कोरोना के पहले और दूसरे दौर में जिस तरह लोगों की जानें गईं उससे हर खास-ओ-आम अपनी सेहत को लेके संजीदा हुआ है। आपको याद होगा के सूबे के कई सहाफी (पत्रकार) भी कोरोना ने हमसे छीन लिए। बहरहाल, भोपाल के कई सारे पत्रकार साथी अपनी सेहत को लेके सचेत हैं। यूं भी सहाफियों की जि़ंदगी बड़ी बिखरी बिखरी हुआ करती है। न वक्त पे खाना हो पाता है और न वक्त पे आराम ही मिल पाता है। ये पेशा ही कुछ ऐसा है कि आप निकलते किस सिम्त हैं और पहुंचे किस मुकाम पे हैं। इस सब के बावजूद अब ज़्यादातर पत्रकारों को अच्छी सेहत के मायने समझ मे आने लगे हैं। उनकी कोशिश होती है कि रात कितनी ही देर से घर पहुंचें लेकिन मॉर्निंग वॉक या जॉगिंग वगेरह ज़रूर कर लें। इस कड़ी में पत्रकार वैभव श्रीधर रोज़ 7 किलोमीटर पैदल चलते हैं। ये शिवाजी नगर के अपने घर से लिंक रोड होते हुए झरनेश्वर मंदिर से ठंडी सड़क से चिनार पार्क से ऑक्सीजन का भरपूर डोज़ लेके घर निकल जाते हैं। सीनियर पत्रकार मृगेंद्र सिंह साब भी अपने घर से चिनार पार्क आते हैं और पार्क के कई चक्कर लगाते हैं। करीब 5 किलोमीटर का वाक ये रोज़ करते हैं। इसी तरह पत्रकार अनिल गुप्ता भी अपनी सेहत को लेके बहुत संजीदा हैं। ये सुरेंद्र पैलेस से पैदल चलते हुए बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के ग्राउंड के कई राउंड लगाते हैं और स्ट्रेचिंग करते हुए घर जाते हैं। कुछ पत्रकारों ने साइकिलिंग को अपना फिटनेस फंडा बनाया हुआ है। पत्रकार पुनीत पांडे साहब हर रोज़ तो नहीं लेकिन अक्सर 25 से 30 किमी की साइकिलिंग करते हैं। पत्रकार निर्मल सिंह बैस साइकिलिंग के अलावा स्वीमिंग करने का शौक रखते हैं। जिस दिन स्वीमिंग नहीं करते उस दिन 10 किमी साइकिलिंग करते हैं। निर्मल हर दिन 45 मिनट स्विमिंग करने की कोशिश करते हैं।
निर्मल कहते हैं कि जब पत्रकार श्रमजीवी है तो उसे अपनी सेहत के लिए श्रम करना ही चाहिए। पत्रकार कपिल तुलसानी भी डेली साइकिलिंग करते हैं। ये एक बार भोपाल से दिल्ली तक सायकिल से जा चुके हैं। सीनियर पत्रकार रंजन श्रीवास्तव साब वाकिंग के अलावा स्वीमिंग का भरपूर शौक रखते हैं। प्रकाश तरण पुष्कर में कई पत्रकार स्विमिंग के लिए आते हैं। कुछ यंग पत्रकार डेली दो घंटे तक जिम में वर्कआउट करते हैं। पत्रकार विकास वर्मा ने जिम जाकर गज़़ब की बॉडी बनाई है। विकास जिम में भयंकर पसीना बहाते हैं। विकास इतवार को जिम के बजाये वनविहार में आठ दस किमी साइकिलिंग करते हैं। पत्रकार फऱाज़ शेख स्कूल टाइम से जिम जाते हैं। फऱाज़ आजकल सुल्तानिया इन्फैंट्री एरिया में हर सुबह 3 किमी वॉकिंग और 2 किमी रनिंग करते हैं। नोजवान पत्रकार अब्दुल सुबूर भी जिम में रोज़ वर्कआउट करते हैं। सीनियर सहाफी रविन्द्र जैन साहब को मॉर्निंग वॉक पसंद है। जैन साब प्रोफेसर कालोनी से अपने दौलतक़दे से वन विहार तक मॉर्निंग वॉक करते हैं। इन सबके बरक्स भोपाल के एक पत्रकार ऐसे भी हैं जिनके लिए वॉकिंग शॉकिंग के कोई मायने नईं हेँगे। पत्रकार केके सक्सेना के मुताबिक- ऐसा है मियां अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सबके दाता राम। केके भाई बताते हैं कि अजगर एक मिनट में एक सांस लेता है और 110 सला जि़ंदा रेता है। भई कछुआ तीन मिनट में एक सांस लेता है और ढाई तीन सौ साल जीता हेगा। तो खां अपन तो सांसे बचाते हेँगे और टेंशन फ्री जीते हैं। चला कोई नी… अपने अपने फंडे हैं साब। आप सभी हमेशा सेहतमंद रहें सूरमा येई दुआ करता है।
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