उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बनने से उज्जैन का औद्योगिक विकास बाधित हुआ

  • शहर में 4, 5 स्थानों पर होते हैं ट्रक खड़े-नीमनवासा की जमीन भी हवा में ही बताई जा रही है

उज्जैन। शहर में कई कलेक्टर बदल गए, कई महापौर व विधायक भी, पर नहीं बदले तो वह हैं शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट के हालात। शहर में जाम और अस्त-व्यस्त यातायात व्यवस्था से निजात दिलाने के लिए कई वर्षों से जिला प्रशासन द्वारा कवायद की जा रही है, लेकिन पहल सिर्फ कागजों पर चल रही है। जैसे-तैसे ट्रांसपोर्ट नगर को लेकर व्यापारियों में रुचि बढ़ी तो अब जिम्मेदार पीछे हटते दिख रहे हैं। नतीजा ट्रांसपोर्ट नगर के अभाव में शहर के औद्योगिक विकास को गति नहीं मिल पा रही हैं। यह बात अग्रिबाण से चर्चा करते हुए ट्रांसपोर्ट नगर निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष सौरभ जैन ने कही। उन्होंने बताया कि शहर के उद्योग कई तरह की समस्याओं से जूझ रहे है। इसमें माल लोडिंग, अनलोडिंग के लिए जमीन नहीं मिल पाना उद्यमियों की प्रमुख समस्या है। साथ ही जमीनों की बढ़ी हुई डीएलसी दर भी एक बड़ी समस्या है। राजनीति और प्रशासन से जुड़े हुए लोगों को इस संबंध में यथेष्ट प्रयास करने की आवश्यकता है। संघर्ष समिति और उद्यमी अपने स्तर पर उद्योग के विकास के लिए लगे हुए हैं। ऐसे में सभी लोग साथ दें तो उज्जैन का प्रभावी विकास हो सकेगा। उन्होंने लम्बे समय से चली आ रही ट्रांसपोर्ट नगर की समस्या के बारे में सभी को अवगत करवाया। जमीनों की बढ़ती कीमतें भी इसमें मुख्य रोड़ा बन रही है। ऐसे में कई जनप्रतिनिधियों ने उन्हें इस समस्या के समाधान का आश्वासन तो दिया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्ट नगर को लेकर न तो जनप्रतिनिधि गंभीर हो रहे हैं और न ही जिला प्रशासन। वाहनों को खड़ा कराने के लिए कोई विकल्प तक नहीं बनाया गया है और न ही वर्तमान में कोई सुविधा है। जिम्मेदारों की उदासीनता का खामियाजा ट्रांसपोर्टरों के साथ आमजन भुगत रहे हैं।


सभी ने दिखाया ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का सपना, कोई नहीं कर पाया पूरा
ट्रांसपोर्टरों को वाहनों में लोडिंग एवं अनलोडिंग का काम सड़क किनारे करना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्ट नगर के अभाव में सड़कों के दोनों ओर ट्रक-ट्राले खड़े हो जाते हैं, जिस कारण जाम जैसे हालात बन जाते हैं। इससे आमजन के साथ ट्रांसपोर्टरों को भी क्षति पहुँचती है और इससे उनमें खासी नाराजगी भी है। अगरबत्ती, पोहा जैसे तमाम उद्योग की शुरुआत यहाँ से हुई है। देश के अनेक राज्यों से तमाम उत्पाद को तैयार करने वाले कच्चे माल की आवक भी रहती है। हाइवे किनारे अथवा रोड पर वाहनों के लोडिंग एवं अनलोडिंग की जाने के कारण भी अनेक बार परेशानी बढ़ जाती है। सड़क किनारे वाहनों के खड़े होने के कारण हादसा होने की आशंका अधिक रहती है। शहर को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए भी शहर के बाहर ट्रांसपोर्ट नगर की स्थापना करने की कवायद पिछले तीन दशक से चल रही है लेकिन यह अभी तक धरातल पर नहीं उतर सकी है।

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