रीवा । माउंटेनमैन के नाम से मशहूर बिहार के दशरथ मांझी की ही तर्ज पर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा जिले (Rewa district) के ‘ट्रीमैन’ शिवप्रसाद साकेत (‘Treeman’ Shivprasad Saket) ने भी अपनी जिद से कमाल कर दिया है। मांझी ने जिस तरह से अपनी मेहनत और जज्बे से अकेले ही पहाड़ तोड़कर रास्ता बना दिया था वैसे ही शिवप्रसाद ने सूखी बंजर पड़ी सरकारी जमीन में बिना किसी सरकारी मदद के हजारों पेड़ लगाकर हरा-भरा जंगल (green forest) खड़ा कर दिया। रीवा स्थित सेमरिया के कुशवार गाँव के रहने वाले शिवप्रसाद साकेत के इस काम की इलाके में काफी चर्चा है।
शिवप्रसाद के द्वारा बसाए गए इस जंगल में सैकड़ों किस्म के पेड़-पौधे हैं और पशु-पक्षियों का घर बना हुआ है। शिवप्रसाद साकेत ने ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए पेड़ लगाने की शुरुआत की थी। साल 2013 में इसकी शुरुआत करते हुए उन्होंने पहली बार ही 1011 वृक्ष लगाकर हर माह वृक्षारोपण करने का संकल्प लिया। वह अपने लगाए पौधों में सिंचाई के लिए बाल्टी में भरकर पानी लाते थे और पौधों में डालते थे। इस इस बंजर जमीन में तकरीबन तीन हजार से अधिक पेड़ हो चुके हैं। उनका कहना है कि गाँव के लोगों को आक्सीजन की कमी न हो और साथ ही अच्छा वातावरण मिल सके, इसके लिए उन्होंने यह शुरुआत की थी।
डिब्बों में पानी लाकर करते हैं सिंचाई
इन वृक्षों को लगाने में शिवप्रसाद को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 2013 में सैकड़ों लोगों ने इन पेड़ों को उजाड़ने की कोशिश की, उनके साथ मारपीट की, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। शिवप्रसाद लगातार अपनी पत्नी के साथ मिलाकर इन पेड़ों की देखरेख कर रहे हैं। इलाके में पानी की भी काफी समस्या है। गर्मी के दिनों में वो डिब्बों में दूर से पानी लेकर आते हैं और पेड़ों में डालते है जिससे पेड़ न सूखने पाएं।
भू माफियाओं से लड़ते रहे शिव प्रसाद
साल 2013 में शुरुआत करते हुए शिवप्रसाद ने पहली बार ही 1011 पेड़ लगाए थे, जिसके बाद से वह हर महीने पेड़ लगाने की जिम्मेदारी को पूरा करते आ रहे हैं। दरअसल शिवप्रसाद की जमीन से लगी सरकारी जमीन पर शासकीय विभागों के द्वारा पौधों का रोपण किया जाता था मगर जमीन माफियाओं ने यहां भी अपना कब्जा करना शुरू कर दिया। इन भू माफियाओं से लड़ाई लड़ते हुए जंगल को बचाने के लिए शिव प्रसाद ने फिर से पेड़ लगाने का बीड़ा उठाया।