भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

Rajdhani में पुलिस अधिकारी से आरक्षक तक को कैप सेे परहेज

  • सड़कों से थानों तक बिन कैप के देखे जा सकते हैं पुलिसकर्मी

भोपाल। पुलिस (Police) की शान उसकी वर्दी और टोपी… इसी के भरोसे तो आम लोग उन्हें कानून का रखवाला मानते हैं। फि र सिर-माथे रखी जाने वाली टोपी के तो क्या कहने… लेकिन अफ सोस भोपाल पुलिस (Police) में सिपाही से लेकर अफ सर तक टोपी पहनने से परहेज करने लगे हैं। नतीजा, वे उसे मरोड़कर कमर से लगे बेल्ट या फि र जेब में ठूंस लेते हैं। कोई बाइक के हैंडल में लटकाकर रखता है तो कोई उसमें लगे बैग में डाल देता है। थानों तक में इन्हें यहां-वहां टेबल पर पड़े देखा जा सकता है। यह अनुशासनहीनता है तो टोपी का अपमान भी। पुलिस (Police) के लिए टोपी पहनना उतना ही जरूरी है जितना पेंट-शर्ट, वर्दी पर नेम प्लेट, नंबर बैज, बेल्ट और जूते-मोजे। इनमें से कोई एक मौजूद न हो तो वर्दी पूरी नहीं मानी जाती। ट्रेनिंग में खासतौर पर इसकी जानकारी दी जाती है, महत्व समझाया जाता है। इसके बाद सेवा में आते ही उन्हें कैप पहनना अच्छा नहीं लगता।

मौसम के साथ कैप बदलने की अनुमति
राज्य सरकार (State Government) ने विगत वर्ष कोविड-(19) करोना कॉल को देखते हुए बड़ा फैसला लिया था। जिसके तहत पुलिस को मौसम और विशेष परिस्तिथियों में नीले रंग की कॉटन कैप लगाने की अनुमति दे दी थी। इसके बाद भी फील्ड से थाने तक तैनात पुलिसकर्मी कैप को नजरअंदाज करते आम तौर पर देखे जा सकते हैं।

पुलिस (Police) रेग्युलेशन की धारा का उल्लंघन
पुलिस (Police) रेग्युलेशन की धारा 64 के तहत जवान या अफ सर यूनिफ ॉर्म में हैं तो स्पोट्र्स शू नहीं पहन सकते। इसके तहत पुलिस (Police) निर्धारित वेशभूषा में ही रहेगी। वे कभी भी आंशिक या मु ती वर्दी में नहीं रहेगी। ऐसा करने पर अनुशासनहीनता माना जाएगा। साथ ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सिपाही मरते दम तक वर्दी की रक्षा करने की कसम खाते हैं।

सबकी टोपी का रंग एक डिजाइन अलग
मध्य प्रदेश पुलिस में सिपाही से लेकर अफसर तक की कैप नीले रंग की होती है। एएसआई (ASI) से लेकर डीजी तक बेरिट कैप पहनते हैं। टोपियों में मध्य प्रदेश पुलिस (Police) लिखा होता है और नीचे विभाग का मोनो होता है। वहीं आईपीएस हैं तो उनकी टोपी में आईपीएस लिखा होता है।

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