भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

भाजपा-कांग्रेस का खेल बिगाडऩे मोर्चे पर गोंगपा और AIMIM

  • 100 से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तो ओवैसी ने बनाई सात सदस्यीय कोर कमेटी

भोपाल। मप्र में चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक पार्टियां सक्रिय होने लगी हैं। प्रदेश में इस समय दो पार्टियों की खूब चर्चा हो रही है। एक पार्टी है गोंडवाना गणतंत्र पार्टी तो दूसरी है फायर ब्रांड नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम। जबलपुर में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ। इसमें गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तुलेश्वर सिंह मरकाम भी शामिल हुए। मध्य प्रदेश का महाकौशल इलाका गोंडवाना कहलाता है। यहां पर गोंड जनजाति के लोग बहुतायत में पाए जाते हैं। भाषा के आधार पर देखा जाए तो ये लोग गोंडी बोलते हैं। एक अनुमान के अनुसार मध्यप्रदेश में गोंड जनजाति की आबादी 50 लाख है। यह मध्य प्रदेश की आबादी का 7 प्रतिशत हिस्सा है। मूल रूप से गोंड जनजाति के लोग जबलपुर, मंडला, डिंडोरी, उमरिया, शहडोल, सतना, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, दमोह, कटनी, होशंगाबाद, बैतूल और बालाघाट जिले में रहते हैं। 1991 में गोंड जनजाति के नेता हीरा सिंह मरकाम के नेतृत्व में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की स्थापना हुई थी। 2003 तक आते-आते पार्टी मजबूत स्थिति में आ गई। उस दौरान विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के 3 विधायक चुनकर आए थे। लेकिन इसके बाद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में दरार पड़ गई और धीरे-धीरे पार्टी कमजोर हो गई। 2018 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को मात्र 1 प्रतिशत वोट ही मिला था। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के वर्तमान राष्ट्रीय प्रवक्ता राधेश्याम का कहना है कि 2003 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी मजबूत स्थिति में आ गई थी और ऐसा लग रहा था कि अब मध्य प्रदेश की सत्ता में गोंडवाना ही राज करती लेकिन इसके बाद परिसीमन हुआ और कांग्रेस ने षडयंत्रपूर्वक जिन इलाकों में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वर्चस्व था, उनकी सीटों की संख्या कम कर दी। इसके साथ ही जहां गोंडवाना मजबूत थी, उन इलाकों को दूसरी विधानसभाओं में मिला दिया। इसकी वजह से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दोबारा से चुनाव में कभी जीत नहीं पाई। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के नेताओं का आरोप है कि ऐसा नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में गोंड नेता नहीं है लेकिन दोनों ही पार्टियों के गोंड नेता आदिवासियों के हित की बजाय पार्टियों के हित में बात करते हैं। इसकी वजह से आदिवासियों के हित प्रभावित होते हैं।



15 सीटों पर ताल ठोकेगी एआईएमआईएम
प्रदेश में अपने पैर जमाने की कोशिश करते हुए फायर ब्रांड नेता असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी मध्यप्रदेश चुनाव के विधानसभा चुनावों में प्रदेश की मुख्य सियासी पार्टियां कांग्रेस और भाजपा को टक्कर देकर उनके सामने अपने कैंडिडेट उतारने का मन बना लिया है। इसी के चलते ओवैसी ने अपने हैदराबाद स्थित पार्टी मुख्यालय पर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर एक मीटिंग आयोजित की और प्रदेश में होने वाले चुनाव की सफलता को लेकर सात लोगों की एक कोर कमेटी का गठन भी किया। बता दें कि इस बार मुख्य सियासी पार्टी कांग्रेस और भाजपा के अलावा एआईएमआईएम ने भी लगभग 15 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का मन बना लिया है और इसे लेकर पिछले दिनों हैदराबाद स्थित पार्टी मुख्यालय पर पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने मध्यप्रदेश के एआईएमआईएम के बड़े पदाधिकारियों को लेकर एक मीटिंग भी आयोजित की थी। ओवैसी ने इस मीटिंग में प्रदेश में होने वाले चुनाव को जीतने को लेकर सफलता के मंत्र भी दिए, तो वहीं हार-जीत की संभावनाओं को लेकर भी पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा की। ओवैसी ने विधानसभा के चुनाव की रणनीति बनाने के लिए प्रदेश के विभिन्न जिलों से आने वाले सात लोगों की एक कोर कमेटी का गठन भी किया।

खंडवा से मिली थी प्रदेश की पहली जीत…
प्रदेश के खंडवा जिले से एआईएमआईएम जिलाध्यक्ष और मध्यप्रदेश कोर कमेटी सदस्य मोहम्मद उमर ने बताया कि असदुद्दीन ओवैसी साहब ने पार्टी की सात लोगों की एक स्टेट कोर कमेटी का गठन किया है, जिसमें निमाड़ के तीन जिलों से प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। मोहम्मद उमर ने बताया कि इस बार आने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी खंडवा, बुरहानपुर, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, भोपाल सहित लगभग 15 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने की तैयारी कर रही है, तो वहीं इन सीटों पर हार जीत के आंकलन भी लगाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि पिछले दिनों हुए नगरीय निकाय चुनाव में एआईएमआईएम पार्टी की तरफ से प्रदेश में पहली सीट खंडवा के वार्ड नंबर 14 से शकीरा बिलाल पेंटर के द्वारा जीती गई थी, जिसके बाद पूरे प्रदेश में एआई एमआईएम को कुल तीन सीटें हासिल हुई थी। खंडवा की जीत में पार्टी जिलाध्यक्ष मोहम्मद उमर का खासा योगदान था, जिसको लेकर ओवैसी साहब ने उनकी चुनावों में की गई मेहनत की तारीफ भी की थी।

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