भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

टीम मोदी में बढ़ेगा मप्र का दबदबा

  • प्रधानमंत्री ने 3 जुलाई को बुलाई मंत्रिपरिषद की बैठक

भोपाल। नई दिल्ली में दो दिनों के मंथन के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीन जुलाई को केंद्रीय मंत्रिपरिषद की बैठक बुलाई है। इसी के साथ ही एक बार फिर से मंत्रिपरिषद में संभावित फेरबदल की अटकलें तेज हो गईं। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए टीम मोदी में मप्र का दबदबा बढ़ सकता है। गौरतलब है कि इसी साल के अंत में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव होने हैं और इन सभी राज्यों के किसी न किसी सांसद को मंत्री मंडल में रखा गया है। मध्य प्रदेश से पांच, राजस्थान से चार, तेलंगाना से एक और छत्तीसगढ़ से एक मंत्री मोदी सरकार में हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल में चुनावी राज्यों से और चेहरे शामिल किए जा सकते हैं। इस संदर्भ में गतदिनों प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई पार्टी पदाधिकारियों के बीच चर्चा हो चुकी है। इस बैठक में जेपी नड्डा की भागीदार के साथ ही अटकलें तेज हो गईं कि राज्य स्तर सहित सरकार और भाजपा संगठन में कई बदलाव हो सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से अमित शाह, जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष ने संगठनात्मक और राजनीतिक मुद्दों पर कई दौर की चर्चा की है।

मप्र को मिल सकते है दो और मंत्री
गौरतलब है की भाजपा के मिशन 2024 में मप्र की बड़ी भूमिका होगी। इसलिए इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा मप्र में बड़ी जीत चाहती है। इसके लिए भाजपा हर वर्ग को साधने में जुटी है। इसी बीच, केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार की अटकलों के बीच मप्र से कुछ नेताओं को जगह मिलने और कुछ को वापस भेजकर संगठन की जिम्मेदारी देने की चर्चा तेज हो गई है। इसमें आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय और जातीय संतुलन को बनाए रखने की कोशिश होगी। प्रदेश से अभी केंद्र में नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेद्र खटीक ये पांच मंत्री हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और एल. मुरुगन भी मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन वे यहां के रहने वाले नहीं हैं। इनको मिलने पर मप्र से केंद्र में मंत्रियों की संख्या सात है। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल से दो मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया हैं। वहीं, बुंदेलखड से प्रह्लाद पटेल और वीरेंद्र खटीक मंत्री हैं। इसके अलावा महाकौशल से फग्गन सिंह कुलस्ते मंत्री हैं। केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार की अटकलों के साथ प्रदेश में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण साध कर प्रदेश से दो नए चेहरों को मौका मिलने की चर्चा तेज हो गई है। वहीं, एक मंत्री को संगठन के काम में लगाने के लिए हटाया जा सकता है।


समीकरणों को साधने पर फोकस
भाजपा सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रिय, जातिय समीकरणों के साथ ही वर्तमान स्थिति का आकलन कर प्रतिनिधित्व दिया जाएगा। जानकारों का कहना कि भाजपा महाकौशल में कमजोर है। वहीं, विंध्य की अनदेखी करने से जनता नाराज है। इसके लिए प्रदेश के साथ ही केंद्रीय नेतृत्व विंध्य और महाकौशल में जोर लगा रहा है। ऐसे में चर्चा है कि प्रदेश में बुंदेलखंड से मंत्री ओबीसी सांसद प्रह्लाद पटेल, अनुसूचित जाति सांसद वीरेद्र खटीक में से किसी एक को हटाया जा सकता है। यदि प्रहलाद पटेल को हटाया जाता है तो उनको संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इनकी जगह पर विंध्य से सांसद गणेश सिंह या देवास से सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को संगठन में लिया जा सकता है। इसके अलावा यह भी चर्चा है कि महाकौशल से राकेश सिंह को भी केंद्र में जगह मिल सकती है। हालांकि, यहां से अभी फग्गन सिंह कुलस्ते केंद्रीय कैबिनेट में शामिल हैं। इसके अलावा मप्र से राज्यसभा सांसद धर्मेंद्र प्रधान को भी वापस भेजने की चर्चा है। जानकारी के अनुसार, भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व महाकौशल में बिगड़े समीकरण को साधने में जुटा हुआ है। यही वजह है कि हाल में केंद्रीय मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ आए। इसके बाद उनको बालाघाट दौरा था, लेकिन खराब मौसम की वजह से वे कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। यहां पर पार्टी आदिवासी वोट बैंक को साधने पर जोर लगा रही है। यहां पर पार्टी नगर निगम का चुनाव हार गई है। वहीं, क्षेत्र को प्रदेश सरकार में भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से जनता नाराज है। विंध्य में पार्टी को भले ही पिछली बार से ज्यादा सीटें मिली हों, लेकिन अब भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है। सिंगरौली नगर निगम में आम आदमी पार्टी ने महापौर का चुनाव जीत लिया। भाजपा के सर्वे में भी यहां पर रिपोर्ट अच्छी नहीं मिली थी। यही वजह है कि पार्टी का फोकस अब क्षेत्र के मतदाताओं को साधने पर है।

केंद्रीय और राज्यों के संगठन में भी बदलाव
जानकारों का कहना है की चुनावी रणनीति के तहत केंद्रीय संगठन के साथ ही राज्यों के संगठन में भी बदलाव किया जाएगा। आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मिशन मोड में जुटी भाजपा केंद्रीय संगठन, सरकार और राज्यों में व्यापक बदलाव करेगी। चौतरफा बदलाव के लिए भाजपा में शीर्ष स्तर पर कई बैठकें हुई हैं। इस महीने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष और गृह मंत्री की सात दौर की बैठक के बाद इन तीनों नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने मंथन किया था। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में चौतरफा बदलावों की रूपरेखा तय कर ली गई है। जुलाई के पहले हफ्ते से बदलाव का दौर शुरू होगा। लंबे समय तक महासचिव और उपाध्यक्ष पद पर जमे नेताओं की छुट्टी की जाएगी। इसके बाद नए सिरे से राज्यों के प्रभारी भी तय किए जाएंगे। पार्टी की योजना पहले की तरह मंत्रियों से भी संगठन का काम लेने की है। चुनावी तैयारी के लिए पार्टी ने राज्यों को तीन क्षेत्रों में विभाजित कर हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार करने की योजना बनाई है। बताया जाता है की मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान समेत कुछ राज्यों में संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव किया जाएगा। उत्तर प्रदेश का सियासी समीकरण साधने के लिए राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और ओम प्रकाश राजभर को फिर से मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। मध्य प्रदेश और कर्नाटक के संगठन में भी कुछ बदलाव किए जाने की संभावना बनने लगी है।

 

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