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जन्मदिन विशेष: ज्योतिरादित्य सिंधिया के दादा ने अपने खजाने से देश को दान में दिए थे 54 करोड़

ग्वालियर। आज राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के दादा जी और सिंधिया रियासत के अंतिम महाराज जीवाजी राव सिंधिया (Maharaj Jiwaji Rao Scindia) का जन्मदिन (Birthday) है। जीवाजी राव देश की सबसे शक्तिशाली माने जानी वाली सिंधिया रियासत के अंतिम शासक थे। जीवाजी राव 1925 में 1948 तक सिंधिया रियासत के महाराज थे। इसके बाद ग्वालियर रियासत (Gwalior State)समध्यभारत में वियल हो गई, जो आगे चलकर 1956 में मध्य प्रदेश का हिस्सा बनी। जीवाजी राव ने शिक्षा व स्वास्थ के क्षेत्र में काम किए। वहीं, आजादी के वक्त सरकार को अपने खजाने से 54 करोड़ रुपए सौंपे थे। वहीं, राज्य सरकार को दफ्तरों के लिए अपनी बेशकीमती इमारतें भी दे दी थी।

26 जून 1916 को सिंधिया रियासत के युवराज जीवाजी राव सिंधिया का जन्म हुआ था। जीवाजी राव बचपन की सीढ़ियां चढ रहे थे। राजकाज की समझ आने से पहले ही जीवाजी राव के सिर से पिता का साया छिन गया। सन 1925 में महाराज माधवराव इंग्लैंड और वहां से पेरिस पहुंचे। पेरिस में माधव महाराज का निधन हो गया। माधव महाराज के निधन के बाद उनके वारिस जीवाजी राव सिंधिया उत्तराधिकारी बने। उम्र कम होने के चलते महारानी गजाराराजे ने रियासत को चलाने के लिए प्रशासकीय समिति बना दी। साल 1936 में जीवाजी राव बालिग हुए तो उनको आधिकारिक तौर पर ग्वालियर का महाराज बनाया गया। जीवाजी राव 1936 से 1948 तक करीब 12 साल सिंधिया रियासत के घोषित महाराज रहे।

जीवाजी से शादी के बाद लेखा दिव्येश्वरी ग्वालियर की महारानी विजयाराजे बनी
ग्वालियर रियासत के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया ने शादी करने का फैसला सिर्फ एक दिन में कर लिया था। सागर के नेपाल हाउस में पली-बढ़ी राजपूत लड़की लेखा दिव्येश्वरी से महाराज जीवाजी राव सिंधिया की मुलाकात मुंबई के होटल ताज में हुई। कुछ ही दिन बाद दोनों ने शादी कर ली। लेखा का नाम बदलकर विजया राजे रखा गया। विजयाराजे ग्वालियर रियासत की महारानी बनी। महारानी ने अपने व्यवहार और समर्पण से सिंधिया परिवार और मराठा सरदारों का भरोसा हासिल किया।

जनता के शिक्षा, स्वास्थ के लिए जागरूक थे जीवाजी राव
जीवाजी राव सिंधिया ग्वालियर रियासत में अपनी जनता के प्रति बेहद संवेदनशील थे। उस दौर में जब महिला शिक्षा का प्रसार बेहद कम था, तब जीवाजी राव सिंधिया ने ग्वालियर में महिला स्कूल, महिला कॉलेज की स्थापना कराई। आजादी के बाद जीवाजी राव ने ग्वालियर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए एक लाख रुपए की राशि दी थी। ग्वालियर के गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन और पैसे जीवाजी राव सिंधिया ने उपलब्ध कराए थे। प्रदेश का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज एमआईटीएस ग्वालियर के तत्कालीन महाराज जीवाजी राव सिंधिया की देन है।

आजादी के बाद भारत सरकार ने दिया था राजप्रमुख का दर्जा
1947 में देश स्वतंत्र हुआ, तो जीवाजी राव सिंधिया ने 25 रियासतों के साथ मध्यभारत में ग्वालियर रियासत का विलय करवाया। इसके साथ ही जीवाजीराव का महाराजा का दर्जा भी खत्म हो गया। भारत सरकार ने सिंधिया राजवंश की लोकप्रियता को देखते हुए इंग्लैंड की शाही पद्दति के मुताबिक जीवाजी राव सिंधिया को राजप्रमुख का दर्जा दिया। उस वक्त महाराज जीवाजी राव सिंधिया राजप्रमुख थे। इसी नाते उन्होंने ही उस वक्त मध्यभारत के मुख्यमंत्री को शपथ दिलाई थी। ग्वालियर के मोतीमहल में मध्यभारत की पहली विधानसभा बैठी थी।

सरकार को 54 करोड़ तो राज्य के सरकारी दफ्तरों के लिए दी बेशकीमती इमारते
देश आजाद हुआ तो जीवाजी राव सिंधिया ने अपनी रियासत से 54 करोड़ रूपए की राशि भारत सरकार को दी थी, वहीं राज्य सरकार को सरकारी दफ्तरों के लिए अपनी बेशकीमती इमारते भी सौंप दी थी। जीवाजी राव सिंधिया ने महाराज बाड़े की टाउन हॉल, विक्टोरिया महल, विक्टोरिया कॉलेज, कमला राजा और पद्मा स्कूल के लिए बिल्डिंग दी। तो वहीं जयारोग्य अस्पताल, कमलाराजा महिला अस्पताल, संभागीय कार्यालय के लिए मोतीमहल, निगम के लिए जलविहार महल भी जीवाजी राव ने ही राज्य सरकार को दी थी। ग्वालियर के लोगों का मानना है कि जीवाजी राव सिंधिया ने अपनी जनता के लिए जो किया वो सदियों तक याद रखा जाएगा।

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