- अभी तक महापौर आरक्षण तय नहीं, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव को लेकर भी पूरे प्रदेश में बनी है असमंजस की स्थिति
इंदौर। ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद माना जा रहा है कि प्रदेश की 14 नगर निगमों में महापौर की एक सीट बढ़ सकती है। फिलहाल महापौर आरक्षण के लिए अभी आरक्षण की तारीख तय नहीं की गई है और न ही यह तय है कि इस पद के लिए जनता सीधे मतदान करेगी या फिर चुने हुए पार्षद महापौर चुनेंगे।
फिलहाल दोनों ही मामलों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इंदौर में महापौर का आरक्षण अनारक्षित श्रेणी में हुआ है, जिस पर सामान्य और पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों की नजर है। कांग्रेस ने सामान्य वर्ग से आने वाले विधायक संजय शुक्ला को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया है। शुक्ला ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल वे अपनी विधानसभा के लोगों के साथ अयोध्या की यात्रा पर है। दूसरी ओर भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली कहावत साबित हो रही है। बड़ी संख्या में भाजपा में महापौर का चुनाव लडऩे का सपना संजोए वरिष्ठ नेता और कई युवा नेता बैठे हुए हैं।
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय खुद कह चुके हैं कि भाजपा में 20 से अधिक महापौर पद के दावेदार हैं। इनमें सामान्य वर्ग और ओबीसी वर्ग के ही दावेदार महापौर आरक्षण की राह तक रहे हैं। अभी महापौर आरक्षण के लिए तारीख घोषित नहीं की गई है और न ही अभी यह तय है कि महापौर अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुने जाएंगे या प्रत्यक्ष प्रणाली से। राजनीतिक जानकारों का कहना हैकि प्रदेश में 16 नगर निगम में एक सीट ओबीसी आरक्षण के चलते बढ़ सकती है। अब ये सीट कौनसी होगी, यह आरक्षण के दौरान ही पता चल सकेगा। अगर यह सीट इंदौर होती है तो कांग्रेस और भाजपा के दावेदारों के समीकरण ही बदल जाएंगे।
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