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Valentines Day पर ‘निगरानी सैटेलाइट’ EOS-4 लॉन्च करने की तैयारी में ISRO

नई दिल्ली/श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization-ISRO) 14 फरवरी की सुबह 5.59 बजे अपने सबसे भरोसेंद रॉकेट PSLV-C52 से इस साल की पहली लॉन्चिंग (First launch of this year) करने जा रहा है. इस रॉकेट को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्चपैड पर असेंबल किया जा रहा है. सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है. लॉन्च का काउंटडाउन 25 घंटे 30 मिनट पहले शुरू किया जाएगा. लॉन्च की प्रक्रिया सुबह 4.29 बजे शुरू हो जाएगी।

ISRO ने पिछले साल अपने प्लान में यह बताया था कि वह जुलाई 2021 में EOS-4/RISAT-1A सैटेलाइट को PSLV-C52 रॉकेट से लॉन्च करेगा. यह एक माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है. लेकिन कोरोना काल की वजह से यह लॉन्चिंग टलती चली गई. अब जाकर इसकी लॉन्चिंग हो रही है. इस सैटेलाइट के साथ दो और सैटेलाइट भी जा रहे हैं- पहला- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंट एंड टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स द्वारा बनाया गया INSPIREsat-1 और दूसरा इंडिया-भूटान ज्वाइंट सैटेलाइट INS-2B.


इसरो के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्पेस एजेंसी धरती की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit) में अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट EOS-4/RISAT-1A को तैनात कर सकता है. इससे पहले INS-2B की लॉन्चिंग मार्च 2022 में तय की गई थी. लेकिन इस बार इसे EOS-4 के साथ लॉन्च किया जा रहा है. EOS-04 सैटेलाइट 1710 किलोग्राम का है. जिसे धरती से 529 किलोमीटर दूर पोलर ऑर्बिट में तैनात किया जाएगा।

इसरो इस साल के शुरुआती तीन महीनों के अंदर कुछ और लॉन्चिंग की तैयारी में है. पहली तो EOS-4 होगी. इसके बाद PSLV-C53 पर OCEANSAT-3 मार्च में लॉन्च किया जाएगा. अप्रैल में SSLV-D1 माइक्रोसैट की लॉन्चिंग होगी. हालांकि किसी भी लॉन्चिंग की तय तारीख आखिरी वक्त तक बदली जा सकती है. क्योंकि किसी भी लॉन्च से पहले कई तरह के मानकों को देखना होता है।

RISAT-1A एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है. यह रडार इमेजिंग और निगरानी के लिए उपयोग में लाई जाती है. इन सैटेलाइट्स को धरती से 529 किलोमीटर की ऊंचाई पर तैनात किया जाता है. इस सीरीज की पहली सैटेलाइट साल 2009 में लॉन्च की गई थी. इस सैटेलाइट का उपयोग निगरानी और विकास कार्यों के लिए किया जाता है. जैसे कृषि और आपदा प्रबंधन।

यह सैटेलाइट प्राकृतिक आपदाओं और मौसम संबंधी रियल टाइम जानकारी देता. यह तस्वीरें रियल टाइम में इसरो के केंद्रों को प्राप्त होंगी. जिनका उपयोग जलीय स्रोतों, फसलों, जंगलों, सड़कों-बांधों-रेलवे के निर्माण में भी किया जा सकता था. इतना ही नहीं इस सैटेलाइट की ताकतवर आंखें हमारे जमीनी और जलीय सीमाओं की निगरानी भी करतीं. इसकी मदद से दुश्मन की हलचल का पता भी किया जा सकता था।

RISAT-1A का मिशन 5 साल का रहेगा. इस सैटेलाइट का वजन 1858 किलोग्राम है. इस सैटेलाइट में सी बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार है. जो किसी भी मौसम में भारत के हिस्सों की इमेजिंग कर सकता है. यह अपने सीरीज का छठा सैटेलाइट है. साल 1979 से लेकर अब तक 37 अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट्स छोड़े गए. इनमें से दो लॉन्च के समय ही फेल हो गए थे।

ISRO द्वारा पहले भेजे गए Cartosat और RISAT सीरीज के सैटेलाइट्स ने सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट अटैक और चीन के साथ पिछले साल हुए विवाद के समय सीमा पर भरपूर नजर रखी थी. जिससे दुश्मन देशों की हालत खराब हो रही थी. हमारे दुश्मन इस बात से घबराते हैं कि उनकी हरकतों पर भारत अंतरिक्ष से नजर रख रहा है।

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