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मोहाली अटैक के पीछे गैंगस्टर-आतंकी रिंडा का हाथ? पाकिस्तान से भी जुड़ रहे तार


चंडीगढ़ः पंजाब के मोहाली में खुफिया विभाग की इमारत पर रॉकेट से दागे जाने वाले ग्रेनेड (RPG) हमले के मामले में अभी तक किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली है. सुरक्षा एजेंसियां आतंकी हमले के एंगल से भी जांच कर रही हैं. इस बीच खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इस हमले के पीछे गैंगस्टर से आतंकी बने हरविंदर सिंह रिंडा का हाथ हो सकता है. रिंडा का नाम पिछले साल लुधियाना के कोर्ट में हुए धमाके में भी आया था.

खुफिया विभाग के सूत्रों ने बताया कि इंटेलिजेंस ऑफिस पर इस हमले को लेकर पहले से कोई विशेष इनपुट नहीं था. लेकिन इसके तार सात महीने पहले कोलकाता में पंजाब के मोस्ट वांटेड गैंगस्टर और ड्रग तस्कर जयपाल सिंह भुल्लर के एनकाउंटर से जुड़े हो सकते हैं. इस घटना के बाद पुलिस को खुफिया जानकारी मिली थी कि इस एनकाउंटर में शामिल अफसर पर हमला हो सकता है.

सूत्रों के मुताबिक, कोलकाता में हुए इस एनकाउंटर के बाद रिंडा बहुत अपसेट था. पिछले एक साल में उसके सभी मॉड्यूल भी सुरक्षा बलों ने तबाह कर दिए हैं. नवां शहर और करनाल में तो उसके अड्डे कुछ ही दिन पहले बर्बाद किए गए हैं. हरविंदर सिंह रिंडा पाकिस्तान से आने वाली ड्रग्स को अपने नेटवर्क के जरिए देशभर में सप्लाई करने का काम करता रहा है. अपने अड्डे तबाह होने के बाद मुमकिन है कि उसने अपनी ताकत दिखाने के लिए ही मोहाली में खुफिया विभाग के दफ्तर पर आरपीजी से हमला कराया हो. वह ये जताना चाहता हो कि अभी उसका दबदबा खत्म नहीं हुआ है.


सूत्रों का कहना है कि रिंडा इस वक्त पाकिस्तान में है और लाहौर के जौहर टाउन में रहता है. उसके साथ वाधवा सिंह भी वहीं पर है, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता है. सूत्रों के मुताबिक, रिंडा का अपना आतंकी नेटवर्क है. ड्रग्स बेचने से उसे जो कमाई होती है, वह उससे हथियार खरीदता है और स्थानीय युवकों को नौकरी का लालच देकर गैरकानूनी काम कराता है. सूत्रों ने दावा किया कि आईएसआई के अधिकारी चाहते हैं कि रिंडा और वाधवा भारत में आरडीएक्स के जरिए कुछ बड़े धमाके करें. स्थानीय नेताओं की हत्या करके डर का माहौल बनाएं. इसके अलावा हिंदू-मुस्लिम और हिंदू-सिख के बीच तनाव फैलाने का काम करें.

बहरहाल, मोहाली में खुफिया विभाग के दफ्तर पर हमले की बात करें तो सोमवार की शाम हुए इस हमले में संभवतः RPG-22 का इस्तेमाल किया गया था. गनीमत ये रही कि आरपीजी से दागा गया ग्रेनेड फटा नहीं और किसी को चोट नहीं आई. टॉप सूत्रों के मुताबिक, नेटो नाम से फेमस ये आरपीजी रूस में बना है. इसमें एक 72.5 एमएम का प्रोजेक्टाइल होता है, जिसे महज 10 सेकंड के अंदर दागने के लिए तैयार किया जा सकता है. ये इतना शक्तिशाली होता है कि 44 मिलीमीटर तक मोटी लोहे की चादर और कंक्रीट की एक मीटर मोटी दीवार में भी छेद कर सकता है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर टैंकों पर हमले के लिए किया जाता है.

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