इंदौर न्यूज़ (Indore News)

कचरा ही नहीं किया तो शुल्क काहे का

सिर्फ अस्पतालों ने भरा कचरा प्रबंधन शुल्क, धर्मशाला, मैरिज गार्डन, स्कूल-कॉलेज ने हाथ ऊंचे किए
इन्दौर। कोरोना काल (corona period)  के दौरान शहर के उद्योगों (industries) की हालत खस्ता ( condition crisp) होने के साथ-साथ इसका असर सभी के व्यापार (business) पर पड़ा है, जिसका असर अब तक दिखाई दे रहा है। कचरा प्रबंधन शुल्क (waste management fee)  की राशि पिछले दो वर्षों में अस्पताल वालों के अलावा किसी ने नहीं चुकाई है। धर्मशाला, मैरिज गार्डन  (marriage garden), स्कूल-कॉलेज (school-college) प्रबंधन ने फिलहाल हाथ ऊंचे कर दिए है। इन्दौर में 5 लाख लोगों पर कचरा प्रबंधन शुल्क का 60 करोड़ रुपया बाकी है।
पिछले दो वर्षों के दौरान कोरोना काल के चलते नगर निगम (municipal Corporation)  को सम्पत्ति कर से लेकर जलकर की राशि नहीं मिली थी और कुछ दिनों पहले कोरोना काल में बन रहे व्यावसायिक संस्थानों का तीन माह का कचरा प्रबंधन शुल्क (waste management fee) निगम द्वारा माफ कर दिया गया था, लेकिन कई व्यापारिक संगठनों का कहना था कि उनकी दुकानों पर व्यापार लगभग चौपट हो गया है और ऐसे में वे फिलहाल निगम को कचरा प्रबंधन शुल्क नहीं दे सकते। वहीं दूसरी ओर नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक कचरा प्रबंधन शुल्क (waste management fee) की राशि का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। पहले बकाया राशि 40 से 45 करोड़ के आसपास थी, लेकिन अब यह आंकड़ा 60 करोड़ के आसपास पहुंच गया है।


सात हजार से लेकर डेढ़ लाख तक का शुल्क
नगर निगम (municipal Corporation) अधिकारियों के मुताबिक कोरोना काल की अवधि में दो वर्षों के दौरान सिर्फ हास्पिटलों से ही प्रतिमाह कचरा प्रबंधन शुल्क की राशि निगम को मिलती रही और यह सिलसिला अब तक जारी है। शहर के 180 हास्पिटलों में कचरा प्रबंधन शुल्क के लिए गाडिय़ां भेजी जाती हैं। इन्हें बल्क कनेक्शन कहा जाता है और न्यूनतम 7 हजार रुपए से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक का कचरा प्रबंधन शुल्क अस्पतालों से लिया जा रहा है। कई अस्पतालों में वेस्ट कम निकलता है तो वहां उस मान से दरें तय की गई हैं।


न होटल खुले न गार्डन… स्कूलों पर भी ताले
विगत दो वर्षों के दौरान होटल, गार्डन (garden)में विवाह आयोजन लगभग नहीं हुए थे और जहां आयोजन हुए भी, वहां 50 या 100 लोगों की अनुमति ही हाल ही में मिली थी। ऐसे में कई गार्डन, होटल संचालकों का कहना है कि उनके संस्थान कई दिनों से बंद पड़े हैं, ऐसे में वहां से कचरा ही नहीं निकला तो शुल्क कैसा? शिक्षण संस्थानों से लेकर कोचिंग क्लासेस, कई मॉल्स और बड़े संस्थानों पर लाखों का कचरा प्रबंधन शुल्क निगम बकाया बता रहा है, जबकि दो वर्षों के दौरान कई बार व्यावसायिक गतिविधियां पूरी तरह ठप रहीं।

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