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राम मंदिर के लिए 75 साल करना पड़ा इंतजारः ज्योतिरादित्य सिंधिया

नई दिल्लीः केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अयोध्या में चल रही तैयारियों और अयोध्या एयरपोर्ट को लेकर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या एयरपोर्ट का उद्घाटन करेंगे. एयरपोर्ट के लोकार्पण को लेकर केंद्रीय मंत्री सिंधिया से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘लोकार्पण पीएम मोदी द्वारा 30 दिसंबर को होने जा रहा है, ये ऐताहिसक दिन है और ये केवल अयोध्या, यूपी के लिए बल्कि पूरे देश के लिए है. भगवान श्रीराम के मंदिर की स्थापना व प्राण-प्रतिष्ठा से पूर्व अयोध्या को देश और दुनिया से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ये कदम उठाया जा रहा है.’

वहीं अयोध्या एयरपोर्ट के डिजाइन व भव्यता को लेकर केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘राम मंदिर की कलाकृति भी एयरपोर्ट पर देखने को मिलेगी. पूर्ण एयरपोर्ट मंदिर के स्वरूप में बनाया गया है. एयरपोर्ट के अंदर भगवान श्रीराम के जीवन के दृश्य अलग-अलग कला के रूप में और पेंटिंग के रूप में दर्शाए गए हैं और मुझे पूर्ण विश्वास है कि जो भी यात्री आएंगे, प्रधानमंत्री मोदी की सोच-विचारधारा थी कि भारत की संस्कृति और इतिहास की झलक हर एयरपोर्ट पर दिखनी चाहिए. चाहे वो अयोध्या हो, याहे वो पुणे हो. मुझे विश्वास है कि पीएम मोदी के इस संकल्प को देखकर लोग प्रसन्न होंगे.


निमंत्रण के सवाल पर और सीताराम येचुरी द्वारा निमंत्रण को अस्वीकार करने के मामले पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, ‘जिनके नाम में ही राम हो वही स्वयं नहीं जाना चाहे तो इससे बड़ी दुर्भाग्यपू्र्ण स्थिति क्या होगी. नहीं बुलाया तो हमको नहीं बुलाया. बुलाया तो हम नहीं जाएंगे. देश की जनता इनको सबक सिखाएगी, आप चिंता ना करें. ये देश का दिन है. ये विश्व का दिन है. भारत के शुभचिंतक भी इस दिन का इंतजार कर रहे हैं. पीएम मोदी ने करोड़ों लोगों के संकल्प को अपना सपना बनाया. 75 वर्षों का इंतजार करना पड़ा राम मंदिर संभव हो पाने के लिए. 75 वर्षों का इंतजार करना पड़ा कश्मीर से 370 हटाने के लिए.’

इसके अलावा जब उनसे अयोध्या एयरपोर्ट को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ‘एयरपोर्ट का नाम का निर्णय और पीएम व कैबिनेट द्वारा लिया जाएगा. जब भी इसपर फैसला होगा तो सूचित किया जाएगा.’ वहीं स्वामी प्रसायद मौर्य के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘देखिए जिन लोगों को भारत की आध्यात्मिक धार्मिक शक्ति, 10 से 15 हजार पुराने इतिहास और संस्कृति और धर्म के प्रति निष्ठा ना हो उनके बारे में हम जितना कम कहें, उतना अच्छा होगा. भारत की मान्यता विश्व पटल पर है. भारत एक आध्यात्मिक शक्ति के तौर पर विश्व के पटल पर उभर चुका है. भारत की अखंडता, एकता, धार्मिकता, संस्कृति की शक्ति की क्षमता पूर्ण विश्व मान चुका है और देश के अंदर ही कोई लोग भारत की संस्कृति और शक्ति पर सवाल उठाते हैं तो उनको अपना स्थान दिखाने का काम स्वयं जनता करती है.’

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