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प्रवासी मजूदरों के मामले में केन्द्र को दो सप्ताह में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मज़दूरों के मामले पर केंद्र सरकार को दो हफ्ते के अंदर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार ने जो हलफनामा दाखिल किया है वो नाकाफी है।

कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें 19 जून को जारी किए गए दिशानिर्देशों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में केवल ये बताया है कि उसने 19 जून के दिशानिर्देश के मुताबिक आदेश जारी कर दिए हैं, लेकिन उन दिशानिर्देशों के अनुपालन के लिए क्या किया गया है, इसका हलफनामे में कोई जिक्र नहीं है।

पिछले 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि उसने अपने हलफनामे में सब कुछ ठीक होने का दावा किया है। कोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार को ये पता लगाना होगा कि प्रवासी मजदूरों की क्या समस्याएं हैं।

कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार अगले हफ्ते तक प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसे लेकर राष्ट्रीय नीति बनाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय नीति केवल सिद्धांत में है। हम चाहते हैं कि सॉलिसिटर जनरल इसे रिकार्ड पर लें। कपिल सिब्बल ने कहा था कि कानून के मुताबिक एक राष्ट्रीय नीति बनाने की जरुरत है। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि हमारा कुछ सुझाव है। मदद और पुनर्वास का काम समन्वय के साथ होना चाहिए। सरकार की योजनाओं के आधार पर ही रजिस्ट्रेशन नहीं हो क्योंकि इससे काफी लोगों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाएगा। इस पर मेहता ने कहा था कि आप हमारे हलफनामे को पढ़ लीजिए , उसमें सारा विवरण मौजूद है।

कोर्ट ने पूछा था कि महाराष्ट्र में क्या हो रहा है। महाराष्ट्र में अभी भी काफी संख्या में प्रवासी मजदूर हैं। तब मेहता ने कहा कि 6 जुलाई को ताजा हलफमाना दाखिल किया जा चुका है। उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार को बताया कितने प्रवासी मजदूरों को वापस भेजा जा चुका है। तब जस्टिस भूषण ने कहा था कि आपका हलफनामा पर्याप्त नहीं है। आप उसमें केवल बयान मत दीजिए। हम आपकी इस दावे को स्वीकार नहीं कर सकते हैं कि महाराष्ट्र में कोई समस्या नहीं है।

सुनवाई के दौरान बिहार सरकार की ओर से कहा गया था कि जो मजदूर बिहार वापस गए थे वे अब अपने काम पर लौटना शुरु कर चुके हैं। तब मेहता ने कहा था कि ये एक स्वस्थ चीज है। ये इसलिए हो रहा है क्योंकि उद्योग काम करना शुरु कर चुके हैं।

पिछले 9 जून को कोर्ट ने आदेश दिया था कि जो प्रवासी मजदूर लौटना चाहते हैं उन्हें 15 दिन के भीतर भेजा जाए । राज्य की तरफ से मांग के 24 घंटे में श्रमिक ट्रेन उपलब्ध कराई जाए । कोर्ट ने कहा था कि प्रवासी मजदूरों के लिए राज्य सरकारें सहायता केंद्र बनाएं और उन्हें रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी दें।

कोर्ट ने कहा था कि मज़दूरों पर दर्ज लॉकडाउन उल्लंघन के केस वापस लिए जाएं। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे उन प्रवासी मजदूरों की सूची बनाएं जो अपने कार्यस्थल पर जाना चाहते हैं। सरकारें उन्हें अपने काम पर दोबारा लौटने के पहले में उचित काउंसलिंग करे। कोर्ट ने इस आदेश की अनुपालना रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करने का निर्देश दिया था। हिस

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