इंदौर न्यूज़ (Indore News)

अब पार्किंग पर भी संपत्तिकर वसूलेगा निगम

  • सी-21 मॉल की पार्किंग पर कोर्ट का फैसला
  • शहर मेें सैकड़ों व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने पार्किंग के लिए छोड़ी जगह, पर संपत्तिकर की अदायगी करना पड़ेगी
  • पांच गुना दंड को कोर्ट ने गलत माना, फिर से करना होगा निर्धारण

इंदौर।  नगर निगम अब पार्किंग पर भी संपत्तिकर वसूल सकेगा। सी-21 शॉपिंग मॉल की पार्किंग पर निगम द्वारा लगाए गए संपत्तिकर के खिलाफ गए मॉल संचालक को कोर्ट ने संपत्तिकर से तो राहत नहीं दी, लेकिन पांच गुना दंड को गलत माना है। अब निगम को इसका फिर से निर्धारण करना होगा।

सूत्रों के अनुसार निगम के उपायुक्त ने 17 अगस्त को जारी आदेश में मॉल के बेसमेंट नंबर 2 व 3 के वार्षिक भाड़ा मूल्य हेतु शामिल कर उस पर पांच गुना शास्ति यानी दंड करते हुए संपत्ति कर थोपा था। इसके खिलाफ मॉल के संचालक प्रभजोत कौर व उसके पति गुरजीतसिंह छाबड़ा ने जिला कोर्ट में अपील लगाकर इस कार्रवाई को मनमाना बताते हुए पार्किंग की जगह पर भी संपत्तिकर की वसूली को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगाने की मांग की थी। उनका कहना था कि बेसमेंट पार्किंग के रूप में उपयोग होते हैं और पार्किंग के लिए मॉल में आने वाले आगंतुकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है, इसलिए बेसमेंट की जमीन पर संपत्तिकर में शामिल कर दंड थोपा जाना अनुचित है। उन्होंने कुछ न्यायदृष्टांत भी पेश किए थे। उनका यह भी कहना था कि उन्होंने 12 साल से पार्किंग पर कभी संपत्तिकर नहीं दिया है। इसके विपरीत निगम का कहना था कि मप्र नगरपालिका अधिनियम के प्रावधानों के तहत वह पार्किंग पर भी संपत्तिकर ले सकता है, क्योंकि पार्किंग भी ‘भवनÓ के दायरे में आता है। नवम जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश संदीपकुमार पाटिल ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद माना कि पार्किंग की जगह भी धारा 5 (7) में भवन की परिभाषा के दायरे में आती है, जिस पर संपत्तिकर लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने याचिका में आपत्ति का निराकरण कर निगम को संपत्तिकर का आदेश दिया था। इसके पालन में निगम ने अपीलार्थी को सुनवाई का मौका देकर आदेश जारी किया है, लेकिन 17 अगस्त का आदेश अवैध है, क्योंकि निगम ने नियम 11 के तहत गलत तरीके से पांच गुना शास्ति थोपी थी, जिसका पुनर्निर्धारण किया जाना जरूरी है। ऐसे में उन्होंने अपील को आंशिक रूप से स्वीकारते हुए बेसमेंट की पार्किंग पर संपत्तिकर वसूले जाने को तो सही माना, किंतु उपायुक्त को पूर्व में तय की हुई दंड की राशि को गलत ठहराते हुए पुनर्निर्धारित करने के आदेश दिए हैं। अदालत का यह फैसला अब उन सभी भवनों पर लागू होगा, जिनके पार्किंग वाणिज्यिक उपयोग के लिए निर्धारित किए गए हैं।

12 साल से नहीं भरा था पार्किंग पर संपत्तिकर, अब उठा मुद्दा
आईडीए की स्कीम 54 में पीयू-4 के प्लॉट लेकर अपीलार्थी छाबड़ा दंपति ने वहां वर्ष 2006 में मॉल निर्माण शुरू किया था, जो 2007 में पूरा होकर 2009 से पूर्णता प्रमाण पत्र के बाद मॉल के रूप में संचालित होने लगा था। अपीलार्थी ने व्यावसायिक उपयोग के समस्त क्षेत्रफल (बेसमेंट को छोड़कर) पर संपत्तिकर भी चुकाया था। इस साल 9 मार्च को उपायुक्त ने दर्शाए क्षेत्र व उपयोग में आ रहे क्षेत्र में अंतर करते हुए पार्किंग पर वार्षिक भाड़े पर संपत्तिकर देय होना माना था और नोटिस जारी किया था। इसके बाद 13 जुलाई को पांच गुना दंड ठोंका था। इस आदेश के खिलाफ अपीलार्थी छाबड़ा दंपति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि निगम अपीलार्थी की आपत्ति को सुनकर उसका निपटारा करे। इसके बाद भी निगम ने अपना आदेश बरकरार रखा तो छाबड़ा दंपति ने सिविल कोर्ट में अपील दायर कर उपायुक्त के 17 अगस्त के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।

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