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पड़तालः कोरोना में अनाथ हुए बच्चों की खरीद-फरोख्त का चल रहा खेल!

नई दिल्ली। कोरोना महामारी (corona pandemic) के दौरान बहुत से बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया। अब ऐसे अनाथ बच्चे (orphan children) अवैध रूप से गोद लेने या फिर तस्करी के शिकार (victims of trafficking) हो सकते हैं। एक निजी मीडिया समूह द्वारा की विशेष टीम से कराई गई जांच में सामने आया है कि कई बेईमान लोग महामारी में अनाथ हुए बच्चों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं।

लैंसेट के एक शोध के मुताबिक, 1 मार्च, 2020 से 30 अप्रैल, 2021 तक भारत में लगभग 1.16 लाख बच्चों ने कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता को खो दिया। विश्लेषण से पता चला है कि इसमें से लगभग 25,500 बच्चों ने अपनी मां को खो दिया है, जबकि संभवत: 90,751 बच्चों ने अपने पिता को खोया है जबकि 12 बच्चों ने दोनों को खो दिया।


राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक आकलन से पता चलता है कि लगभग 3,620 बच्चों ने अपने माता-पिता दोनों को खो दिया जबकि 26,176 बच्चों ने उनमें से किसी एक को खोया है जबकि देश भर में 274 बच्चों को उनके परिवारों द्वारा ऐसे ही छोड़ दिया गया।

मीडिया समूह की विशेष जांच टीम ने कई ऐसे लोगों की पहचान की है जो इन अनाथ बच्चों का व्यापार करने के लिए कमजोरियों का फायदा उठाकर अवैध रूप से गोद लेने की युक्तियां तलाशते हैं और इसके नाम पर बच्चों को बेच देते हैं।

गोद लेने के कानूनों का दुरुपयोग
ऐसा ही एक शख्स असरार अमीन कश्मीर में ग्लोबल वेलफेयर चैरिटेबल ट्रस्ट नाम से एक एनजीओ चलाता है। वो बच्चों और परिवार कल्याण के लिए काम करने का दावा करता है लेकिन जब मीडिया समूह के अंडर कवर रिपोर्टर ने दिल्ली के एक होटल में उसे टटोलने की कोशिश की तो उसने महज 75,000 रुपये में कोरोना से अनाथ हुए बच्चे को बेचने की पेशकश की।

स्टिंग ऑपरेशन में वो शख्स कहता है, ”हमारे पास बहुत सारे अनाथ बच्चे हैं, अगर कोई कोविड अनाथ चाहता है, तो कोई समस्या नहीं है, उसने कहा, “कश्मीरी बच्चे वाकई खूबसूरत होते हैं माशाल्लाह!” उस व्यक्ति ने पैसे लेने को लेकर कहा, “मैं यह पैसा अपने लिए नहीं ले रहा हूं, यह मेरे भरोसे के लिए है।

भारत में किसी माता पिता द्वारा बच्चे को गोद लेने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान हैं ताकि उस बच्चे के हितों की रक्षा की जा सके। इसका नतीजा ये है कि हर साल औसतन 3,000 से 5,000 बच्चों को ही आधिकारिक तौर पर गोद लिया जाता है। सरकारी आंकड़ों भी इसकी तस्दीक करते हैं।

वहीं अमेरिका में, बच्चे को गोद लेने की संख्या सालाना 1.35 लाख तक है। मीडिया समूह की जांच में पाया गया कि अमीन जैसे लोग बिना कागजी कार्रवाई के कोविड से अनाथ हुए बच्चों को पैसे लेकर देने को तैयार हैं।

ऐसे ही दिल्ली के तैमूर नगर में प्लेसमेंट एजेंसी चलाने वाले मन्नान अंसारी ने स्वीकार किया कि उन्होंने अवैध रूप से गोद देने के लिए कोविड से अनाथ हुए बच्चों को रखा था।

अंडरकवर रिपोर्टर ने अंसारी से जब पूछा, “क्या कोई ऐसा बच्चा गोद लेने के लिए है जिसने कोरोना की वजह से अपने माता-पिता को खो दिया है. इसके जवाब में उसने कहा, “मैं आपकी मदद करूंगा,” लेकिन उसके बदले पैसों की भी मांग की गई।

जब आगे जांच की गई तो पाया कि कश्मीर के पंपोर में एक अन्य एनजीओ संचालक ने नवजात कोविड अनाथों को गोद लिए जाने की पेशकश की, जिनमें से कुछ को अस्पतालों से भी उठाया गया था।

गैर-लाभकारी संस्था नोबेल फाउंडेशन के एजाज अहमद डार ने नई दिल्ली में अंडर कवर रिपोर्टर से कहा कि वह अनाथ नवजात बच्चों की चोरी में अस्पताल के डॉक्टरों को शामिल कर लेगा। जांच में कई ऐसे एनजीओ के नाम सामने आए जो लाखों रुपये लेकर कोविड से अनाथ हुए बच्चों को बेचने को तैयार थे।

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