इंदौर न्यूज़ (Indore News)

पटाखा दुकानों-गोदामों पर टूट पड़े अफसर… कारखाना निरीक्षक पर भी गिरी गाज

  • कलेक्टर के बनाए जांच दलों ने जिले के सभी पटाखा कारोबारियों के ठिकानों पर डाले छापे, एफआईआर भी करवाई दर्ज, गवाही देने नहीं पहुंचे निरीक्षक को कर दिया निलंबित

इंदौर। हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाकों की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई दे रही है और सभी जिलों के कलेक्टर पटाखा दुकानों-गोदामों के खिलाफ कार्रवाई में जुट गए। इंदौर में भी सभी पटाखा कारोबारियों के ठिकानों पर कलेक्टर के निर्देश पर छापे डाले गए और 16 से अधिक दुकानें, गोदाम, फैक्ट्री सील कर दी और कुछ एफआईआर भी दर्ज कराई है। दूसरी तरफ 9 साल पहले हरदा में ही अग्रवाल फायर वक्र्स कारखाने का निरीक्षण करने और वहां गड़बडिय़ों के बाद कोई कार्रवाई ना करने और यहां तक कि कोर्ट में मुख्य साक्षी होने के बावजूद गवाही देने उपस्थित ना होने वाले कारखाना निरीक्षक को भी कल श्रम विभाग ने निलंबित कर दिया।


वहीं मुख्यमंत्री ने हरदा कलेक्टर और एसपी की रवानगी अपने हरदा दौरे के तुरंत बाद ही करवा दी। ऐसा लगता है मानों किसीबड़ी घटना के बाद ही शासन-प्रशासन की नींद खुलती है। पेटलावद के साथ-साथ इंदौर के रानीपुरा में भी पटाखा दुकानों में आगजनी की बड़ी घटना हो चुकी है और तात्कालिक रूप से ही कार्रवाई की जाती है। उसके बाद फिर राजनीतिक दबाव-प्रभाव के चलते कारोबार शुरू हो जाता है। सूत्रों का कहना है कि हरदा के मामले में भी अफसरों पर जो ऊंगलियां उठ रही है उसके पीछे की हकीकत यह भी है कि ये फैक्ट्रियां अफसरों के साथ-साथ राजनीतिक संरक्षण के चलते भी कार्रवाई से बची रही और जब कलेक्टर ने लाइसेंस निरस्त किया तो तत्कालीन संभागायुक्त पर भी एक पूर्व मंत्री ने ही दबाव बनाकर लाइसेंस की बहाली करवाई थी। कल हरदा हादसे के पीडि़तों से मिलने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पहुंचे। उसके तुरंत बाद शासन से कलेक्टर-एसपी के तबादला आदेश जारी हो गए। वहीं श्रम विभाग ने भी 2015 में अग्रवाल फायर वक्र्स पर बनाए प्रकरण के मामले में कारखाना निरीक्षक नवीन कुमार बरवा को कल निलंबित कर दिया। दरअसल अभी यह सवालउठ रहा है कि हरदा में पहले भी हादसा हुआ और अभी जो मुख्य आरोपी है वह बच निकला, क्योंकि कोर्ट में उसके खिलाफ गवाही देने कारखाना निरीक्षक उपस्थित ही नहीं हुए।

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