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भारत कई स्वदेशी एडवांस हथियारों के परीक्षण को तैयार, मिसाइलों से लेकर ग्लाइड बम तक की होगी टेस्टिंग

नई दिल्ली । भारत (India) कई स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत हथियारों का परीक्षण करने के लिए तैयार हो रहा है, जिसमें हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (missile) और विकिरण रोधी (anti-radiation) मिसाइल से लेकर स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड हथियार और लंबी दूरी के ग्लाइड बम शामिल हैं. कम से कम तीन हथियारों अस्त्र-1 (100-किमी रेंज) और अस्त्र-2 (160-किमी) दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (BVRAAMs) के साथ-साथ नई पीढ़ी की विकिरण-रोधी मिसाइल (NGARM) रुद्रम-1 (मारक क्षमता 150 किलोमीटर) का परीक्षण इस महीने के लिए तय किया गया है.

अस्त्र-2 अपने कैरिज और हैंडलिंग ट्रायल के साथ-साथ “डमी ड्रॉप्स” को पूरा करने के बाद सुखोई -30 एमकेआई फाइटर से अपने ‘पहले लाइव लॉन्च’ की तैयारी में है. अस्त्र-1, पहले से ही अपने उपयोगकर्ता परीक्षणों (यूजर ट्रायल्स) के सफल समापन के बाद रक्षा पीएसयू भारत डायनेमिक्स द्वारा उत्पादन की प्रक्रिया में है. इसका परीक्षण पहली बार रूसी एजीएटी से लैस एक सुखोई जेट की बजाय एक स्वदेशी हथियार के साथ किया जाएगा. रक्षा सूत्रों ने टीओआई को यह जानकारी दी.


अस्त्र सीरीज की मिसाइलों की टेस्टिंग
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने पहले ही 250 अस्त्र-1 मिसाइलों के लिए एक शुरुआती आदेश दिया है, जो सुखोई लड़ाकू विमान के जरिए ध्वनि की गति से चार गुना अधिक तेजी से उड़ान भरती है. तेजस और मिग-29 लड़ाकू विमानों के साथ अस्त्र-1 का एकीकरण भी साथ-साथ चल रहा है. सूत्रों ने कहा कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इस साल के अंत तक अस्त्र-3 की सीमा को 350 किलोमीटर तक बढ़ाने के लिए ठोस ईंधन पर आधारित डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) प्रणोदन पर आधारित इसका पहला परीक्षण करने की भी योजना बना रहा है.

सभी मौसमों में मार करने में सक्षम है अस्त्र मिसाइल
दिन-रात सभी मौसमों में सक्षम अस्त्र मिसाइलों की सीरीज, लंबी दूरी में “हमलों से बचने के उपायों” से भरे अत्यधिक फुर्तीले सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों का पता लगाने, उसे ट्रैक करने और नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई, ये अंततः महंगे रूसी, फ्रेंच और इज़राइली BVRAAMs मिसाइलों की जगह लेंगे. वर्तमान में इस मिसाइल का इस्तेमाल भारतीय वायु सेना के जवानों तक हथियार पहुंचाने के लिए किया जाता है. इस महीने एक और मिसाइल रुद्रम-1 का भी परीक्षण होगा जिसे लड़ाकू जेट से दागे जाने के बाद 150 किलोमीटर की दूरी पर जमीन पर मौजूद दुश्मन, ​​संचार और रडार के विभिन्न लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

रुद्रम सीरीज की मिसाइलों का परीक्षण
डीआरडीओ हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल रुद्रम-2 (350 किमी रेंज) और रुद्रम-3 (550 किमी) भी विकसित कर रहा है, जिसमें अंतिम हमले के लिए निष्क्रिय होमिंग हेड के साथ INS-GPS नेविगेशन भी है. एक सूत्र ने कहा, “रुद्रम-2 का ट्रायल भी जल्द शुरू होने की उम्मीद है. रुद्रम मिसाइलों को इस तरह से डिजाइन किया है कि वह दुश्मन की वायु रक्षा (एसईएडी) प्रणाली को काफी लंबी दूरी से ही चकमा देने में सक्षम हो, ताकि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान बिना किसी बाधा के अपने बमबारी मिशन को अंजाम दे सकें.”

100 किमी रेंज वाले ग्लाइड बम
फिर, स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड हथियारों (SAAW) का परीक्षण भी होना है, जो कि सटीक-निर्देशित बम हैं. इनका इस्तेमाल दुश्मन के रनवे, बंकर, एयरक्राफ्ट हैंगर, रडार और अन्य प्रबलित संरचनाओं को 100-किमी की दूरी से ही नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, फिलहाल इनकी टेस्टिंग की योजना पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “ये 125 किलोग्राम के ग्लाइड बम हैं, जो सैटेलाइट नेविगेशन या इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इमेजिंग इन्फ्रा-रेड सीकर (ईओआईआईआर) के दो विन्यासों पर आधारित हैं, ये सुखोई या जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों में रैक पर रखे जाते हैं. एक सुखोई ऐसे 32 बम ले जा सकता है. इसके अलावा, 80 किलोमीटर की मारक क्षमता वाले 1000 किलो वजनी ग्लाइड बम भी विकसित किए जा रहे हैं.”

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