इंदौर। होलकर काल से ही खजराना गणेश मंदिर परिसर में तिल चतुर्थी का मेला लगता आ रहा है। मेले में आने वाले श्रद्धालु अपने साथ तीन दिन का आटा- दाल बांधकर साथ लाते थे और मेले में लगने वाली गम्मत और भजनों में शामिल होते थे। होलकर काल में लगने वाले मेले में महाराजा तुकोजीराव घोड़े पर सवार होकर खजराना जाते थे। सारी व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर दीवान साहेब को निर्देश दिए जाते थे। तीन दिन तक सजने वाले मेले में रोशनी का अभाव रहता था। मेला सुबह जल्दी शुरू होता और शाम ढलते ही दुकानें बंद हो जाती थीं। श्रद्धालु कंडों पर दाल-बाटी बनाते थे। खजराना में लगने वाला मेला सांस्कृतिक एकता का प्रतीक माना जाता था। मेले में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का क्रय-विक्रय होता था।
उज्जैन, महिदपुर, भोपाल, बुरहानपुर, महेश्वर आदि जगहों से व्यापारी आकर दुकानें लगाते थे। होलकर काल में उस समय संचार का माध्यम नहीं था। तब लोग मेले की प्रतीक्षा सालभर से करते थे, ताकि मेले के दौरान परिचितों और रिश्तेदार से मुलाकात हो सके। जो बेटियां अन्य नगरों और प्रान्तों में ब्याह कर गई होतीं, उनके लिए मेले के दिन मायके आने के दिन हो जाते। सालभर इन दिनों का इंतजार रहता। नए-नए कपड़े सिलवाए जाते, खासकर मेले के लिए। उस समय गर्म लोई, दुशाले, दस्ताने मेले से ही लेना हर दिल की आवाज होती। लोक नृत्य, भजन, धार्मिक नाटक मेले में आयोजित होते थे। समय के साथ मेले का स्वरूप बदल गया, लेकिन आज भी यह हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोए हुए है।
खजराना में सवा लाख लड्डुओं का भोग लगा , ध्वजा पूजन हुआ
तिल चतुर्थी मौके पर खजराना गणेश मंदिर में अभिषेक-पूजन, विशेष शृंगार के साथ सवा लाख तिल गुड़ के लड्डुओं का महाभोग समर्पित किया गया। महाभोग समर्पित करने के साथ खजराना गणेश मंदिर में तिल चतुर्थी मेले की शुरुआत हुई। महाआरती के बाद लड्डुओं का वितरण श्रद्धालुओं को किया। मंदिर में देर रात गणेशजी का आकर्षक शृंगार किया गया। भक्त मंडल के अरविंद बागड़ी ने बताया कि कलेक्टर व मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह व मंदिर प्रबंधन समिति के प्रशासक व निगमायुक्त शिवम वर्मा, विधायक महेंद्र हार्डिया एवं पार्षद पुष्पेंद्र पाटीदार के आतिथ्य में ध्वजा पूजन किया गया। मुख्य पुजारी पं. अशोक भट्ट के अनुसार कल रात्रि ही 12 बजे गणेशजी को लड्डू समर्पित किए गए। श्री गणेश और उनके परिवार को चार करोड़ से अधिक गहनों से सजाया गया है। पहले दिन करीब तीन लाख भक्तों के पहुंचने का अनुमान है। मंदिर में दर्शन की व्यवस्था महाकाल की तर्ज पर रहेगी। भक्तों को आधे घंटे से अधिक की प्रतीक्षा नहीं करना पड़ेगी।
यह है तिल चतुर्थी का महत्व , आज रात्रि 9 .16 बजे होगा चन्द्रोदय
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, तिल चतुर्थी गणेश भगवान की पूजा-अर्चना के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है। इस दिन खासकर महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन प्रसाद के रूप में तिलकूट के लड्डू का भोग श्री गणेश को चढ़ाया जाता है। इस चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। आज व्रतधारियों को पूजन और अघ्र्य देने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। इंदौर के आसमान में चन्द्रोदय रात्रि 9.16 बजे होगा ।
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