ब्‍लॉगर

अर्थव्यवस्था को नए पंख

– डॉ. श्रीकांत श्रीवास्तव

कोविड-19 के कारण लॉकडाउन के बाद देश की अर्थव्यवस्था में गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। सरकार ने इस गतिरोध को दूर करने के लिए समय से पूरे प्रयास किए। पीएमजीकेवाई के तहत पौने दो लाख करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। पैकेज का उद्देश्य था कि प्रभावित लोगों को हर प्रकार से मदद पहुंचाना। छोटे और मंझोले कारोबारी, महिलाएं और गैर संस्थागत क्षेत्रों में काम करने वाले कारीगरों को विशेष रूप से मदद पहुंचायी गयी। इस बात का प्रयास किया कि लोगों को लॉकडाउन के कारण खाद्यान्न की कमी न पड़ने पाए। पीएमजीकेवाई के तहत मुफ्त राशन वितरण की व्यवस्था पूरे देश में एकसाथ की गई। सरकार का यह बहुत कल्याणकारी कदम था जिसका फायदा लोगों को मिला।

अनलॉक की प्रक्रिया जैसे-जैसे शुरू हुयी, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने फिर एक बड़ा कदम उठाया और 20 लाख करोड़ रुपए का एक बड़ा आर्थिक पैकेज दिया। इस पैकेज को मोटे तौर पर तीन हिस्सों में बांटकर देखा जा सकता है। पहला फौरी सहायता के रूप में ऐसे लोगों को मदद पहुंचायी गयी जिन्हें पैसों की जरूरत थी। इसके तहत खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था को और आर्थिक मदद दी गई। छोटे और मंझोले कारोबारियों को आसान शर्तों पर कर्ज की सुविधा दी गयी। बड़े उद्योगों के लिए विशेष रूप से मदद दी गयी। समाज के हर तबके के बीच, समावेशी विकास का प्रयास किया गया।

किसानों के लिए पैकेज दिया गया। यही नहीं तीन विशेष कानूनों के जरिए किसानों को परंपरागत खेती की जगह आधुनिक खेती के उपयुक्त बनाया गया। अतिरिक्त रूप से किसानों की आय बढ़ाने वाले कदम उठाए गए। पीएम किसान निधि के तहत किसानों को आर्थिक मदद पहुंचायी गयी। सरकार ने इस बात का प्रयास किया कि प्रधानमंत्री ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का जो संकल्प लिया है वह समय से पूरा हो। यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन इन कानूनों के बन जाने के बाद कृषि के क्षेत्र में विकास का नया मार्ग प्रशस्त हुआ है। सबसे बड़ी चीज यह रही है कि वन नेशन वन मार्केट एक देश और एक बाजार की नीति को सरकार ने स्वीकार किया और उसे लागू किया। एक देश और एक बाजार से किसान अपना सामान देश में कहीं भी बेच सकता है। किसानों को ई-सुविधा से जोड़ा गया। किसान घर बैठे देश की विभिन्न मंडियों मे अपनी शर्तो पर सौदा करने में सक्षम हुआ है।

सरकार ने छोटे और मंझोले कारोबारियों की समस्याओं को देखते हुए आसान शर्तों पर उन्हें कर्ज की सुविधा मुहैया कराई। रेहड़ी पटरी दुकानदारों के लिए पीएम स्वनिधि योजना शुरू की गई, जिसमें उन्हें आसान शर्तों पर कर्ज मुहैया कराया गया और इसमें कैशबैक की भी सुविधा दी गई। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस योजना के तहत काफी काम हुआ है। सरकार ने छोटे और मंझोले कारोबारियों को उनका कारोबार आसान करने के संबंध में भी मदद की। बड़े उद्योगों को भी सरकार ने मदद दी और उसमें एफडीआई को महत्व दिया गया ताकि विदेशी निवेश से देश के बड़े उद्योगों को नई उड़ान मिल सके।

एक एतिहासिक पहल के तहत सरकार ने जीएसटी वस्तु और सेवा कर लागू किया था। भारतीय अर्थव्यवस्था में जीएसटी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कौटिल्य ने अपने “अर्थशास्त्र” में लिखा था कि राजा को मधुमक्खी की तरह कर संग्रह करना चाहिए। जैसे मधुमक्खी फूलों से पराग लेती है, लेकिन फूलों को कष्ट नहीं होता, वैसे ही राजा को चाहिए कि वह लोगों से इस प्रकार से कर ले कि लोगों को पता भी ना चले और राज्य का खजाना भी भर जाए।

अक्टूबर 2020 में वस्तु और सेवा कर राजस्व संग्रह एक लाख पाँच हजार करोड़ रुपये हुआ है। इसमें से सीजीएसटी 19193 करोड़ रुपए, एसजीएसटी 25411 करोड़ रुपये, आईजीएसटी 52540 करोड़ रुपये तथा सेस 8011करोड़ रुपये है। अक्टूबर माह के लिए 31 अक्टूबर 2020 तक दाखिल किए गए जीएसटीआर 3बी रिटर्न की कुल संख्या 80 लाख है। सरकार ने नियमित निपटान के रूप में आईजीएसटी से सीजीएसटी के लिए 25091करोड़ रुपये और एसजीएसटी के लिए 19427 करोड़ रुपये का निपटान किया है। अक्टूबर 2020 में नियमित निपटान के बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा अर्जित राजस्व के लिए 44285 करोड़ रुपए और एसजीएसटी के लिए 44839करोड़ रुपये है। इस महीने प्राप्त जीएसटी राजस्व पिछले वर्ष इसी महीने में प्राप्त राजस्व से 10 प्रतिशत अधिक है। यह आने वाले समय में निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में इससे मदद मिलेगी।

जीएसटी का बेहतर संग्रह इस बात को साबित करता है कि सरकार ने जीएसटी का जो ढांचा बना रखा है वह इतना उपयुक्त है कि इसके दायरे में अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया जा सका है। इसी महीने यानी अक्टूबर के दौरान पिछले वर्ष के इसी महीने के दौरान इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व की तुलना, माल के आयात से राजस्व 9 प्रतिशत अधिक था और घरेलू लेनदेन सेवाओं के आयात से राजस्व में 11 प्रतिशत अधिक था। जीएसटी राजस्व में वृद्धि जुलाई-अगस्त सितंबर 2020 की तुलना में क्रमश ऋणनात्मक 14, 8 और 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

इसके अलावा सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने अपने जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर की कमी को पूरा करने के लिए राज्यों का विशेष विंडो के तहत 16 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों को दूसरी किस्त के रूप में छह हजार करोड़ रुपये की राशि जारी की। यह राशि चार दशमलव चार-दो प्रतिशत भारित औसत ब्याज पर जुटाई गयी थी। सरकार आगे भी राज्यों को ऐसी ही मदद के कदम उठा सकती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने जो सबसे बड़ी चुनौती है वह है बाजार को गति देना। बाजार को गति देने के लिए आवश्यक है कि मांग बढ़ाई जाए। मांग बढ़ाने के लिए पहली शर्त है कि लोगों के हाथों में पैसा दिया जाए। सरकार इस बात का पूरा प्रयास कर रही है कि उपभोक्ताओं के हाथों में पैसा आए ताकि वे मांग उत्पन्न कर सकें। बाजार में मांग उत्पन्न हो। जब बाजार में मांग उत्पन्न होगी तब आपूर्ति चेन मजबूत होगी। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में आपूर्ति और बहाल होगी। इस समय रोजगार देना काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इसलिए सरकार का सारा प्रयास रोजगार पर है। प्रवासी मजदूरों की स्किल मैपिंग, उनका पुनर्वास इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं। यह मुद्रास्फीति जनित मंदी से भी अर्थव्यवस्था को उबारने में मदद करेगा। लोगों की आय में इजाफा होगा और मांग बढ़ेगी।

(लेखक, भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी हैं।)

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