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MP: फंस गया 1962 War का चीनी सैनिक, भारत में साबित करनी होगी पहचान, नहीं मिल रहा वीजा

छतरपुर: एक पूर्व चीनी सैनिक, जिन्होंने 1974 में भारत में शादी की और 2017 में पहली बार अपने मूल देश चीन लौटे! अब फिर भारत में है. वह चीन में वापसी के लिए वीजा मांग रहे हैं. लेकिन, इतने सालों तक भारत में रहने के बाद भी उनके लिए पहचान का संकट खड़ा हो गया है. हालांकि, पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन अब उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है. वह चीन जाकर अपने परिवार से मिलना चाहते हैं. लेकिन, लेकिन विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (FRRO) ने उनसे उनकी पहचान के लिए साक्ष्य मांग लिए हैं. वांग क्यू उर्फ राज बहादुर वांग को 1962 के युद्ध के बाद भारत के खिलाफ जासूसी करने के आरोप में पकड़ा गया था.

गौरतलब है कि, पकड़े जाने के समय वे 26 वर्ष के थे. हाल ही में उनकी उम्र 84 वर्ष हो गई है. उनके जीवन के अधिकांश समय तक, उन्हें चीनी अभिलेखों में मृत मान लिया गया था. उन्होंने जद्दोजहद की और दस्तावेज देखने के बाद चीन ने उनका पासपोर्ट रिन्यू कर दिया है. लेकिन, भारत में उनके सामने संकट खड़ा हो गया है. वांग क्यू ने बताया कि उनके पास उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर वे पूर्व में 3 बार चीन जा चुके हैं. उस वक्त कभी नाम को लेकर कोई परेशानी नहीं हुई. पर, अब हो रही है. मुझे भारत यहां से जाने के लिए निकासी वीजा नहीं दे रहा. उन्होंने कहा कि अब वे उम्र के अंतिम पड़ाव में. अपने परिवार से एक बार फिर मिलना चाहते हैं. उनकी तबीयत भी ठीक नहीं रहती. इसलिए उन्होंने भारत सरकार से चीन वापस जाने के लिए वीजा देने की मांग की है.


दिलचस्प है चीन के पूर्व सैनिक की कहानी
बता दें, 1969 में अपनी रिहाई के बाद,वांग बालाघाट जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूर तिरोड़ी गांव में बस गए थे. उनकी शारीरिक विशेषताओं के कारण, उनके सहकर्मी उन्हें ‘राज बहादुर’ कहने लगे. 1974 में, उन्होंने सुशीला मोहिते नाम की स्थानीय लड़की से शादी की और एक परिवार शुरू किया. उनके परिवार में पांच बच्चे हुए. 2019 में सुशीला का निधन हो गया.

बेटे ने बयां किया पिता का दर्द
वांग क्यू उर्फ राज बहादुर के बेटे विष्णु वांग ने अपने पिता के दर्द को बयां किया. उन्होंने कहा कि मेरे पिता अपने परिवार से मिलना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें अपने चीनी पासपोर्ट पर भारत सरकार से एक्जिट वीजा की आवश्यकता है. उन्होंने कुछ महीने पहले वीजा रिन्युअल के लिए आवेदन किया है. एफआरआरओ अधिकारियों ने उनसे यह साबित करने के लिए कहा है कि वांग क्यू और राज बहादुर एक ही व्यक्ति है. इस पूरे मामले में बालाघाट कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा ने कहा कि मुझे इस बारे में जानकारी मीडिया के माध्यम से ही मिली है. उनकी समस्या के निराकरण के लिए नियमानुसार जो भी मदद होगी वह जिला प्रशासन करेगा.

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