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इमरान ख़ान का ऐलान, ‘शिया शून्य’ होगा पाकिस्तान

पाकिस्तान में बीते शुक्रवार और शनिवार को कराची में धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने शिया विरोधी रैली निकाली. बताया जा रहा है कि शनिवार को हुई रैली में 30,000 से अधिक लोग शामिल हुए थे.

अहल-ए-सुन्नत जमात, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान जैसे संगठनों की इस रैली में प्रदर्शनकारियों ने शिया विरोधी संगठन सिपाह-ए-सहाबा के पोस्टर भी ले रखे थे.

सिपाह-ए-सहाबा पर शिया मुसलमानों की हत्या के आरोप लगते रहे हैं.

इन सुन्नी धार्मिक संगठनों का आरोप है कि मुहर्रम के बीते महीने में आशुरा के दौरान शिया नेताओं ने एक टीवी प्रसारण के दौरान बड़ी मुस्लिम शख़्सियतों के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी की थी जो ईशनिंदा है.

भारत में क्यों है चर्चा?

पाकिस्तान में शिया विरोधी प्रदर्शनों के बाद अब भारत में इसको लेकर चर्चा हो रही है. इसको लेकर कई ट्वीट और फ़ेसबुक पोस्ट में भारत के सुन्नी मुसलमानों को निशाने पर लिया जा रहा है.

वहीं, इमरान ख़ान से जुड़े एक कथित बयान को लेकर भी लोग ख़ूब सोशल मीडिया पर बहस कर रहे हैं.

सोशल मीडिया पोस्ट में एक समाचार चैनल की ख़बर के हवाले से कहा जा रहा है कि इमरान ख़ान ने कह दिया है कि पाकिस्तान ‘शिया शून्य’ होगा.

इमरान ख़ान ने क्या कहा?

आशुरा दरअसल इस्लामी मोहर्रम महीने के वो दिन हैं जिसमें शिया मुसलमान इमाम हुसैन की मौत पर ग़म मनाते हैं.

इमरान ख़ान ने अपने ट्वीट में कहा था कि इस दौरान सांप्रदायवाद भड़काने की कोशिश की गई और वो इसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करेंगे.

हालांकि, हाल में हुए शिया विरोधी प्रदर्शनों पर इमरान ख़ान या पाकिस्तान सरकार ने अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है.

पाकिस्तान में शिया मुसलमान?

20 करोड़ से अधिक आबादी वाला देश पाकिस्तान एक मुस्लिम राष्ट्र है जहां पर लगभग 95 फ़ीसदी मुसलमानों की आबादी है.

सोशल मीडिया पर यह भी दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान शिया समुदाय को मुसलमान नहीं मानता है जबकि ऐसा नहीं है.

तक़रीबन 6 फ़ीसदी से अधिक शिया मुसलमानों की आबादी को पाकिस्तान मुसलमान मानता है लेकिन वो अहमदिया समुदाय को मुसलमान नहीं मानता है बल्कि अलग धर्म मानता है.

पाकिस्तान में शिया मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा होती रही है. पाकिस्तान के ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अख़बार के अनुसार, 2001 से 2018 के बीच पाकिस्तान में सांप्रदायिक हिंसा में 4847 शिया मुसलमान मारे जा चुके हैं.

इसके अलावा ईशनिंदा क़ानून की तलवार भी हमेशा शिया मुसलमानों पर लटकी रहती है.

पाकिस्तान के मानवाधिकार समूहों का कहना है कि अगस्त महीने में ईशनिंदा के 40 मामले दर्ज हुए हैं जिनमें अधिकतर मामले उन शिया मुसलमानों पर दर्ज किए गए हैं जो धार्मिक जुलूसों में भाषण दे रहे थे.

बीबीसी हिंदी फ़ैक्ट चेक की पड़ताल में हमने पाया है कि शिया विरोधी प्रदर्शन पाकिस्तान में हुए लेकिन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने ‘शिया शून्य’ जैसी कोई टिप्पणी नहीं की थी.

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