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गूगल,माइक्रोसॉफ़्ट और अब इस दिग्गज कम्पनी का सीईओ होगा भारतीय

नई दिल्ली: गूगल (Google), माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), ट्विटर (Twitter), ए़डोब और आईबीएम (Adobe and IBM) जैसी बड़ी कंपनियों के सीईओ भारतीय (Indian) मूल के लोग हैं. अब इस लिस्ट में एक और नया नाम जुड़ने जा रहा है. दरअसल लॉजिस्टिक क्षेत्र (logistics sector) की दिग्गज कंपनी FedEx के नए सीईओ भारतीय मूल के राज सुब्रमण्यम (Raj Subramaniam) होंगे. राज सुब्रमण्यम कंपनी के पुराने सीईओ और फाउंडर फ्रेडरिक डब्लू स्मिथ की जगह लेंगे. फ्रेडरिक ने ऐलान किया है कि वह जून में सीईओ का पद छोड़ देंगे. राज सुब्रमण्यम मूल रूप से त्रिवेंद्रम से हैं और साल 1987 में आईआईटी बॉम्बे (IIT Bombay) से केमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद अमेरिका चले गए थे.

फेडएक्स के साथ साल 1991 से जुड़े हुए हैं और वह साल 2020 में कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल किए गए थे. वह कंपनी में सीओओ, एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसीडेंट (Executive Vice President), चीफ मार्केटिंग ऑफिसर आदि पदों पर भी रह चुके हैं. साल 2014 में सत्या नाडेला माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ चुने गए थे. उनके बाद सुंदर पिचई गूगल के, पराग अग्रवाल ट्विटर के, शांतनु नारायण साल 2007 से एडोब के सीईओ का पद संभाल रहे हैं. इनके अलावा भी कई भारतीय मूल के लोग विभिन्न कंपनियों (different companies) में बड़े-बड़े पदों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि ऐसी कौन सी वजह है, जिसके चलते इतनी संख्या में भारतीय मूल के लोग बड़ी बड़ी कंपनियों में टॉप पदों पर हैं. इंक डॉट कॉम ने भारतीय मूल और टेक इंडस्ट्री के दिग्गज विवेक वाधवा के हवाले से बताया कि भारतीयों के टॉप जॉब्स पर पहुंचने की तीन प्रमुख वजह हैं.


विवेक वाधवा (Vivek Wadhwa) का कहना है कि अमेरिका जैसे विकसित देशों में लोग छोटी-छोटी समस्याओं को लेकर सरकार को कोसते हैं लेकिन चूंकि भारत एक विकासशील देश है, इसलिए यहां बड़ी आबादी, भ्रष्टाचार और कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कई समस्याएं हैं, जिनसे जूझते जूझते भारतीयों में एक तरह का लचीलापन आ जाता है और वह समस्याओं के साथ जीना और उनका समाधान ढूंढना सीख जाते हैं. ऐसे में जब भारतीय मूल के लोग कंपनियों में काम करते हैं तो वहां उनका यह स्वभाव बहुत काम आता है और अन्य लोगों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करते हैं. भारत एक विशाल देश है. यहां 6 बड़े धर्म के लोग एक साथ रहते हैं. भारतीय संविधान में 22 क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल किया गया है. हर क्षेत्र की अपनी अलग बोली, वेशभूषा और खानपान है. ऐसे में हर भारतीय विविधता (Indian Variety) के साथ तालमेल बनाना सीख जाता है. जब भारतीय लोग किसी कंपनी में अलग-अलग सोच, विश्वास के लोगों के साथ काम करते हैं तो वह टीम के साथ ज्यादा बेहतर तालमेल बना पाते हैं. कॉरपोरेट दुनिया में यह गुण बेहद अहम माना जाता है.

विवेक वाधवा बताते हैं कि भारतीयों में एक विनम्रता का गुण पाया जाता है. जब भी कोई अप्रवासी किसी दूसरे देश में जाता है तो वह वहां की संस्कृति से अपरिचित होता है. उसे नई संस्कृति को अपनाने में विनम्रता का गुण बेहद मदद करता है. साथ ही नई संस्कृति, नए माहौल में आने पर व्यक्ति पुरानी चीजों को भूलकर नई चीजें सीखता है, जिससे उसका दिमाग खुलता है. यही वजह है कि भारतीय मूल के लीडर्स अपने साथ नई सोच भी कंपनी में लाते हैं, जो यकीनन कंपनी की ग्रोथ के लिए अहम होती है. ऐसा नहीं है कि ये गुण सिर्फ भारतीयों में पाए जाते हैं लेकिन भारतीयों के पास फायदा ये है कि ये सभी गुण भारतीयों में कंबाइड रूप से पाए जाते हैं, जो उन्हें नेतृत्व की भूमिका में काफी मदद करते हैं. यही वजह है कि अमेरिका में भारतीयों की कुल जनसंख्या अमेरिका की जनसंख्या की 1 फीसदी ही है लेकिन सिलिकॉन वैली में मौजूद टेक कंपनियों में भारतीयों की संख्या 6 फीसदी है.

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