इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

सम्पूर्ण निगम क्षेत्र टीडीआर के लिए रिसिविंग एरिया घोषित

नगर तथा ग्राम निवेश ने निगम सीमा में आने वाली सभी जमीनों के खसरों को किया शामिल, 281 वर्ग किलोमीटर का एरिया निर्धारित कर 15 दिन में बुलवाए दावे-आपत्तियां और सुझाव

इंदौर, राजेश ज्वेल। लम्बे समय से ठप पड़ी टीडीआर पॉलिसी (TDR Policy) में रिसिविंग झोन तय करने की प्रक्रिया अब शासन स्तर पर फिर से शुरू की गई है। नगर तथा ग्राम निवेश ने कल ही रिसिविंग झोन (Receiving Zone) के संबंध में अधिसूचना जारी की है, जिसमें इंदौर नगर निगम में शामिल सभी गांवों और उनमें आने वाले खसरों को सम्मिलित किया है। कुल 281 वर्ग किलोमीटर का एरिया, जो कि लगभग 70 हजार एकड़ होता है, यह सम्पूर्ण क्षेत्रफल रिसिविंग एरिया के रूप में मान्य किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि जो टीडीआर सर्टिफिकेट हैंउनका इस्तेमाल सम्पूर्ण निगम क्षेत्र में किया जा सकेगा। 15 दिन इस अधिसूचना के प्रकाशन के बाद दावे-आपत्ति, सुझाव संचालक द्वारा आमंत्रित किए गए हैं, ताकि टीडीआर पॉलिसी को अंतिम रूप दिया जा सके। हालांकि इसके पहले मास्टर प्लान, भूमि विकास नियम सहित अन्य के प्रावधानों में आवश्यक संशोधन भी करना पड़ेंगे। अग्रिबाण ने ही इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव शासन को सौंप रखे हैं।


शासन ने ट$ीडीआर पॉलिसी तो घोषित कर दी, मगर रिसिविंग झोन तय करने की प्रक्रियाबीते कई समय से ठप पड़ी रही। विधानसभा चुनाव के चलते भी नगर तथा ग्राम निवेश इस पर निर्णय नहीं ले पाया। हालांकि उसके पूर्व भी नगर तथा ग्राम निवेश ने रिसिविंग झोन की प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके लिए एक सुरक्षित पोर्टल भी तैयार किया गया, ताकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन रहे। दरअसल नगर निगम ने ही इंदौर में सडक़ चौड़ीकरण या अन्य प्रोजेक्टों के लिए निजी मकानों-दुकानों को तोड़ा है और नकद मुआवजा देने के बदले टीडीआर सर्टिफिकेट जारी किए हैं। उदाहरण के लिए जब बीआरटीएस कॉरिडोर एबी रोड पर निर्मित किया गया, तब भी सडक़ चौड़ी करने के लिए निजी जमीनें अधिगृहीत की गईं और बदले में टीडीआर सर्टिफिकेट सौंपे। अकेले बीटीआरटीएस कॉरिडोर में ही 700 करोड़ रुपए से अधिक की निजी जमीनें बिना कोई मुआवजा दिए सिर्फ टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए हासिल की गईं। इसी तरह की प्रक्रियामध्य क्षेत्र में चौड़ी की गई सडक़ों के मामले में भी अपनाई गई। लेकिन बीते कई वर्षों से जमीन मालिकों के पास सर्टिफिकेट के नाम पर सिर्फ कागज का टुकड़ा ही रहा, क्योंकि रिसिविंग झोन ही तय नहीं हो सके थे।अब आयुक्त सहसंचालक नगर तथा ग्राम निवेश श्रीकांत बनोठ ने कल रिसिविंग झोन के संबंध में अधिसूचना जारी की है, जिसमें मध्यप्रदेश हस्तांतरणीय विकास अधिकार अधिनियम-2018 के तहत सम्पूर्ण इंदौर नगर निगम क्षेत्र को रिसिविंग झोन में शामिल किया गया है। इस सीमा के अंतर्गतआने वाले सभी गांवों के खसरे भी लिए गए और 281 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्रफल तय किया गया, जो कि 70 हजार एकड़ होता है। अभी 15 दिन में इस पर आपत्ति-सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। उसके बाद गजट नोटिफिकेशन करते हुए यह रिसिविंग एरिया टीडीआर सर्टिफिकेट के लिए तय कर दिया जाएगा।

टीडीआर के साथ मेट्रो के लिए टीओडी पॉलिसी भी पड़ी है लम्बित
एक तरफ टीडीआर पॉलिसी घोषित करने के बाद उसका रिसिविंग एरिया तय नहीं हो सका तो दूसरी तरफ ट्रांसफ र ऑफ डेवलपमेंट राइट (टीडीआर) के साथ टीओडी पॉलिसी को भी अमल में लाया जाना है। अभी इंदौर-भोपाल में मेट्रो प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें इंदौर में पहले चरण में 32 किलोमीटर एलिवेटेड और अंडरग्राउंड ट्रैक तैयार किया जा रहा है। इसके लिए टीओडी पॉलिसी भी अमल में लाई जाना है।

79 निवेश क्षेत्र के गांवों को शामिल करना भी जरूरी
आगामी मास्टर प्लान 2041 में जो 79 गांव निवेश क्षेत्र में शामिल किए गए हैं, उसे भी रिसिविंग एरिया में सम्मिलित करना जरूरी है। इंदौर क्रेडाई के अध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव का भी मानना है कि अभी अधिकांश प्रोजेक्ट निगम सीमा से बाहर ही आ रहे है, जिनमें दो मंजिला इमारतों से लेकर टाउनशिप और अन्य व्यावसायिक प्रोजेक्ट शामिल है, जिसके चलते रिसिविंग एरिया संपूर्ण निवेश क्षेत्र पर घोषित किया जाना चाहिए।

एमओएस, ग्राउंड कवरेज और पार्किंग नियमों में संशोधन भी जरूरी
अग्रिबाण ने पूर्व में भी टीडीआर पॉलिसी को अंतिम रूप देने के साथ कुछ प्रमुख नियमों में बदलाव के सुझाव भी दिए है ताकि रिसिविंग ऐरिया में टीडीआर सर्टिफिकेट का बखूबी इस्तेमाल हो सके, जिसमें ग्राउंड कवरेज 50 फीसदी और फिक्स एमओएस के साथ मैकेनाइज्ड पार्किंग की अनुमति जरूरी है, वरना अतिरिक्त एफएआर के लिए कोई भी टीडीआर सर्टिफिकेट नहीं खरीदेगा, क्योंकि अभी दो एफएआर का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं हो पाता है।

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