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कैसा है झारखंड में शिबू सोरेन का परिवार? फैमिली में ऐसा है दबदबा

रांची (Ranchi)। रांची नगर निगम के टैक्स क्लेक्टर के बयान पर दर्ज एक मामूली केस के रास्ते ईडी ने न सिर्फ जमीन घोटाले का पर्दाफाश किया। इस केस के जरिए ही पहली ईसीआईआर (ICIR) दर्ज कर ईडी ने सीएस के करीबी कोरोबारी अमित अग्रवाल को पहले गिरफ्तार किया। फिर हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के गिरेबां तक भी ईडी पहुंची।



झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नाटकीय घटनाक्रम के बाद बुधवार देर रात प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी से पहले हेमंत सोरेन अपने विधायकों और ईडी अधिकारियों के साथ राजभवन पहुंचे, जहां उन्होंने राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद सरकार में परिवहन मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन वाला पत्र राज्यपाल को सौंपते हुए सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है। हालांकि, उनकी ताशपोशी कब होगी, इसको लेकर राजभवन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गई है।

चंपई सोरेन से पहले हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का नाम भी मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे बताया जा रहा था। हालांकि, इस बीच सोरेन परिवार में आंतरिक कलह की खबरें सामने आईं और शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने कल्पना के नाम पर आपत्ति जताई, जिसके बाद चंपई सोरेन का नाम आगे बढ़ाया गया। झारखंड की राजनीति में हुए इस उठापटक के बाद एक बार फिर सोरेन परिवार चर्चा में आ गय है। आइए जानते हैं शिबू सोरेन कौन हैं? झारखंड की राजनीति में उनका क्या योगदान है? उनके परिवार में कौन-कौन राजनीति में है?

झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार का वर्चस्व हमेशा से ही रहा है और इस परिवार के मुखिया हैं झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन, जिन्हें गुरू जी कहकर भी संबोधित किया जाता है। शिबू सोरेन एक आदिवासी नेता से झारखंड के सीएम पद तक पहुंचे। उनका जन्म झारखंड के रामगढ़ में हुआ था, जो उस वक्त बिहार में आता था। शिबू सोरेन के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 में हुई, जब आदिवासी आंदोलन में उन्होंने एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया था। इस घटना में 11 लोग मारे गए थे। शिबू सोरेन ने पहली बाद 1977 में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें हार मिली। इसके बाद 1980 में वे लोक सभा चुनाव जीते। इसके बाद क्रमश: 1986, 1989, 1991, 1996 में भी चुनाव जीते। 10 अप्रैल 2002 से 2 जून 2002 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। 2004 में वे दुमका से लोकसभा के लिये चुने गये। शिबू सोरेन 2005 में झारखंड के मुख्यमंत्री बनें, हालांकि, बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। वे तीन बाद झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

परिवार में कौन-कौन
शिबू सोरेन की शादी रूपी सोरेन से हुई थी। दंपति के तीन बेटे हैं, ओर एक बेटी है। जिसमें सबसे बड़े दुर्गा सोरेन हैं। इसके बाद बेटी अंजलि सोरेन, हेमंत सोरेन और बंसत सोरेन हैं। ये तीनों बेटे राजनीति में सक्रिय रहे हैं। हालांकि, 2009 में दुर्गा सोरेन बिस्तर पर मृत अवस्था में पाए गए थे, उस समय वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक थे। दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरने भी दुमका से विधायक हैं। इसके अलावा शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के यूथ विंग के अध्यक्ष हैं।

अब हेमंत सोरेन के बारे में जानिए
हेमंत सोरेन की शादी कल्पना सोरेन से हुई है। कल्पना राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वे अपना एक प्ले स्कूल चलाती हैं। कल्पना सोरेन ने बीटेक के साथ एमबीए भी किया है। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन के दो बच्चे हैं, जिनके नाम निखिल व अंश है।

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