मध्‍यप्रदेश राजनीति

MP : क्‍या बेटे को CM बनाकर पिता का सपना पूरा करेगी BJP? राज्य के सियासी गलियारों में गूंज रहा सवाल

भोपाल (Bhopal) । मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के विधानसभा चुनाव (Assembly Election ) के पहले क्या भारतीय जनता पार्टी (BJP) केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप कर स्वर्गीय माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) का सपना पूरा कर सकती है? यह सवाल इन दिनों राज्य के सियासी गलियारों में और दिग्गज नेताओं के बीच चर्चा का विषय बन चुका है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को एमपी में मुख्यमंत्री (Chief Minister) की कुर्सी देखकर बीजेपी एक तीर से दो शिकार कर सकती है. इस फैसले से कांग्रेस (Congress) के सामने भी बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी.

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 10 मार्च को स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की 78वीं जयंती के अवसर पर ग्वालियर में आयोजित कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. इस दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित बीजेपी के कई दिग्गज नेता भी ग्वालियर पहुंचने वाले हैं. इस दौरान 10 मार्च को सबसे पहले खेल मैदान से मैराथन दौड़ की शुरुआत होगी, जिसे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया हरी झंडी बताकर रवाना करेंगे.

इसके अलावा दोपहर में शिवपुरी में माधव नेशनल पार्क में टाइगर छोड़े जाएंगे. इसके अलावा 10 मार्च को ही सिंधिया छत्री पर भजन संध्या का आयोजन किया जा रहा है. इसमें भी बीजेपी के कई दिग्गज नेता शामिल होंगे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी शामिल होने की पूरी संभावना है.


दो बार मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे माधवराव सिंधिया
इतिहास गवाह है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ गहरी मित्रता रह चुकी है. मध्य प्रदेश में जब पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की कुर्सी पर 1989 में चुरहट मामला सामने आने के बाद खतरा मंडराया था, उस समय मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पहला नाम माधवराव सिंधिया का सामने आया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चाहते थे कि माधवराव सिंधिया को एमपी का मुख्यमंत्री बनाया जाए, मगर अर्जुन सिंह ने मोतीलाल वोरा के नाम पर सहमति जताते हुए विधायक दल का फैसला करा दिया.

इसके बाद साल 1993 में भी मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में माधवराव सिंधिया का नाम सबसे ऊपर आया था, लेकिन उस समय भी केंद्रीय राजनीति में सक्रिय अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया. इस प्रकार दो बार माधवराव सिंधिया मुख्यमंत्री बनते बनते रह गए. अब सवाल उठ रहा है कि क्या माधवराव सिंधिया का मुख्यमंत्री बनने का सपना ज्योतिरादित्य सिंधिया पूरा करेंगे और बीजेपी इसके लिए कदम आगे बढ़ाएगी?

कांग्रेस के लिए खड़ी हो सकती है बड़ी मुश्किल
अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश की कमान सौंप दी जाती है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस के सामने बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को टक्कर देने के लिए कांग्रेस में फिलहाल कोई भी ऐसा चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है. कांग्रेस अभी भी शिवराज सिंह चौहान से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया पर फोकस कर रही है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की हर रणनीति और चाल से अच्छी तरह वाकिफ है.

इसके अलावा, अगर बीजेपी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम बनाती है तो कांग्रेस में बगावत और बढ़ जाएगी. कांग्रेस के कई बड़े नेता का रूझान बीजेपी की ओर आ सकता है. इसके अलावा, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को केंद्र की राजनीति में ले जाने का महत्वपूर्ण फैसला भी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए लाभकारी साबित होगा.

क्या कहते हैं सिंधिया समर्थक और विरोधी?
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक और पूर्व विधायक राजेंद्र भारती के मुताबिक यदि केंद्रीय नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान को केंद्र की जिम्मेदारी सोपता है तो निश्चित रूप से मुख्यमंत्री पद की दौड़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम पहली पंक्ति में है. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जन-जन के नेता हैं. यदि बीजेपी के नेतृत्व में उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का मौका मिलेगा तो निश्चित ही कांग्रेस की मुश्किल है खड़ी हो जाएगी.

पूर्व मंत्री और विधायक सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी चुनाव लड़ती है तो भी बीजेपी की जनविरोधी नीतियां कांग्रेस को मजबूती की ओर आगे बढ़ाएंगी. उनका उहना है कि बीजेपी केवल खुद के मन की बात ही कर रही है. यही सिलसिला भोपाल से दिल्ली तक चल रहा है, इसलिए पूरी बीजेपी में उथल-पुथल मची हुई है.

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