सर्वर ठप होने के कारण रजिस्ट्री करवाने वाले कल भी हुए परेशान, टारगेट पूरा करने की चुनौती
इंदौर। पंजीयन विभाग में इन दिनों रजिस्ट्री करवाने की भीड़ उमड़ रही है। हालांकि स्लॉटों की संख्या भी बढ़ाई गई है। मगर कल शाम सर्वर ठप होने के चलते स्लॉट (Slot) बुकिंग के साथ रजिस्ट्री करवाने पहुंचे लोगों को परेशान होना पड़ा और रात 9 बजे तक रजिस्ट्रियां (registries) होती रही। विभाग की सफाई है कि लोड बढऩे के कारण नहीं, बल्कि इस बार तकनीकी कारणों से सर्वर डाउन बढ़ा। हालांकि यह आम शिकायत है। दूसरी तरफ 1 अप्रैल से बढ़ी हुई गाइडलाइन (guideline) लागू हो जाएगी। इस बार सबसे अधिक वृद्धि 70 फीसदी तक उज्जैन रोड और सुपर कॉरिडोर पर की जा रही है, जो कि इस पूरे वित्त वर्ष में रजिस्ट्रियों के मामले में नम्बर वन रहा। इन क्षेत्रों में 200 से अधिक नई कॉलोनियां भी विकसित हो गई। साथ ही प्राधिकरण के व्यवसायिक भूखंडों की मांग में भी सुपर कॉरिडोर पर इजाफा देखा गया और कई भूखंडों की खरीदी-बिक्री भी हुई।
पंजीयन विभाग को 31 मार्च तक 2540 करोड़ का अपना टारगेट पूरा करना है। जबकि 2200 करोड़ रुपए उसे कल तक हासिल हो गए और अब बचे 10 दिनों में लगभग ढाई सौ करोड़ और हासिल करना है। सिर्फ धुलेंडी के दिन ही अवकाश रहेगा। अन्य सभी दिनों में रजिस्ट्रियां शनिवार-रविवार सहित की जा रही है। वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक कुमार शर्मा (Senior District Registrar Deepak Kumar Sharma) से जब यह पूछा गया कि कल भी सर्वर डाउन होने के कारण कई लोगों को परेशान होना पड़ा, तो उन्होंने कहा कि तकनीकी कारणों से कुछ समय के लिए सर्वर डाउन हुआ। मगर स्लॉट अलॉटमेंट के आधार पर रात तक रजिस्ट्रियां की जाती रही। दूसरी तरफ केन्द्रीय मूल्यांकन समिति ने पिछले दिनों इंदौर की गाइडलाइन आगामी वित्त वर्ष के लिए औसतन 20 फीसदी बढ़ाने की अनुमति दे दी। वहीं कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर यह वृद्धि 70 फीसदी तक हो जाएगी। दरअसल ये वे क्षेत्र हैं जहां पर सबसे अधिक जमीनों-भूखंडों या अन्य सम्पत्तियों के सौदे तो हुए ही, साथ ही सबसे अधिक रजिस्ट्रियां भी हुई हैं। अभी तक 1 लाख 60 हजार से ज्यादा दस्तावेजों का पंजीयन हो चुका है, जिनमें सर्वाधिक रजिस्ट्रियां उज्जैन रोड और सुपर कॉरिडोर पर हुई है और सबसे अधिक तेजी भी इन क्षेत्रों में रही। महाकाल लोक बनने के बाद इंदौर से उज्जैन के बीच कई प्रोजेक्ट आ रहे हैं और धड़ाधड़ कॉलोनी भी कटने लगी। खासकर उज्जैन-सांवरे के बीच ही दर्जनों कॉलोनियां विकसित की जा रही है। यही स्थिति सुपर कॉरिडोर की भी है। उज्जैन रोड पर ट्रैफिक बढऩे और सालभर में ही सुपर कॉरिडोर पर मेट्रो के संचालन की सुगबुगाहट के चलते भी यहां पर तेजी है।
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