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पाकिस्तान में बकरीद पर अहमदी समुदाय के लोगों पर जानवरों की कुर्बानी देने पर FIR दर्ज

इस्लामाबाद (Islamabad)। दुनिया भर के मुसलमान ईद के मौके पर बकरीद मना रहे हैं, तो वहीं इस्लामिक देश पाकिस्तान (Islamabad) के पंजाब जिले (Punjab District) में अहमदियों के अल्पसंख्यक इस्लामी संप्रदाय (The Islamic Sect) के लोगों को इसकी अनुमति नहीं दी गई है। एक रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाब पुलिस ने बकरीद के इस्लामी त्योहार के दौरान अल्पसंख्यक अहमदी मुसलमानों को कुर्बानी (बलिदान) आयोजित करने और यहां तक ​​कि अपने घरों के भीतर से नमाज अदा करने से रोकने के लिए एक निर्देश जारी किया है।

जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान में ईद-उल-अजहा (बकरीद) पर जानवरों की कुर्बानी देने के लिए अहमदी समुदाय के लोगों पर कई मामले दर्ज किए गए हैं। बड़ी बात यह है कि अहमदी समुदाय के लोग खुद को इस्लाम का अनुयायी मानते हैं, जबकि कट्टरपंथी सुन्नी धर्मगुरू इसे खारिज करते हैं।

पाकिस्तानी धर्मगुरुओं ने पहले ही अहमदी समुदाय के सदस्यों को ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी देने के खिलाफ धमकी दी थी। अकेले पंजाब सूबे में अहमदी समुदाय के सदस्यों के खिलाफ कुल पांच एफआईआर दर्ज हुए हैं। ये सभी मामले पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 298-सी के तहत दर्ज की गई हैं।

पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 298-सी अहमदी समुदाय के किसी व्यक्ति द्वारा खुद को मुस्लिम कहने या अपने धर्म का प्रचार करने या प्रचार करने के लिए दंड के बारे में विस्तार से बताया गया है। इनमें से दो मामले टोबा टेक सिंह के सदर गोजरा पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए हैं, जबकि एक-एक मामला ननकाना साहिब के सदर शाहकोट पुलिस स्टेशन, फैसलाबाद के रोशनवाला पुलिस स्टेशन और लाहौर के बादामी बाग पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है। यह पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के 2022 के फैसले के बावजूद आया है, जिसमें कहा गया था कि गैर-मुसलमानों को उनके पूजा स्थल की सीमा के भीतर अपने धर्म का पालन करने से रोकना संविधान के खिलाफ है।

टोबा टेक सिंह में दर्ज दो एफआईआर में से एक में आरोप लगाया गया कि ईद के दूसरे दिन, शिकायतकर्ता और अन्य लोगों ने अहमदी समुदाय के नागरिकों को जानवरों की बलि देने की तैयारी करते देखा और उन्हें “अपराध करने” से रोकने की कोशिश की।शिकायतकर्ता ने कहा कि अहमदी समुदाय के इस कृत्य से मुसलमानों की भावनाएं आहत हुई हैं। इसमें संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और जानवर की बलि देने के लिए इस्तेमाल किए गए मांस, खाल और हथियारों को बरामद करने का भी अनुरोध किया गया। इसी थाने में एक ऐसी ही एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि ईद के दूसरे दिन दो अहमदी नागरिक जानवरों की कुर्बानी दे रहे थे।



कट्टरपंथी टीएलपी ने भी दर्ज कराया केस
ननकाना साहिब में दर्ज की गई एफआईआर, ईद-उल-अजहा के पहले दिन एक सब-इंस्पेक्टर की शिकायत पर दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे किसी का फोन आया था जिसमें कहा गया था कि गांव में अहमदी समुदाय के लोग जानवरों की बलि दे रहे हैं, जिसके बाद उसने जाकर जांच की और दावा किया कि उसने अहमदी समुदाय को जानवरों की बलि देते हुए पाया। ईद के तीसरे दिन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) कार्यकर्ता की शिकायत पर फैसलाबाद में दर्ज की गई एफआईआर में दावा किया गया कि उसने अहमदी समुदाय के एक सदस्य को जानवरों की बलि देते देखा और बाद में पुलिस हेल्पलाइन को फोन किया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जब अधिकारी आए, तो संबंधित व्यक्ति मौके से भाग गया, और उनके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।

अहमदी समुदाय ने लगाया प्रताड़ना का आरोप
लाहौर में दर्ज पांचवीं एफआईआर में कहा गया है कि उनके पड़ोस में अहमदी समुदाय के कई सदस्य जानवरों की बलि दे रहे थे। समुदाय के प्रवक्ता आमिर महमूद ने एक बयान में सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के फैसले का हवाला दिया। उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने बेबुनियाद आरोप लगाए हैं और संविधान-कानून के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है। उन्होंने अहमदी समुदाय के खिलाफ दर्ज मामलों को खारिज करने की मांग की। उनहोंने कहा कि अहमदी समुदाय ने इस साल की ईद-उल-अजहा को डर में बिताया है।

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