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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में अल्पसंख्यकों की हत्या को लेकर पाकिस्‍तान को भारत ने घेरा

जिनेवा । पाकिस्तान अल्पसंख्यकों की हत्या का मैदान बन गया है। साथ ही पाकिस्तान में जो भी व्यक्ति सरकार या सेना के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे उसे सरकारी मशीनरी के द्वारा गायब कर दिया जाता है। इस तरह मतभेद और आलोचना के स्वर दबा दिए जाते हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) में यह बात भारत ने पाकिस्तान के भाषण के जवाब में कही है। भारत ने कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और लद्दाख के हिस्सों में चार में से तीन लोग बाहरी हैं। पाकिस्तान ने इन लोगों को मूलवासियों की आवाज को दबाने के लिए बसाया है। मूलवासियों की जनसंख्या का अनुपात कम करने के लिए भेजा है। वहां पर मूलवासियों के पास मानवाधिकार, राजनीतिक अधिकार और कानूनी अधिकार नहीं हैं।

पाकिस्तान सरकार जैसा चाहती है, वह बात उन पर थोप देती है। जो उसका विरोध करता है, उसे गायब कर दिया जाता है या जेल में डाल दिया जाता है। जमीन का अधिकार मानने पर बाबा जान और उनके साथियों को 40 साल के लिए जेल में डालने के मामले को भूला नहीं जा सकता। अल्पसंख्यक ही नहीं अहमदिया और शिया मुसलमान भी पाकिस्तान में उत्पीड़न के शिकार हैं। उन्हें बराबरी का दर्जा हासिल नहीं है। धार्मिक असहिष्णुता के चलते उनकी हत्याएं होती हैं।

भारतीय राजनयिक पवन बाधे ने कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में चल रहे आतंकी ट्रेनिंग कैंप और लांचिंग पैड जगजाहिर हैं। यहां से प्रशिक्षित आतंकियों को भारत में हिंसा फैलाने के लिए भेजा जाता है। दुनिया जब कोविड महामारी से जूझ रही थी, तब पाकिस्तान ने मौके का गलत फायदा उठाते हुए चार हजार कुख्यात आतंकियों के नाम आतंकी सूची से हटा दिए। अब ये पाकिस्तान में आराम से अपनी गतिविधियां चलाने के लिए स्वतंत्र हैं।

यूएनएचआरसी के सत्र में यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी के प्रवक्ता नासिर अजीज खान का कहना था कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान इलाके में प्राकृतिक संसाधनों का अपने हित में इस्तेमाल कर रहा है। वह वहां पर चीन के साथ मिलकर अवैध रूप से बांध का निर्माण कर रहा है। झेलम नदी पर बन रहे इस बांध में स्थानीय लोगों की कोई भागीदारी नहीं है और न ही उस बाबत लोगों की राय ली गई है।

यूएनएचआरसी के 45 वें सत्र में यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी के प्रमुख सरदार शौकत अली कश्मीरी ने ब्रिटिश कश्मीरी पत्रकार तनवीर अहमद की पाकिस्तानी एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी और उत्पीड़न का मामला उठाया। कहा कि उन्हें केवल इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में पाकिस्तानी झंडा फहराए जाने का विरोध किया था। इसके बाद तनवीर को बुरी तरह पीटा गया, गिरफ्तार कर लिया गया और जेल में डाल दिया गया।

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