत्री में बन गया है, जहां दिनभर बड़ी संख्या मे ई-रिक्शा खड़ी होती हैं और ट्रैफिक का कबाड़ा होता है। यही हाल पुराने एमजी रोड थाने और कलेक्टोरेट से लेकर अन्नपूर्णा महूनाका तक है। शहर के कई इलाके खासकर मध्य क्षेत्र ई-रिक्शा के अस्थायी स्टैंड बन गए हैं और इस मामले में निगम, पुलिस और प्रशासन के अफसर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
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