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हरतालिका तीज आज, महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर रहीं 

देश के कई हिस्सों में आज हरतालिका तीज मनाई जाएगी. हरतालिका तीज के अवसर पर सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती पूजा-अर्चना करती हैं.

हरतालिका तीज हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत करती हैं. इस दिन महिलाएं पूरे दिन कुछ नहीं खाती हैं इसलिए हरतालिका तीज का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. हरतालिका तीज से एक दिन पहले महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाता हैं. व्रत करने वाली महिला सूर्योदय से पहले जगकर स्नान, ध्यान कर सोलह श्रृंगार करती हैं. महिलाएं कथा सुनने के बाद निर्जला रहकर पूरे दिन व्रत रखती हैं.

पूजा का समय

प्रदोष काल हरतालिका पूजा का मुहूर्त शाम को 6.54 से लेकर रात 9.06 बजे तक रहेगा. जबिक हरतालिका पूजा का मुहूर्त सुबह 5.53 से 8.29 बजे तक रहेगा. साथ ही तीज के दिन स्थिर नक्षत्र व साध्य योग रहेगा.

भगवान शिव को पाने के लिए पार्वती ने किया था व्रत

हरतालिका तीज मनाने के पीछे मान्यता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने सबसे पहले हरतालिका व्रत किया था. हरतालिका दो दो शब्दों से मिलकर बना है. एक हरत और दूसरा आलिका,. इसमें हरत का अर्थ होता है अपहरण और आलिका अर्थात सहेली. इसी वजह से यह व्रत हरतालिका कहलाता है. इसकी एक पौराणिक कथा मिलती है. इसके अनुसार पार्वती की सहेलियां उनका अपहरण करके जंगल में ले गई थीं जिससे उनकी इच्छा के के विपरीत विवाह भगवान विष्णु से न हो जाए. जंगल में पार्वती ने भगवान शिव की अराधना की और भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन मिट्टी के शिवलिंग की पूजा की. उनकी तपस्या से भगवान शिव ने खुश होकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकर कर लिया. पूजा के समापन से पूर्व हरतालिका तीज की आरती जरूर करनी चाहिए।

आरती करने से पूजा पूर्ण मानी जाती हैं ऐसा कहा जाता हैं कि पूजा में जो भी कमी होती हैं वह आरती से पूरी हो जाती हैं ऐसे में आप भी तीज व्रत पूजा के बाद माता पार्वती और भगवान शिव की आरती करें। उसके बाद कर्पूरगौरं मंत्र का जाप करना चाहिए तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हरतालिका तीज की ये विशेष आरती।

माता पार्वती की आरती—

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।

ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।

जय पार्वती माता

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।

जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।

जय पार्वती माता

सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा।

देव वधु जहं गावत नृत्य कर ताथा।।

जय पार्वती माता

सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता।

हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।।

जय पार्वती माता

शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।

सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।।

जय पार्वती माता

सृष्टिल रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।

नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

जय पार्वती माता

देवन अरज करत हम चित को लाता।

गावत दे दे ताली मन में रंगराता।।

जय पार्वती माता

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।

सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।।

जय पार्वती माता

कर्पूरगौरं मंत्र—

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

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