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हड़ताल के कारण चेक बाउंस या दूसरे वित्‍तीय नुकसान की भरपाई कैसे करता है बैंक, जानें सबकुछ

नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Government) के बैंकों के निजीकरण नीति ( Policy of Banks) के विरोध में 15 और 16 मार्च को 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल (Strike) पर हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) सहित देश के कई हजार राष्ट्रीयकृत और व्यवसायिक और ग्रामीण बैंक (Public Sector Banks) दो दिन बंद हैं। सोमवार को भी हड़ताल से देशभर में बैंकों में चेक क्लीयरेंस (Cheques Clearance) सहित अन्य बैंक सेवाओं पर असर साफ देखा गया।

हालांकि, डिजिटल बैंकिंग से जुड़ी कुछ सर्विसेज एक्टिव हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि हड़ताल के दिन बैंकों में जरूरी कामकाज के लिए क्या कोई अतिरिक्त बंदोबस्त किए जाते हैं? चेक क्लीयरेंस, ऑनलाइन सर्विस या अन्य जरूरी सेवाएं जिनका आखिरी तारीख 15 या 16 मार्च है, वे लोग हड़ताल से निपटने के लिए क्या करें? अगर आपके चेक का क्लीयरेंस होने का लास्ट डेट 15 या 16 मार्च है तो क्या वह चेक 17 मार्च या उसके बाद क्लीयर हो जाता है?


बैंकों के हड़ताल की खबर एक महीने या उससे पहले ही पब्लिक डोमेन में आ जाती है। इसके लिए बैंक की तरफ से अखबार में विज्ञापन दिया जाता है। इस विज्ञापन में लिखा रहता है कि अगर आपको बैंक संबंधित कोई भी काम अधूरा है या ट्राजेक्शन करना है तो इस तारीख से पहले करा लें। आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक इन परिस्थितियों से निपटने के लिए बैंक को पहले से ही बता दिया जाता है कि वह हड़ताल के दिन का इंतजार न करे। बैंक भी कई स्तरों से पब्लिक को बताती रहती है कि अमूक तारीख को बैंक का स्ट्राइक है इसलिए अपना ट्रांजेक्शन पहले की पूरा कर लें।

इसके बावजूद भी अगर आपका किसी कारण से या बैंक हड़ताल की वजह से चेक बाउंस हो जाता है तो आपको नए सिरे से फिर से चेक जमा करना पड़ेगा। बैंक हड़ताल की वजह से अगर आपका चेक बाउंस होता है तो आपको किसी तरह का कोई ग्रेस पीरियड नहीं मिलेगा और न ही ऐसा कोई प्रावधान है। इसी तरह टेंडर और बिड भरने में भी आपको यही तरीका अपनाना होगा।


गौरतलब है कि यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित देश के कई हजार राष्ट्रीयकृत और व्यवसायिक और ग्रामीण बैंक बंद हैं। बैंकों के हड़ताल से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। बैंकों के हड़ताल से एटीएम सेवा भी प्रभावित हो रही है। देश के कई बैंक संगठनों ने बैंकों के निजीकरण का विरोध किया है। बैंक एसोसिएशनों का मानना है कि इसमें आम जनता को भी निजीकरण के विरोध में आवाज उठाना चाहिए।

बीते आम बजट में बैंकों के निजीकरण का ऐलान हुआ था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। केंद्र सरकार के निजीकरण कार्यक्रम के तहत इसकी घोषणा हुई थी। मोदी सरकार पहले भी आईडीबीआई बैंक का निजीकरण कर चुकी है। आईडीबीआई बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी बीमा क्षेत्र की कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच दी गई। मोदी सरकार पिछले 4 सालों में 14 बैंकों को आपस में विलय भी करा चुकी है।

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