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Karwa Chauth Special: आखिर क्यों मनाया जाता है करवाचौथ? पौराणिक क‍था से जानें रहस्‍य

आज यानि 24 अक्टूबर को देश भर में करवाचौथ का त्योहार मनाया जाएगा। करवाचौथ पर सुहागिन महिलाएं अपनी पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। हिंदू महिलाओं के बीच करवा चौथ (Karwa Chauth 2021) के त्योहार के विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से वै​वाहिक जीवन में सुख-शांति और खुशियां आती हैं। यह त्योहर (Karwa Chauth Vrat) देश में पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। करवा चौथ (Karwa Chauth Date) की रौनक बाजारों में काफी पहले से ही दिखनी शुरू हो जाती है।

क्या है इस व्रत का महत्त्व
सब लोग ये तो जानते हैं कि इस व्रत को पत्नियां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं लेकिन क्या आप इसके महत्त्व के बारे में जानते हैं। मान्यताओं के मुताबिक और छांदोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली चंद्रमा में पुरुष रूपी ब्रह्मा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे जीवन के सभी तरह के कष्टों का निवारण तो होता ही है साथ ही लंबी उम्र भी प्राप्त होती है। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणोश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अघ्र्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल,उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

व्रत के बारे में महाभारत से संबंधित पौराणिक कथा (mythology) के अनुसार पांडव पुत्र अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर चले गए। दूसरी ओर बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आन पड़ते हैं। अर्जुन की पत्नी द्रौपदी भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछती हैं। तभी उनके सखा श्रीकृष्ण उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत करने के बारे में बताते हैं, जिससे अर्जुन के सभी कष्ट दूर होगें। श्रीकृष्ण (Sri Krishna) द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी करवाचौथ का व्रत रखती हैं जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं। इस प्रकार की कथाओं से करवा चौथ का महत्त्व हम सबके सामने आ जाता है। यह व्रत यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है।


क्यों मनाई जाती है करवा चौथ
करवा चौथ के व्रत और पूजा को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कहा जाता है कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी सावित्री ने उनसे अपने पति के प्राणों की भीख मांगी और निवेदन किया कि वह उसके सु​हाग को न लेकर जाएं। लेकिन यमराज ने उसकी बात नहीं मानी, जिसके बाद सावित्री ने अन्न—जल त्याग दिया और अपने पति के शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। पतिव्रता सावित्री के इस तरह विलाप करने से यमराज पिघल गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि वह अपने पति सत्यवान के जीवन की बजाय कोई और वर मांग ले।

सावित्री ने यमराज (Yamraj) से कहा कि मझे कई संतानों की मां बनने का वर दें और यमराज ने भी हां कह दिया। पतिव्रता होने के नाते सावित्रि अपने पति सत्यवान के अतिरिक्त किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती थी। जिसके बाद यमराज ने वचन में बंधने के कारण सावित्री (Savitri) को सत्यवान का जीवन सौंप दिया। कहा जाता है कि तभी से सुहागिनें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अपने अखंड सौभाग्य के लिए अन्न—जल त्यागकर करवा चौथ के दिन व्रत करती हैं।

करवा चौथ से जुड़ी एक और किवदंती है द्रौपदी से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में घोर तपस्या के लिए गए थे और बाकी चारों पांडवों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। द्रौपदी ने यह परेशानी भगवान श्रीकृष्ण को बताई और अपने पतियों के मान-सम्मान की रक्षा का उपाय पूछा। भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी जिसके फलस्वरूप अर्जुन सकुशल वापस आए और बाकी पांडवों के सम्मान को भी कोई हानि नहीं हुई।

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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