इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

मेंदोला बनेंगे मंत्री, सांवेर को बना डाला दो नम्बर, दिलवाई बम्पर जीत

  • सटीक साबित हुआ अग्निबाण का विश्लेषण
  • शिवराज हुए और मजबूत, तो सिंधिया को सहना पड़े कुछ झटके
  • कमलनाथ के भी मुगालते दूर

इन्दौर, राजेश ज्वेल। दीपावली से पहले भाजपा की दिवाली मनी और कांग्रेस का दिवाला निकल गया… अग्निबाण का चुनावी विश्लेषण सटीक साबित हुआ और शिवराज और अधिक मजबूत होकर उभरे। वहीं सिंधिया को अपने क्षेत्र में कुछ झटके सहना पड़े। वहीं उनकी कट्टर समर्थक इमरती देवी भी चुनाव हार गई। सांवेर में अब तक की सबसे बम्पर जीत भाजपा प्रत्याशी तुलसी सिलावट को हासिल हुई, जिसके रणनीतिकार विधायक रमेश मैंदोला रहे। चुनाव परिणामों के बीच ही कार्यकर्ताओं ने उनका भव्य स्वागत करते हुए मंत्री बनाए जाने की मांग भी कर दी। अपनी विधानसभा 2 की तर्ज पर सांवेर में चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दिलवा दी। हालांकि सिलावट को सत्ता संगठन और संघ का भी पूरा साथ मिला, जबकि पराजित कांग्रेस उम्मीदवार प्रेमचंद गुड्डू ने अकेले अपने परिवार के साथ ही किला लड़ाया।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित पूरी कांग्रेस के भी मुगालते दूर हो गए, जो 20 से अधिक सीटों पर जीत के दावे बिकाऊ और टिकाऊ नारे के साथ कर रही थी। जनता ने शिव-ज्योति एक्सप्रेस पर भरोसा जताया और भाजपा की झोली में 19 सीटें डाल दी। मालवा-निमाड़ में तो एकतरफा भाजपा को जीत मिली। सिर्र्फ एक ही सीट पर उसे हार का मुंह देखना पड़ा, लेकिन ग्वालियर-चम्बल संभाग में 7 सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। ये सभी सीटें सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र की रही और उनकी कट्टर समर्थक इमरती देवी को भी कड़े संघर्ष के बाद चुनाव हारना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री, वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी ट्वीट करते हुए कहा कि लोग समझते थे कि सिंधिया के जाने के बाद कांग्रेस खत्म हो जाएगी, लेकिन ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में नई कांग्रेस खड़ी हो गई है। मालवा-निमाड़, बुंदेलखंड में अवश्य नतीजे हमारे पक्ष में नहीं आए, वहीं कांग्रेस को अब नया स्वरूप देना पड़ेगा। उन्होंने भाजपा पर जनबल को धनबल से से दबाने का आरोप भी लगाया। दूसरी तरफ सांवेर उपचुनाव की बात की जाए तो यह किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि भाजपा के तुलसी सिलावट 53264 रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करेंगे। उनके अलावा सारे भाजपा नेता 20-25 हजार से जीत के दावे कर रहे थे। मगर 28 राउंड चली मतगणना में एक भी राउंड सिलावट नहीं हारे और पहले से लेकर आखरी तक डेढ़ से दो हजार हर राउंड में उनकी लीड बढ़ती रही। सांवेर उपचुनाव की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय और उनके सिपहसालार रमेश मेंदोला को पार्टी ने सौंपी थी। वहीं जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर ने भी पूरी मेहनत की, वहीं संभागीय संगठन मंत्री जयपालसिंह चावड़ा, सावन सोनकर से लेकर उमेश शर्मा और सिलावट के साथ ही भाजपा में शामिल हुए राजू चौहान, अजयसिंह सेंगर सहित पूरी टीम भिड़ी रही। मेंदोला ने जिस तरह अपनी दो नम्बर विधानसभा को भाजपा का अभेध गढ़ बना लिया, जहां से हर बार रिकॉर्ड मर्तों से जीत होती है, उसी तर्ज पर भोजन, भंडारे, नर्मदा कलश यात्राएं जैसे आयोजन कर दादा दयालु यानी रमेश मेंदोला ने सांवेर को भी भाजपामय कर दिया, जिसके परिणाम स्वरूप अब तक की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक जीत भाजपा प्रत्याशी तुलसीराम सिलावट के खाते में दर्ज हो गई। यहां तक कि सिलावट पिछला विधानसभा चुनाव ही बहुत कम अंतर से जीते थे। मगर इस बार 28 सीटों में वे दूसरे स्थान पर रहे, जहां इतनी बम्पर जीत मिली। तीन मंत्रियों के हारने के बाद अब नया मंत्रिमंडल का गठन होगा, जिसमें रमेश मेंदोला को मंत्री बनाए जाने की पूरी संभावना है। शिवराज ने तो तारीफ की, वहीं श्री सिंधिया भी मेंदोला के मैनेजमेंट के कायल हो गए, जिसका लाभ दादा दयालु को अवश्य मिलेगा।

सिलावट बोले-संगठन की मेहनत का फायदा मिला, सबको साथ लेकर चलूंगा
सांवेर क्षेत्र में ऐतिहासिक वोटों से जीतने वाले विधायक तुलसी सिलावट ने जीत के बाद कहा कि मुझे पूरे भाजपा संगठन की मेहनत का फायदा मिला है और मैं सबको साथ लेकर चलूंगा। उन्होंने अपनी जीत का श्रेय भाजपा नेताओं को ही दिया। मतगणना समाप्त होने तक वे अपने पुत्र नीतेश और बंकिंम के साथ हॉल में ही मौजूद रहे। यहां राजेश सोनकर, उमेश शर्मा, गौरव रणदीवे, सावन सोनकर भी उनके साथ थे। वीवी पेड गिनने के बाद ही वे स्टेडियम के बाहर निकले और कार्यकर्ताओं से मिले।

गुड्डू घंटेभर में ही निकल गए, सत्ताईसवें राउंड के बाद बेटा और बेटी भी हो गए बाहर
कल दोपहर से ही कांग्रेसी खेमे में निराशा का माहौल बनने लगा था। गुड््डू की ओर से उनकी दोनों बेटियां रश्मिी, रीना, बेटा अजीत और जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव ने खूब किला लड़ाया और सताइसवें राउंड के बाद ही स्टेडियम से रात साढ़े 12 बजे बाहर निकले। कांग्रेस प्रत्याशी गुड्डू सुबह स्टेडियम नहीं पहुंचे थे। वे साढ़े 4 बजे मतगणना स्थल पर पहुंचे। अंदर जाकर उन्होंने कार्यकर्ताओं से बात की और एक घंटे में ही साढ़े पांच बजे मतगणना स्थल के बाहर निकल गए। रात सवा 12 बजे जब 27वें राउंड के रिजल्ट आए तब उनके बेटा और बेटी भी बाहर हो गए।

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