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पद्मश्री पुरस्कार से सम्‍मानित नेमनाथ जैन पाकिस्‍तान से 16 वर्ष की आयु में आए थे मध्‍य प्रदेश


भोपाल । सोया मैन ऑफ इंडिया (Soya Man of India) के नाम से फेमस हो चुके 90 वर्षीय उद्योगपति डॉ. नेमनाथ जैन ( Industrialist Dr. Nemnath Jain) को ट्रेड, इंडस्ट्री और शिक्षा के (Trade, Industry and Education Sector) क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण योगदान के लिए राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) द्वारा पद्मश्री पुरस्कार (Padma Shri Award) से सम्मानित किया गया है । वे ट्रेड एवं इंडस्ट्री के क्षेत्र में मध्‍यप्रदेश (Madhya Pradesh) से यह सम्मान पाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं। उन्होंने यह सम्मान कर्मभूमि इंदौर(Indore), सोयाबीन (Soyabean)  किसानों और सोया उद्योग को समर्पित किया है । वे प्रेस्टीज समूह (Prestige Group) के पितामह के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा – ‘ग्राउंड टू ग्लोरी’ (Autobiography – ‘Ground to Glory’) अमेजन पर वर्ष 2016 में बेस्ट सेलर किताब की श्रेणी में शामिल है।


इंजीनियरिंग बन शुरू किया था अपना सफर
दरअसल, अविभाजित भारत और वर्तमान में पाकिस्तान के शहर रावलपिंडी में 17 सितंबर 1931 को जन्मे नेमीनाथ विभाजन के बाद 16 साल की उम्र में इंदौर में आकर बस गए थे । उन्होंने साधारण नौकरी करते हुए एसजीएसआइटीएस से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। वे पहली बैच के टॉपर रहे। जिस कंपनी में नौकरी कर रहे थे, उसने ट्रेनिंग के लिए लंदन भेजा। वहां से लौटकर उन्होंने कंपनी को आगे बढ़ाया और बाद में कंपनी में चीफ एक्जीक्यूटिव बने। इसके बाद प्रेस्टीज समूह बनाकर सोया उद्योग में शिखर को उन्‍होंने छुआ। फिर शिक्षा समूह के तौर पर भी प्रेस्टीज की ख्याति देश भर में फैलाई।

प्रेस्टीज समूह की स्‍थापना से शिखर पर पहुंचा नाम
वे कहते हैं कि मेरे इस सफर में जाने कितने लोगों का साथ मिला है । उन्‍हें नौकरी करते समय यह आभास हुआ कि अलग से किसानों के हित में कुछ करना चाहि‍ए, इसलिए प्रेस्टीज संस्थान आरंभ करने का मन में विचार आया और वह देखते ही देखते अपने मूर्त रूप में आ गया। समय के साथ आवश्‍यक इस ऑयल मिल में सोयाबीन प्रोसेसिंग की मशीनें लगाई जाती रहीं । उनका कहना है कि यह मेरे लिए बहुत ही आनन्‍द की बात है कि मैंने ऑयल मिल की हर यूनिट अपने हाथ से लगाई है । मेरे दोनों बेटे भी इसमें शामिल हो गए और सभी की संयुक्‍त मेहनत से ”प्रेस्टीज समूह” आज देश का ख्‍याती प्राप्‍त व्‍यवसायिक प्रतिष्‍ठान बन गया है।

समाज का दिया समाज को लौटाया
डॉ. जैन बताते हैं कि जब मैंने अपने बेटों से कहा कि अब समय आ गया है कि जो भी हमने अर्जित किया है, उसे समाज कार्यों में लगाएं तो वे सहज तैयार हो गए । इसके बाद हमने शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा, वर्ष 1994 में प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च की शुरुआत इंदौर से हुई और उसके बाद जैसे इस शिक्षा कार्य को भी पंख लग गए । संस्‍थान का विकास मंदसौर, ग्वालियर और देवास से होते हुए आगे बढ़ रहा है । आगे वल्र्ड प्रेस्टीज यूनिवर्सिटी शुरू करने की योजना है । उन्‍होंने बताया कि अब तक 50 हजार से अधिक बच्‍चे उनके यहां से पढ़कर देश का मान बढ़ा रहे हैं। वहीं, आज भी प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट्स में 13 हजार बच्चे बढ़ रहे हैं। इसके अलावा प्रेस्टीज ने अपने स्कूल भी शुरू किए हैं । आज समाजिकता के विविध आयामों में जितना सेवा कार्य के निमित्‍त सहयोग हो सकता है, वह करने का प्रयास सदैव रहता ही है।

पद्मश्री पुरस्कार किसानों, इंदौर और मध्‍य प्रदेश के लोगों को समर्पित
डॉ. जैन ने कहा कि यह सम्मान इंदौर और मध्‍य प्रदेश के लोगों के साथ उन समस्त लोगों का भी है, जो पिछले नौ दशकों से जीवन में किसी न किसी तरह उनके सहभागी रहते आए हैं । सात दशकों में इंदौर के लोगों में गजब की उद्यमशीलता, आत्मीयता और अपनापन देखा है। मैं इंदौर को प्रणाम करता हूं। वे कहते हैं कि यह सम्मान खुशी के साथ और बेहतर करने की चुनौती भी है, यह सम्‍मान आनेवाले समय में और श्रेष्‍ठ करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

डॉ. नेमनाथ जैन को मिल चुके हैं अब तक कई राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार
सोया मैन ऑफ इंडिया के नाम से अपनी पहचान रखनेवाले उद्योगपति डॉ. नेमनाथ जैन को अब तक अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2011 में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड, पूर्व राष्ट्रपति स्व ज्ञानी जैल सिंह द्वारा उद्योग विभूषण पुरस्कार, 1983 और 1987 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति मोहम्मद हिदायतुल्लाह द्वारा उद्योग पात्र पुरस्कार, जिसमें विशेष तौर से सम्‍म‍िलित किए जा सकते हैं ।

उल्‍लेखनीय है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में आयोजित समारोह के अंतर्गत सोमवार को 119 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया था । इस बार सात हस्तियों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है ।

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