नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर(Jammu and Kashmir) की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की मीटिंग से पहले बड़ी हलचल देखने को मिल रही है. बुधवार को जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग (delimitation commission) की अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई (Judge Ranjana Prakash Desai) और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा (Chief Election Commissioner Sushil Chandra) सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर के साथ मीटिंग करेंगे. ये मीटिंग वर्चुअली ही होगी और इसमें परिसीमन को लेकर इकट्ठे किए गए डेटा पर चर्चा होगी.
अब क्योंकि पीएम के साथ मीटिंग में विधानसभा चुनावों को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है. ऐसे में आयोग के ऊपर भी जल्द से जल्द अपना काम पूरा करने की जिम्मेदारी है.
जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों के डिप्टी कमिश्नर ने पहले ही परिसीमन आयोग को एक प्रोविजनल डेटा भेज दिया है और अब आयोग एक ड्राफ्ट मैप बनाने पर काम कर रहा है, जिसे दावे-आपत्ति पर पब्लिक डोमेन में रखा जाएगा. चुनाव से पहले चुनाव आयोग भी जम्मू-कश्मीर के इलेक्टोरल रोल पर काम कर रहा है.
परिसीमन 2011 की जनगणना पर आधारित होगा, लेकिन आयोग ने जिले के डिप्टी कमिश्नरों को डेमोग्राफिक पैटर्न और जेंडर डेटा के आधार पर डेटा अपडेट करने को कहा है.
दरअसल, 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 को हटा दिया गया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा भी है. इसलिए यहां चुनाव के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई परिसीमन आयोग का गठन किया गया था. आयोग को जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और नागालैंड में भी परिसीमन तय करना है.
इस आयोग को इसी साल 5 मार्च तक अपनी रिपोर्ट देनी थी. लेकिन कोविड के चलते ऐसा नहीं हो पाया था. जिसके बाद आयोग का कार्यकाल एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है. अब आयोग को 6 मार्च 2022 से पहले परिसीमन की प्रक्रिया को पूरा करना है. जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार 1995 में परिसीमन हुआ था. Share: