भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

अफसर और नेताओं की ‘चारागाह’ है लघु वनोपज संघ

  • रिटायर्ड आईएफएस आजाद सिंह डबास ने उठाए सवाल
  • मुख्यमंत्री से की कार्रवाई की मांग

भोपाल। मप्र सरकार के मुनाफे वाले उपक्रम मप्र राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ को लेकर रिटायर्ड आईएफएस आजाद सिंह डबास ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने वनोपज संघ को अफसर और नेताओं के लिए चारागाह बताया है। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कार्रवाई की मांग की है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं अफसरों के नाम भी उजागर किए हैं, जिनके कार्यकाल में वनोपज संघ में जमकर हेराफेरी हुई है। डबास ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य लघु वनोपज संघ मप्र सरकार के उन उपक्रमों में से एक है जो अपनी स्थापना के समय से ही लगातार लाभ में रहा है। विगत 15 वर्ष से संघ में गंभीर वित्तीय अनियमित्ताएं/लापरवाहियां हुई हैं। जिसकी वजह से संघ आज कंगाली की कगार पर आ खड़ा हुआ है।


अध्यक्षों के विवेकाधीन कोष की कराएं जांच
डबास ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में दावा किया है कि महेश कोरी, विश्वास सारंग और वीरेन्द्र गिरी को अपात्र होने के बावजूद संघ का अध्यक्ष बनाया गया। इनके कार्यकाल में विवेकाधीन कोष से कराए गए कार्यों की जांच कराई जाए। विवेकाधीन कोष वनोपज संघ में भ्रष्टाचार की बड़ी जड़ है। डबास का दावा है कि संघ के संचालक मंडल की जांच को दबा लिया गया है।

अफसरों ने संघ को नियम नहीं मनमर्जी से चलाया
डबास ने वनोपज संघ के अफसरों पर मनमर्जी के आरोप लगाए हैंं। तत्कालीन प्रबंध संचालक रमेष दवे ने तथ्यों को छुपाकर लघु वनोपज संघ को आरटीआई के दायरे से बाहर किया। तत्कालीन अध्यक्ष चर्तुर्वेदी (आईएएस) ने संघ का विशेष ऑडिट कराने का प्रयास किया गया था, लेकिन भ्रष्टों के गठजोड़ ने तत्कालीन प्रमुख सचिव रंजना चौधरी को गुमराह कर ऑडिट नहीं होने दिया। वनोपज संघ में अफसर एक समिति के पैसा को दूसरी समिति में खर्च करते हैं, जिस पर रोक लगाई जाए।

ये हैं लघु वनोपज संघ के भ्रष्ट कारनामे
संघ ने 5-5 लाख में प्रदेश 179 ÓÓअपनी दुकानÓ बनार्इं। ज्यादातर दुकानों पर खरीदी नहीं हो रही। हर वन मंडल में 15-15 लाख से वनोपज रखने गोदाम बनवाए थे। धार जिले में स्वीकृत 12 करोड़ के कामों में पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार की भूमिका पर सवाल उठाए। पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र गिरी एवं एमडी राजेश श्रीवास्तव पर कार्रवाई की जाए। वन-धन केन्द्रों बनने के बाद से बंद है। प्रसंस्करण केन्द्र बंद हैं। डबास ने सीएम को लिखे पत्र में दावा किया है कि संघ की गतिविधियों से ऐसा प्रतीत होता है कि यह ÓÓलघु वनोपज संघÓÓ न होकर मात्र ÓÓतेंदू पत्ता संघÓÓ हो गया है।

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