इंदौर न्यूज़ (Indore News)

पासपोर्ट की तरह कठिन होगा लर्निंग लाइसेंस पाना

  • देश में पहली बार सीबीआई जैसे साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर प्रदेश में बनाए जाएंगे लर्निंग लाइसेंस
  • ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस में आवेदक द्वारा ही टेस्ट दिए जाने की पुष्टि किए जाने के लिए परिवहन विभाग ने तैयार करवाया साफ्टवेयर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर करता है काम

इंदौर। देश (Country) में पहली बार मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में लर्निंग लाइसेंस टेस्ट (Learning License Test) के लिए ऐसे साफ्टवेयर (Software) का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसका इस्तेमाल सीबीआई (CBI), पासपोर्ट (Passport) और इमिग्रेशन (Immigration) जैसे केंद्रीय विभाग (Central Department) करते हैं। इसे तैयार कर लिया गया है और इसका ट्रायल भी शुरू हो चुका है। अगले दो से तीन माह में इसे लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद घर बैठे लर्निंग लाइसेंस का टेस्ट देने वाले आवेदक की सही पहचान यह सिस्टम करेगा और आवेदक की जगह कोई और टेस्ट नहीं दे सकेगा।
परिवहन विभाग (Transport Department) द्वारा 1 अगस्त से प्रदेश में घर बैठे ऑनलाइन लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस (Online Learning Driving License) की व्यवस्था शुरू की है। शुरुआत से ही इसे लेकर शिकायतें मिल रही हैं कि इसमें आवेदक के स्थान पर कोई और भी परीक्षा देकर आसानी से टेस्ट में पास करवा सकता है। ज्यादातर आरटीओ एजेंट (RTO Agent) ये काम कर रहे हैं और आवेदकों से इसके पैसे ले रहे हैं। ऐसी शिकायतों को देखते हुए परिवहन विभाग ने ऑनलाइन टेस्ट (Online Test) के दौरान आवेदक द्वारा ही टेस्ट दिए जाने को सुनिश्चित करने के लिए नया सिस्टम तैयार किया है। इस सिस्टम को नेशनल इंर्फोमेशन सेंटर (एनआईसी) (National Information Center) के माध्यम से तैयार करवाया गया है, जिसमें आवेदक जब टेस्ट देगा तो उसके सिस्टम पर लगे वेबकेम के माध्यम से यह सिस्टम सुनिश्चित करेगा कि आवेदक ही परीक्षा दे रहा है या नहीं।


आधार में लगे फोटो का चेहरे से करेगा मिलान चाहे फोटो पुराना हो या चेहरे पर दाढ़ी हो
इस सिस्टम की टेस्टिंग कर रहे अधिकारियों ने बताया कि नई व्यवस्था में आवेदक को अपना आधार नंबर देना होता है। वेरिफिकेशन (Verification) के बाद सिस्टम आवेदक के आधार में लगे फोटो और अन्य जानकारी को ही लर्निंग लाइसेंस के लिए लेता है, लेकिन नए सिस्टम में आवेदक के आधार में लगे फोटो का वर्तमान चेहरे से मिलान होगा। अधिकारियों ने बताया कि टेस्टिंग के दौरान आवेदक के आधार में लगे 10 साल पुराने फोटो को भी सिस्टम ने पहचान लिया। आधार में लगे फोटो के बाद आवेदक के चेहरे में आने वाले बदलाव जैसे दाढ़ी कटी होना या बढ़ी होना। हेयर स्टाइल में आए बदलाव जैसी छोटी-छोटी चीजें जिसे हम सामान्य आंखों से पहचानने में गलती कर सकते हैं, यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से आसानी से पहचान पा रहा है। कोई भी गड़बड़ी नजर आने पर यह सिस्टम आवेदन को स्वीकार नहीं करेगा और विभाग को अलर्ट भी देगा।


आई-फोन की तरह फेशियल रिकग्निशन का सबसे आधुनिक सिस्टम
इस सिस्टम में फेशियल रिकग्निशन (Facial Recognition) का सबसे आधुनिक सिस्टम लगा है, जैसा दुनिया के सबसे महंगे फोन बनाने वाली एपल कंपनी (Apple Company) अपने फोन में करती है। इसमें भी चेहरे में बदलाव के बाद भी एक बार लिए गए फोटो के आधार पर फोन अनलॉक के लिए चेहरे को पहचान लेता है। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के सिस्टम का अब तक केंद्रीय जांच एजेंसिया ही इस्तेमाल करती आई है, लेकिन पहली बार टेस्ट में गड़बडिय़ों को रोकने और सही आवेदक को ही लाइसेंस देने के लिए परिवहन विभाग ने यह सिस्टम तैयार करवाया है।

दो से तीन माह में शुरू होंगे टेस्ट
अभी आवेदकों द्वारा लर्निंग लाइसेंस के लिए जो टेस्ट दिए जा रहे हैं, उसमें टेस्ट के दौरान उनका फोटो या वीडियो लेने की व्यवस्था नहीं है, इससे गड़बड़ी की आशंका रहती है। नए सिस्टम में ऑनलाइन ही वेबकेम के माध्यम से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के माध्यम से आवेदक के फोटो का मिलान किया जाएगा। इस सिस्टम की ट्रायल शुरू हो चुकी है। इसे दो से तीन माह में लागू कर दिया जाएगा। यह परिवहन विभाग द्वारा अब तक देश में इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आधुनिक सिस्टम होगा।
– जितेंद्र सिंह रघुवंशी, आरटीओ इंदौर


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