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मप्रः खजुराहो नृत्य समारोह के खास मेहमान होंगे कई देशों के राजदूत

छतरपुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी (world famous tourist city) खजराहो (Khajraho) में इस साल 20 फरवरी से सात दिवसीय 48वें खजुराहो नृत्य समारोह (48th Khajuraho Dance Festival) का भव्य आगाज होने जा रहा है। प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल इस समारोह का रविवार शाम को शुभारंभ करेंगे। इस बार इस समारोह में कई देशों का राजदूत खास मेहमान बनने जा रहे हैं।

मप्र पर्यटन और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने शनिवार शाम को बताया कि आकर्षक और मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियों के कारण खजुराहो नृत्य समारोह देश के साथ ही विदेशों में भी अपनी अलग पहचान बना रहा है। रविवार से शुरू हो रहे 48वें खजुराहो नृत्य समारोह की प्रस्तुतियों के साक्षी बनने के लिए कई देशों के राजदूत और उच्चायुक्त सहपरिवार खजुराहो पहुंच रहे हैं। वियतनाम, ब्रूनेई, फिनलैंड, मलेशिया और लाओ के राजदूत और उच्चायुक्त के साथ ही अन्य 3 देशों के हेड ऑफ मिशन खजुराहो नृत्य समारोह के शुभारंभ में सम्मिलित होंगे।


प्रमुख सचिव शुक्ला ने बताया कि वियतनाम के राजदूत फाम सान चाऊ, लाओ राजदूत बौनेमे चौआंगहोम, फिनलैंड राजदूत ऋत्वा कौक्कू-रोंडे, ब्रूनेई के उच्चायुक्त दातो अल्हिदुद्दीन मोहम्मद तहा और मलेशिया के उच्चायुक्त हामिद अब्दुल हिदायत सहपत्निक शनिवार को खजुराहो पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी विश्व विख्यात कलाकार अपनी नृत्य प्रस्तुतियां देंगे। पर्यटकों की विशेष मांग पर दिल्ली से खजुराहो के लिए स्पाइसजेट की फ्लाइट सेवा शुरू की गई है।

समारोह में भारतीय नृत्य-शैलियों के सांस्कृतिक परिदृश्य एवं कला-यात्रा की प्रदर्शनी कथक पर एकाग्र-नेपथ्य, भारत सहित विश्व के अन्य देशों की कला प्रदर्शनी आर्ट-मार्ट, कलाकार और कलाविदों का संवाद-कलावार्ता, वरिष्ठ चित्रकार लक्ष्मीनारायण भावसार के कला अवदान पर एकाग्र प्रदर्शनी- प्रणति, देशज ज्ञान एवं परम्परा का मेला-हुनर के साथ कला परंपरा और कलाकारों पर केन्द्रित फिल्मों का उपक्रम-चलचित्र जैसे प्रमुख आयोजन होंगे।

खजुराहो में मंदिरों के दीदार कर मंत्रमुग्ध हुए राजदूत, जाना मंदिरों का इतिहास
विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो में 48वां खजुराहो नृत्य समारोह 20 फरवरी से 26 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में विश्व विख्यात कलाकार अपनी नृत्य प्रस्तुतियां देंगे। इस कार्यक्रम में दूसरे अन्य देशों के उच्चायुक्त व राजदूत शिरकत करेंगे। कार्यक्रम को देखने शनिवार को कई देशों के उच्चायुक्त खजुराहो पहुंचे। विदेशी मेहमानों ने शाम को खजुराहो के ऐतिहासिक स्थलों को जाकर देखा, साथ ही इन स्थलों के इतिहास को जाना और स्थलों के बारे में जानकर काफी सराहना की।

ऐतिहासिक नगरी खजुराहो के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी पर्यटन विभाग के द्वारा उपलब्ध कराई गई। इस दौरान विभिन्न देशों के राजदूत कई घंटों मन्दिर परिसर में बिताया। जहां उन्होंने खजुराहो के इस गौरवशाली इतिहास को जाना। खजुराहो प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्व विख्यात हैं। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में खजूरपुरा और खजूर वाहिका के नाम से भी जाना जाता था।

भारत मे 20 लाख से अधिक हिन्दू मंदिर है। यंग मंदिर भारतीय संस्कृति की विविधता और जीवन प्रणाली को दर्शाते है। खुजराहो के मंदिर नागर शैली के मंदिरों का एक अद्भुत उदाहरण है। क्योंकि मंदिरों में एक गर्भगृह एक छोटा आंतरिक कक्ष एक अनुप्रस्थ भाग, (महामण्डप) अतिरिक्त सभागृह (अर्ध मंडप) एक मंडप या बीच का भाग और एक चल मार्ग (प्रदिक्षणा मार्ग) जो बड़ी खिड़कियों के साथ है।

खुजराहो अपने सुशोभनीय मंदिरों के लिए प्रिसिद्ध है। इसे चंदेल शासकों द्वारा 900 ईस्वी से 1130 ईस्वी के बीच बनाया गया था। ऐसा कहा जाता है। कि यह मंदिर 20 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए थे। और बारहवीं शताब्दी में यहां लगभग 85 मंदिर थे। चंदेल साम्राज्य का दसवीं से चौदहवीं शताब्दी तक मध्य भारत पर शासन किया था। हिन्दू मंदिर निर्माण की एक प्रमुख विशेषता यह है कि मंदिर का मुख सूर्योदय की दिशा में होना चाहिए। खजुराहो में सभी मंदिरों का निर्माण इसको ध्यान में रख कर किया गया है। इसके अलावा इसकी नक्काशी हिन्दू धर्म में जीवन के चार लक्ष्यों अर्थात धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को दर्शाती है।

एक सिद्धांत का मानना है कि इन मंदिरों के निर्माण को शिव-शक्ति संप्रदाय के प्रसार के रूप में माना जा सकता है। यह सिद्धांत है कि यह मंदिर देवदासिया जो कभी मंदिर की गतिविधियों का एक प्रमुख भाग थी। उनका प्रतिनिधित्व करते है। खुजराहो के मंदिर में देव दासियों बनने के लिए सबसे सुंदर महिलाओं को मगध मालवा और राजपूताना से लाया जाता था। सुदरियों जो मंदिर की आंतरिक और बाहरी दीवारों पर है। उनको वास्तविक जीवन से लिया गया और देवी-देवताओं की मूर्तियों के साथ स्थापित किया गया है। नृत्य समारोह शुरु होने के पूर्व विभिन्न देशों से आये राजदूतों ने खजुराहो नगर का भ्रमण भी किया। (एजेंसी, हि.स.)

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