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मंत्री नहीं बनाए जाने से शिंदे से नाराज हैं विधायक, उद्धव ने बोला हमला

भोपाल। लंबे समय से चल रही अटकलों के बीच आखिरकार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devednra Fadnavis) ने कैबिनेट का विस्तार तो जरूर कर लिया, लेकिन जिन्‍हें मंत्री बनने का मौका नहीं दिया वे अब बगावती देवर दिखाने लगे हैं।

आपको बता दें कि मंत्रिमंडल विस्तार करते ही शिंदे गुट और शिंदे के साथ सरकार में आए निर्दलीय विधायक नाराज हो गए हैं। धीरे-धीरे खुलकर शिंदे-फडणवीस सरकार के खिलाफ बोलने लगे हैं। अमरावती अचलपुर सीट से प्रहार के विधायक बच्चू कडू बेहद ही खफा हैं।
बुधवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मिले। हाल के सत्ता संघर्ष में औरंगाबाद पश्चिम विधायक संजय शिरसाट ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बागी तेवर दिखाते हुए एकनाथ शिंदे का साथ दिया था। शिंदे खेमे में शुरू से ही शामिल होने के बावजूद शिरसाट को मंत्री पद नहीं मिला है। उन्होंने कल रात एक ट्वीट किया, जिसने कयासों को जन्म दे दिया है।


अपने ट्वीट में शिरसाट ने उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के परिवार का मुखिया बताया है। इस ट्वीट की तूफानी चर्चा शुरू होते ही शिरसाट ने एक न्यूज चैनल से फोन पर संपर्क साधा और इसपर सफाई भी दी है। शिरसाट ने अपने ट्वीट के साथ विधानसभा में उद्धव ठाकरे का एक भाषण भी संलग्न किया है। लेकिन, कुछ समय बाद उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट भी कर दिया है, हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा है कि शिंदे समूह में हम सभी बहुत खुश हैं। इसी बीच राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या संजय शिरसाट ने कैबिनेट में जगह न मिलने पर उद्धव ठाकरे के भाषण को ट्वीट कर शिंदे समूह को चेतावनी दी है।



जबकि विधायक ने अपने ट्वीट पर सफाई देते हुए कहा, ”मैंने जो ट्वीट किया वह विधानसभा में उद्धव ठाकरे का भाषण था। उस भाषण में उन्होंने महाराष्ट्र के बारे में अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा था कि वह परिवार के मुखिया की भूमिका निभा रहे थे। इसलिए आज भी मेरा यह मत है कि यदि आप परिवार के मुखिया की भूमिका निभा रहे हैं तो कहीं न कहीं आपको परिवार के सदस्यों की राय पर विचार करना चाहिए।” संजय शिरसाट ने एक मराठी समाचार चैनल से बात करते हुए कहा, ”मेरे ट्वीट का यह अर्थ था कि आपको अपनी राय के बजाय अपने परिवार की राय का सम्मान करना चाहिए।”उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह एकनाथ शिंदे के साथ हैं और कोई नाराजगी नहीं है।

उन्होंने कहा, ”हमने उद्धव ठाकरे को परिवार का मुखिया माना, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। इसलिए, हमें वर्तमान स्थिति के लिए भी खेद है। मैंने इसलिए यह ट्वीट नहीं किया क्योंकि मुझे मंत्री पद नहीं मिला। मैं सिद्धांत का आदमी हूं। शिंदे गुट के साथ अब तक के अपने सफर में मैं हमेशा मुखर रहा हूं। मैं वही बोलता हूं जो मुझे सही लगता है। मेरा भी यही मानना था कि उद्धव ठाकरे को राकांपा और कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहिए था। मैं अब भी इसके साथ खड़ा हूं। हम सभी खुश हैं।”

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