- इधर न्यौते देकर पलक पावड़े बिछा रहे हैं… आसमान सर पर उठा रहे हैं… उधर
इंदौर , प्रियंका देशपाण्डे। जिन प्रवासी भारतीयों (Overseas Indians) को प्रधानमंत्री इंदौर (Indore) आने का न्योता दे रहे हैं, सरकार से लेकर प्रशासन तक पलक-पावड़े बिछा रहा है… आसमान सिर पर उठा रहा है… वहीं इस अपने शहर के प्रवासी भारतीय अपनी पैदाइश का प्रमाण मांगने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। महीनों से नगर निगम से कलेक्टर कार्यालय तक के चक्कर लगा रहे दो भाई और एक बहन को जिम्मेदारियों का बहाना बनाकर भगाया जा रहा है।
सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयों के लिए बड़ा आयोजन किया जा रहा है, जिसमें लगभग 4000 प्रवासियों को आमंत्रित किया गया है। इस आयोजन का न्योता खुद प्रधानमंत्री ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान दिया, वहीं हालत यह है कि अपने ही देश में बेगानों की तरह व्यवहार और अधिकारियों का रवैया देखकर शहर के प्रवासी भारतीयों का दिल टूट गया। वे 3 महीने से जन्म प्रमाण पत्र के लिए चक्कर काट रहे हैं। नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले 3 प्रवासी भारतीय इस प्रशासनिक व्यवस्था से परेशान हैं। नीदरलैंड में भूपेंद्रसिंह और ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहे कुबेरसिंह दो भाइयों की एक बहन सात से दस साल पहले अलग-अलग देशों में नौकरी के लिए इंदौर से गए थे।
करीबन 30-32 साल की उम्र के दोनों युवाओं का जन्म प्रमाण पत्र नहीं बना था। अब इन्हें जन्म प्रमाण पत्र की आवश्यकता लगी तो तीन-साढ़े तीन महीने से यह कलेक्टर, नगर निगम के चक्कर लगा रहे हैं। भूपेंद्रसिंह ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने नगर निगम में दस्तावेज जमा कराए, जहां से तहसीलदार के यहां जाने के निर्देश दिए गए, लेकिन तहसीलदार ने यह कहकर दोनों भाइयों को टरका दिया कि 10 साल से पुराने मामलों में तहसीलदार को जन्म प्रमाण पत्र जारी करने के अधिकार नहीं है। दोनों ने कल कलेक्टर इलैया राजा टी से मुलाकात कर परेशानी बताई।
दस साल से ज्यादा पुराने मामलों को लेकर कोर्ट ने निर्देश जारी किए हैं, उसके अनुसार काम कराया जा रहा है। मामले की जांच कर प्रवासियों को सुविधा मुहैया कराई जा रही है। मामला देर शाम मेरे संज्ञान में आने के बाद तीन में से दो लोगों का प्रमाण पत्र आज ही बनाया गया। तीसरे आवेदक कुबेरसिंह का प्रमाण पत्र पेंडिंग है।
-इलैया राजा टी, इंदौर कलेक्टर
इस तरीके का कोई आवेदन मेरे संज्ञान में नहीं आया है। यदि नियम में है तो जरूर मदद की जाएगी। आज मामला दिखवाता हूं। -धीरेन्द्र पाराशर, तहसीलदार, जूनी इंदौर