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जलवायु वार्ता में बोला भारत, कार्बन उत्सर्जन के लिए सिर्फ कोयला नहीं, सभी जीवाश्म ईंधन जिम्मेदार

शर्म अल-शेख । कोयले (coal) के उपयोग को समाप्त करने की बढ़ती मांग के बीच, भारत (India) ने मिस्त्र (Egypt) में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता (COP27) में शनिवार को एक मजबूत स्टैंड लेते हुए कहा कही कि किसी एक ईंधन (fuel) को ‘खलनायक’ बनाना सही नहीं है, क्योंकि प्राकृतिक गैस और तेल भी कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) का बड़ा कारण बनते हैं. COP27 के दौरान लिए गए निर्णयों पर अध्यक्षीय परामर्श के दौरान अपना हस्तक्षेप करते हुए, भारत ने निर्णय में कुछ बिंदुओं को शामिल करने का सुझाव दिया, यह कहते हुए कि पेरिस समझौते के दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने की आवश्यकता है.

कार्यवाही और भारत के हस्तक्षेप से परिचित सूत्रों ने कहा कि नई दिल्ली ने राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाने का आग्रह किया और यह कहा कि ‘सभी जीवाश्म ईंधन ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में योगदान करते हैं.’ भारत ने अन्य देशों को भी सतत उपभोग और उत्पादन के विषय में सतत विकास लक्ष्यों 12 ((SDG 12) पर विचार करने और जलवायु के अनुकूल जीवन शैली के लिए वैश्विक जन आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया. भारतीय पक्ष ने कहा कि उत्सर्जन के स्रोतों में से किसी एक को अधिक हानिकारक बताने या ग्रीनहाउस गैसों के स्रोत होने पर भी उसे ‘ग्रीन और टिकाऊ’ स्तर का घोषित करने के लिए अभी तक हमारे पास उपलब्ध सर्वोत्तम विज्ञान में कोई आधार नहीं है.


इस बात पर गहरा खेद व्यक्त करते हुए कि देश ऊर्जा के उपयोग, आय और उत्सर्जन में भारी असमानताओं के साथ एक असमान दुनिया में रह रहे हैं, भारत ने वार्ताकारों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि वैश्विक कार्बन बजट का आकार तेजी से सिकुड़ रहा है और इसके समान बंटवारे की आवश्यकता है. भारत ने नवीनतम वैश्विक कार्बन परियोजना रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में यह बात कही, जिसमें शुक्रवार को उल्लेख किया गया था कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की 50% संभावना के लिए शेष कार्बन बजट घटकर 380 GtCO2 हो गया है (नौ साल बाद यदि उत्सर्जन 2022 के स्तर पर बना रहता है तो इसे बढ़ाया जाएगा) और 2 डिग्री C तक सीमित करने के लिए 1230 GtCO2 हो गया है. इसने 2022 में कुल 40.6 बिलियन टन (GtCO2)वैश्विक CO2 उत्सर्जन का अनुमान लगाया, जो 2019 के 40.9 GtCO2 के करीब है. यह अब तक का सबसे अधिक वार्षिक कार्बन उत्सर्जन था.

भारतीय वार्ताकारों ने मिस्र के सीओपी-27 (COP27) अध्यक्ष को बताया कि पेरिस समझौते के तहत सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों, हिस्सेदारी और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित जलवायु प्रतिबद्धताओं के बुनियादी सिद्धांत हैं. इन सिद्धांतों को इस सम्मेलन के मूल बिंदुओं से जुड़े विषय को लेकर किए गए निर्णय में दृढ़ता से जोर देने की आवश्यकता है. मूल बिंदुओं के निर्णय को लेकर वार्ता शनिवार को शुरू हुई जिसमें देशों ने प्रस्ताव दिया कि वे अंतिम सौदे में क्या शामिल करना चाहते हैं. बता दें कि पिछले साल ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन (COP26) में वार्ता कोयले के निरंतर उपयोग को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के बजाय चरणबद्ध तरीके से कम करने के समझौते के साथ समाप्त हुई थी.

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