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मोदी सरकार ने कहा- महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ के 50 जिलों में बेरोक टोक तोड़े जा रहे नियम

नई दिल्ली। मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा भेजी गई टीमों ने रिपोर्ट (Report) दी है कि महाराष्ट्र(Maharashtra), पंजाब( Punjab) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित 50 जिलों में कोविड-19 नियमों का पालन नहीं हो रहा है। इन जिलों में कोरोना वायरस (Corona Virus) के खिलाफ अभियानों को अंजाम देने के लिए न तो पर्याप्त संख्या बल है और न ही पर्याप्त जांच हो रही है।



केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) ने टीमों की रिपोर्ट के आधार पर इन तीनों राज्यों को पत्र लिखकर चेताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने तीनों राज्यों में कोरोना जांच, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान, कंटेनमेंट जोन अभियान, स्वास्थ्य सेवा कार्यबल, अस्पतालों के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता को लेकर सवाल खड़ा किया है।
50 सबसे प्रभावित जिलों में 30 तो महाराष्ट्र के ही हैं, जबकि 11 छत्तीसगढ़ और 9 पंजाब के हैं। स्वास्थ्य सचिव ने यह भी कहा है कि केंद्र ने टीके की उपलब्धता को भी संज्ञान में लिया है और मौजूदा भंडार के आधार पर तेजी से जरूरी आपूर्ति की जा रही है।

पंजाब: पटियाला और लुधियाना में संपर्कों की पहचान में कमी
केंद्रीय टीमों ने अपनी रिपोर्ट में पटियाला और लुधियाना जैसे जिलों में संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने और निगरानी के उपायों पर जोर दिया है। टीम ने कहा है कि रूपनगर में कोरोना कर्मियों की कमी से व्यवस्था प्रभावित हो रही है। पटिलाया में जांच कम है और रूपनगर में कोई आरटी-पीसीआर टेस्टिंग लैब भी नहीं है।
इसके अलावा रूपनगर और साहिबजादा अजीत सिंह नगर में कोरोना मरीजों के लिए समर्पित कोई अस्पताल भी नहीं है। ऐसे में मरीजों को चंडीगढ़ भेजा जा रहा है। इसके साथ ही टीम ने पटियाला और लुधियाना में 45 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों को टीकाकरण की रफ्तार धीमी होने की बात भी कही है।

महाराष्ट्र: जांच रिपोर्ट देर से मिलने से हो रही ज्यादा मौतें
स्वास्थ्य सचिव ने कहा, महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में 30 केंद्रीय टीमें लगाई गई हैं। टीमों की रिपोर्ट में कोरोना वायरस संबंधी नियमों के पालन में गड़बड़ी, ऑक्सीजन और वेटिंलेटर की कमी के साथ ही निगरानी और संपर्कों की पहचान करने जैसी कमियां सामने आई हैं। सतारा, सांगली और औरंगाबाद में बहुत कम कंटेनमेंट अभियान चलाए गए, जो संतोषजनक नहीं हैं। बुलढाणा, सतारा, औरंगाबाद और नांदेड़ में भी यही हालत हैं। बुलढाणा में ज्यादातर मामले कंटेनमेंट जोन के बाहर से आ रहे हैं, ऐसे में इस जोन का दायरा बढ़ाए जाने की जरूरत है।
वहीं, सतारा, भंडारा, पालघर, अमरावती, जालना और लातूर जिले में जांच क्षमता पर भारी दबाव है। रिपोर्ट आने में देरी हो रही है, जिससे 72 घंटे के अंदर इलाज के अभाव में ज्यादा मौतें हो रही हैं। सतारा इस मामले में सबसे आगे है। नांदेड़ और बुलढाणा में आरटी-पीसीआर टेस्ट बहुत कम हो रहे हैं। बुलढाणा में जांच को लेकर आम लोगों का विरोध भी देखने को मिला है। ज्यादातर मरीज घर पर ही आइसोलेशन में हैं, जिनकी निगरानी की जरूरत है, मगर अभी ऐसा नहीं हो रहा है।
अहमदनगर, औरंगाबाद, नागपुर और नंदूरबार में ऑक्सीजन और वेंटिलेटरों समेत चिकित्सा उपकरणों की बहुत ज्यादा मांग है। अस्पतालों में बिस्तर भरे पड़े हैं। अहमदनगर जिले के मरीजों को पास के अस्पतालों में भेजा जा रहा है। भंडारा, पालघर, उस्मानाबाद और पुणे में चिकित्सा आपूर्ति की समस्या है। सतारा और लातूर जैसे जिलों में वेंटिलेटर ठीक से काम नहीं कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़: कंटेनमेंट जोन में आवाजाही पर कोई रोक नहीं
छत्तीसगढ़ के जिलों में तैनात केंद्रीय टीमों ने रायपुर और जशपुर में कंटेनमेंट जोन में खामियां बताई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कंटेनमेंट जोन में लोगों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं है। सूक्ष्म स्तर पर कड़ाई के साथ कंटेनमेंट जोन बनाए जाएं। कोरबा जिले में संपर्क में आए लोगों की पहचान पर बल दिए जाने की आवश्यकता है। कंटेनमेंट जोन में गतिविधियों और कोरोना जांच को लेकर लोगों के विरोध को रोका जाना चाहिए। कोरबा, दुर्ग और बालोद जिले में आरटी-पीसीआर जांच सुविधा की कमी है।

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