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PM मोदी की अपील का भी नहीं हुआ असर, 567 आईएएस ने छिपाई अपनी अचल संपत्ति

नई दिल्ली। देश में 567 आईएएस अधिकारी (567 IAS officers) ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी अचल संपत्ति छिपा ली। इन अधिकारियों ने अचल संपत्ति रिटर्न ‘आईपीआर’ (Immovable Property Return ‘IPR’) भरने से गुरेज किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 2017 में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों से आईपीआर दाखिल करने की अपील की थी। इसका भी लोक सेवकों पर कोई असर नहीं हुआ। उसके बाद विजिलेंस कार्रवाई (fear of vigilance action) का भय दिखाया गया। लेकिन यह तरीका भी बेअसर रहा। खास बात है कि 32 आईएएस तो ऐसे हैं, जिन्होंने तीन साल से अधिक समय की आईपीआर दाखिल नहीं की है।

विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारी हर साल अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं। यह प्रणाली में गहरी खराबी की ओर इशारा करती है। इसका यह भी अर्थ है कि लोक सेवकों के लिए ‘विजिलेंस क्लीयरेंस से मना करना’ अब एक प्रभावी निवारक के रूप में काम नहीं कर रहा है।


आईपीआर दाखिल करने के लिए ‘ऑनलाइन प्लेटफार्म’
विभाग से संबंधित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन सुशील कुमार मोदी द्वारा पिछले दिनों संसद में पेश की गई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। इस कमेटी में लोकसभा व राज्यसभा के 31 सदस्य शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 567 आईएएस अधिकारियों ने 2018 से 2021 के दौरान आईपीआर जमा नहीं कराई। इस रिपोर्ट को हर साल 31 जनवरी तक जमा कराना जरूरी है। केंद्र सरकार ने कई वर्ष पहले ‘आईपीआर’ दाखिल करने के लिए ‘ऑनलाइन प्लेटफार्म’ तैयार कर दिया था।

सीधी भर्ती वाले आईएएस भी आईपीआर भरने से बच रहे
रिपोर्ट के अनुसार, 2018 में 135 आईएएस ने आईपीआर जमा नहीं कराई। 2019 में ऐसे अधिकारियों की संख्या 128, 2020 में 146 आईएएस और 2021 में 158 आईएएस ने आईपीआर फाइल करने से पूरी तरह गुरेज किया। खास बात ये है कि सीधी भर्ती से आईएएस में आए अधिकारी भी आईपीआर भरने से बच रहे हैं। दो साल से अधिक समय तक आईपीआर नहीं दाखिल करने वाले अफसरों की संख्या 64 रही है। तीन साल से जिन आईएएस ने आईपीआर नहीं भरी, उनकी संख्या 44 है। तीन साल से ज्यादा समय तक आईपीआर भरने से बचने वाले लोकसेवकों की संख्या 32 है।

डीओपीटी ने दिया रटा रटाया जवाब
संसदीय स्थायी समिति ने जब इसे लेकर डीओपीटी से जवाब मांगा तो रटा रटाया जवाब दे दिया गया। उसमें नियमों का हवाला दिया गया था। ये नहीं बताया गया कि आईएएस, अपनी अचल संपत्ति को क्यों छिपाना चाहते हैं। संसदीय समिति ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को सिफारिश की है कि सतर्कता मंजूरी से इनकार करने के अलावा अन्य कड़े उपायों को सूचीबद्ध किया जाए। इन उपायों को उन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाए, जो निर्धारित समय सीमा के भीतर वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं। डीओपीटी ने अपने उत्तर में कहा, अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम, 1968 के नियम 16(2) के अनुसार, प्रत्येक लोकसेवक के लिए अचल संपत्ति के संबंध में पूर्ण विवरण देना अनिवार्य है। लोक सेवक को विरासत में संपत्ति मिली है, उसके स्वामित्व में है, उसके द्वारा अर्जित की गई है, पट्टे पर है, गिरवी रखी गई है, उसके नाम पर है, परिवार के किसी सदस्य के नाम पर है या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर है, इसका विवरण देना आवश्यक है।

डीओपीटी ने कई बार जारी किए हैं निर्देश
डीओपीटी ने आईपीआर को ऑनलाइन दाखिल करने की सुविधा 01/04/2015 से शुरू की थी। 01/01/2017 को स्थापना अधिकारी एवं अपर सचिव ने डीओ पत्र दिनांक 22/12/2017 को सभी संवर्गों के मुख्य सचिवों को संबोधित करते हुए अपने अधिकार क्षेत्र से संबंधित सभी आईएएस अधिकारियों को समय पर आईपीआर ऑनलाइन दाखिल करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का अनुरोध किया था। इसके बाद, सचिव (पी) ने डीओ पत्र दिनांक 4/12/2018, 21/11/2019 और ईओ और एएस ने पत्र दिनांक 6/01/2021 के माध्यम से सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए हैं कि आईएएस अधिकारी निर्धारित समय के अनुसार आईपीआर मॉड्यूल में अपने आईपीआर ऑनलाइन जमा करें।

विजिलेंस क्लीयरेंस का भय नहीं रहा
केंद्र सरकार ने आईएएस अधिकारियों के लिए (ए) प्रस्ताव सूची में शामिल करने के उद्देश्य से सतर्कता मंजूरी लेना अनिवार्य किया है। (बी) पैनल में या (सी) में कोई भी प्रतिनियुक्ति, जिसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है, उस वक्त संबंधित अधिकारी की विजिलेंस क्लीयरेंस देखी जाती है। यदि कोई अधिकारी पिछले वर्ष की अपनी वार्षिक अचल संपत्ति रिटर्न अगले वर्ष की 31 जनवरी तक जमा करने में विफल रहता है, तो उसे सतर्कता मंजूरी से वंचित कर दिया जाएगा। वर्ष 2020 के लिए आईपीआर दाखिल नहीं करने वाले त्रुटिपूर्ण आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई के संबंध में, एआईएस (आचरण) नियम, 1968 के नियम 16 (2) के तहत कार्रवाई करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों को दोषी अधिकारियों की सूची अग्रेषित की गई थी। संबंधित वेतन नियमों में संशोधन के माध्यम से संबंधित एआईएस के अगले उच्च ग्रेड में पदोन्नति प्रदान करने के लिए भी आईपीआर समय पर जमा करना एक अनिवार्य शर्त है।

समिति ने की सख्त टिप्पणी
समिति की ओर से कहा गया कि इस तथ्य पर समिति के सदस्य अपनी चिंता व्यक्त करते हैं। बड़ी संख्या में आईएएस अधिकारी हर साल अचल संपत्ति रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं। वास्तव में, समिति को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 32 आईएएस अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने लगातार तीन वर्षों से अधिक समय से आईपीआर दाखिल नहीं किया है। तथ्य यह है कि आईएएस अधिकारी वर्षों से आईपीआर दाखिल नहीं कर रहे हैं। इसका यह भी अर्थ है कि ‘सतर्कता मंजूरी से इनकार’ करने का जो डर दिखाया गया था, अब वह एक प्रभावी निवारक के रूप में काम नहीं कर रहा है।

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