नई दिल्ली । महाराष्ट्र की अमरावती सीट से सांसद (MP from Amravati seat of Maharashtra) नवनीत राणा (Navneet Rana) को सुप्रीम कोर्ट से (From Supreme Court) बड़ी राहत मिली (Got Big Relief) । शीर्ष अदालत ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को पलट दिया जिसमें लोकसभा सदस्य के अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया गया था ।
न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा , “हमारे विचार में स्क्रूटिनी कमेटी का आदेश संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के योग्य नहीं है।” पीठ ने कहा कि स्क्रूटिनी कमेटी ने नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए सभी पक्षों को विस्तार से सुना। समिति में न्यायमूर्ति संजय करोल भी शामिल थे।
इससे पहले जून 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी, जिसने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से सांसद राणा के जाति प्रमाणपत्र को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करके हासिल किया गया था। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी कि उच्च न्यायालय को इस मामले को नए सिरे से विचार के लिए वापस समिति के पास भेजना चाहिए था। अपनी विशेष अनुमति याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि ‘मोची’ और ‘चमार’ शब्द पर्यायवाची हैं, और स्क्रूटिनी कमेटी ने उसके सामने प्रस्तुत मूल रिकॉर्ड के आधार पर उनकी जाति तय की थी।
उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ताओं के दावे पर समिति के फैसले को पलट दिया था क्योंकि सतर्कता समिति ने पाया था कि दस्तावेज़ फर्जी थे। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था, जिसे राणा को दो सप्ताह के भीतर महाराष्ट्र कानूनी सेवा प्राधिकरण के पास जमा करना था। पहली बार सांसद बनी राणा 2019 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अमरावती सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी रही थीं। उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अमरावती से मैदान में उतारा है।
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