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Haryana: खाप पंचायतों ने किया पहलवानों का समर्थन, साक्षी-बजरंग से फैसला वापस लेने की अपील

जींद (Jind)। हरियाणा (Haryana) के जींद जिले (Jind district) की सभी 24 खापों के सांझा सर्वखाप अध्यक्ष मंडल (Common Sarvkhap President’s Board of all 24 Khaps) ने पहलवानों को समर्थन (support wrestlers) देते हुए बृजभूषण सिंह के करीबी (close to Brijbhushan Singh) संजय सिंह (Sanjay Singh) के भारतीय कुश्ती संघ का अध्यक्ष (President of Indian Wrestling Association) चुने जाने पर एतराज जताया है। खापों ने कहा कि वह पहलवानों के साथ हैं और साक्षी मलिक के कुश्ती से संन्यास और बजरंग पूनिया के पद्मश्री लौटाने के फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील करते हैं।


कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश, माजरा खाप के प्रधान गुरविंद्र सिंह संधू, प्रवक्ता समुंद्र सिंह फोर, नौगामा खाप के प्रवक्ता उमेद सिंह जागलान, कंडेला खाप के प्रवक्ता जगत सिंह रेढू ने कहा कि बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक जैसे खिलाड़ी देश का गौरव हैं। साक्षी मलिक के कुश्ती छोड़ने, बजरंग पूनिया द्वारा पद्मश्री लौटाने के फैसले से खापों को भी ठेस पहुंची है और खापें उनके समर्थन में खड़ी हैं। उनकी मांग है कि फेडरेशन को ऐसे लोगों से मुक्त करवाया जाए, जिससे खिलाड़ी इस तरह के फैसले लेने को मजबूर हो रहे हैं।

खाप प्रतिनिधि दिलबाग कुंडू, सोमदत्त शर्मा, ओमप्रकाश, वीरेंद्र सिंह ने कहा कि इस तरह के फैसले से तो अखाड़े खाली हो जाएंगे। पद्मश्री खिलाड़ी बजरंग पूनिया को प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंचने दिया जा रहा और मजबूरी में वह सड़क पर अपना अवॉर्ड रखकर चले गए। खेलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए और न ही राजनीतिक लोग शामिल किए जाने चाहिए।

उम्मेद सिंह जागलान ने कहा कि सरकार ने खिलाड़ियों को आश्वासन दिया था कि फेडरेशन का अध्यक्ष बृजभूषण शरण का कोई नजदीकी नहीं बनेगा बल्कि महिला को अध्यक्ष बनाया जाएगा। सरकार ने खिलाड़ियों के साथ धोखा किया है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के मामले से नहीं कोई लेना देना
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री के मामले में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कंडेला खाप के प्रधान ओमप्रकाश कंडेला, रणधीर रेढू, जगत सिंह रेढू, कृष्ण कंडेला, रमेश, अजमेर दालमवाला, भूरा कंडेला, राजेश शाहपुर तथा पाल सिंह ने कहा कि इससे खाप व जाटों का कोई लेना देना नहीं है। जिस समय डेढ़ साल तक किसानों का दिल्ली में आंदोलन चला, उस समय जगदीप धनखड़ ने किसानों के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला। यह एक भाजपा की सोची-समझी साजिश है। देश में भाजपा जाति-पाति के नाम पर लोगों को बांटना चाहती है।

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