इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) इस समय कंगाली की कगार पर पहुंच गया है। यह किसी और नहीं बल्कि पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने ही माना है कि उनके कार्यकाल में मुल्क बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है।
विदित हो कि अक्टूबर माह में सऊदी अरब ने कहा था कि वह पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में 3 अरब डॉलर जमा कर रहा है, ताकि नकदी की तंगी से जूझ रहे इस देश को विदेशी मुद्रा भंडार के लिए मदद दी जा सके। सऊदी फंड फॉर डेवलपमेंट ने पाकिस्तान को विश्व बैंक (World Bank) से लेकर आईएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) तक हर जगह निराशा का सामना करना पड़ा है।
वहीं अब इमरान ने माना कि सरकार के पास देश चलाने तक के लिए पैसा नहीं है। इसलिए उसे विदेशों के सामने झोली फैलानी पड़ती है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए पीएम खान ने कहा कि बढ़ता विदेशी कर्ज और कम टैक्स रिवेन्यु राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है, क्योंकि सरकार के पास लोगों के कल्याण पर खर्च करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
‘ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के अनुसार, फेडरल बोर्ड ऑफ रिवेन्यु (FBR) के पहले ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम (TTS) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए इमरान खान (Imran Khan) ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे पास अपने देश को चलाने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है, जिसके कारण हमें कर्ज लेना पड़ता है’. बता दें कि TTS तंबाकू, उर्वरक, चीनी और सीमेंट सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रों के उत्पादन और बिक्री की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सुनिश्चित करेगा. पाक को उम्मीद है कि इससे व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और राजस्व वृद्धि में मदद मिलेगी।
इमरान खान यह जताना भी नहीं भूले कि देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति के लिए कहीं न कहीं पिछली सरकार और उसके मंत्री जिम्मेदार हैं. उन्होंने ब्रिटेन का उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान से 50 गुना अधिक आय वाले ब्रिटेन के मंत्री जब विदेश यात्रा पार जाते हैं तो पांच घंटे से कम की फ्लाइट के लिए वे इकॉनमी क्लास का उपयोग करते हैं।
पीएम खान ने आगे कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जब अमेरिकी यात्रा पर जाते हैं तो देश का पैसा बचाने के लिए यूएस स्थित यूके के दूतावास में रुकते हैं, लेकिन पाकिस्तान में, दुर्भाग्य से ये संस्कृति कभी विकसित नहीं हुई।
हमारे शासकों ने कभी लोगों को करों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने के उपाय नहीं किए. अपने इस भाषण से प्रधानमंत्री ने एक तरह से ये कहने का प्रयास किया कि मुल्क तभी आर्थिक संकट से बाहर निकल सकता है जब आवाम पूरी ईमानदारी से टैक्स भरे।
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