इंदौर न्यूज़ (Indore News)

युवतियां ही कर रही हैं पुरुषों से रेप, पहले आरोप, फिर इनकार

  • इज्जत से खिलवाड़ या कानून से…
  • कहीं पैसों की भरपाई तो कहीं दबाव बनाने के लिए रेप की रिपोर्ट

इंदौर, बजरंग कचोलिया। शहर में बलात्कार के अपराधों में कमी नहीं हो रही, लेकिन पुलिस थानों में दर्ज बलात्कार के प्रकरण कोर्ट में जाकर बेदम हो जाते हैं। अधिकांश प्रकरणों में महिलाएं ही बयान बदल रही हैं और मुलजिम से बाले-बाले राजीनामा करके पुलिस को दिए बयान से मुकरती जा रही हैं। एक शरीफ आदमी जब अदालत से ‘बेदाग’ साबित होकर छूटता है, तब तक समाज में उसकी इज्जत धूल-धूसरित हो चुकी होती है। सवाल यह उठता है कि महिला अपराधों को रोकने में आगे रहने वाली सरकार इसके लिए अलग से कोई कानून क्यों नहीं लाती, ताकि ऐसी महिलाएं रेप के झूठे केस दर्ज कराकर कानून से खिलवाड़ नहीं कर सकें।

भैया बनने चला सैंया… फिर उधारी का विवाद बताया
फरियादिया ने वर्ष 2019 में विजयनगर थाने में रिपोर्ट लिखाई थी कि वह पांच साल से पति से अलग रह रही थी। उसके दो बच्चे भी हैं। प्रापर्टी खरीदने के सिलसिले में उसकी मुलाकात प्रापर्टी डीलर रूबाव खान निवासी बेटमा से हुई थी। उसने घर आने-जाने के कारण राखी-डोरे का भाई बना लिया था। 11 फरवरी 2018 को रूबाव ने उसे मेघदूत गार्डन बुलाया और एकांत में उससे जबदस्ती की। फिर जब मौका मिलता उससे खोटा काम करता था। 8 नवंबर 2019 को भी उसने स्कीम नंबर 54 में विजया बैंक के पास बुलाया और शादी करने को कहा। जब फरियादिया ने इनकार किया तो उसे सरेआम पीटा व गालियां देकर धमकाया। मामला अदालत में चला तो फरियादिया ही पलट गई और कहा कि उसने तो रूबाव को मकान खरीदने के लिए 51 हजार रूपए दिए थे, जो वह नहीं लौटा रहा था। इस कारण अपने पति के साथ जाकर उसके खिलाफ थाने में धोखाधड़ी की शिकायत की थी। उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष बंद कमरे में दिए बयान को लेकर भी कहा कि ‘अब उसे याद नहीं है कि पहले क्या कहा था’।


पत्नी बनाकर रखा, रेप की रिपोर्ट लिखाई, फिर मुकरी
फरियादिया ने वर्ष 2019 में एमआईजी थाने में रिपोर्ट लिखाई थी कि वह पति का घर छोडक़र माता-पिता के पास रह रही है। वह एक कालोनी में बहन के घर जाती रहती थी, जहां पास में ही मुलजिम राहुल नामदेव रहता था। उसने कहीं से उसका मोबाइल नंबर ले लिया और फिर जॉब दिलाने के बहाने फोन करने लगा। एक दिन अपने ही ऑफिस में नौकरी देने का झांसा देकर से 30 अक्टूबर 2016 को बांबे अस्पताल के पीछे अंकित के फ्लैट पर ले जाकर उसकी गर्दन पर चाकू रख दिया और उससे दुष्कर्म किया। बाद में उसके अश्लील फोटो होने की बात कहकर उससे शादी करने की मंशा जताई। इसके बाद पहले नंदानगर, फिर महालक्ष्मीनगर में पत्नी बनाकर रखा। मामला जज चारूलता दांगी के समक्ष चला तो कोर्ट में फरियादिया ही पुलिस को रिपोर्ट लिखाकर मुकर गई। उसने कहा कि मुलजिम से बातचीत करना उसकी मां व भाई को पसंद नहीं था, इसलिए उसने राहुल से बात बंद कर दी तो वह रिपोर्ट लिखाने वाले दिन हंगामा करने लगा था। पुलिस उसे समझाइश दे सके, इसलिए उसने रिपोर्ट लिखाई थी। उसके साथ बलात्कार की कोई घटना नहीं हुर्ई और न वह कहीं मुलजिम के साथ रही।

कानून में है प्रावधान, किंतु जहमत कौन उठाए…
भारतीय दंड संहिता की धारा 192 व 211 में प्रावधान है कि झूठी रिपोर्ट करने या गवाही देने वालों पर पुलिस कार्रवाई कर सकती है, पर ये कानून सिर्फ किताबों तक सीमित है। अधिकांश मामलों में फरियादिया के होस्टाइल होने पर कोई कार्रवाई नहीं होती। अभियोजन विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो ऐसे मामलों में अदालतें रुचि नहीं लेतीं, इस लिए झूठे केस बढ़ जाते हैं। पर अहम सवाल है कि अदालतोंं में इस समस्या को सामने कौन लाए? न तो अभियोजन ऐसे मामलों में कानून के तहत इश्तगासा पेश करता है और न वह पुरुष, जो थाने से कचहरी तक खुद को बेकसूर साबित करने में जी-जान लगा देता है।

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