विदेश

भीख मांग रहा पाकिस्तान, शरीफ ने भी माना मुश्किल है बच पाना

नई दिल्ली: पाकिस्तान अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है. पड़ोसी देश का सरकारी खजाना खाली हो चुका है. आटा और अन्य खाने-पीने की चीजों की लूट मची है, लोग भुखमरी की कगार पर हैं. पाकिस्तान में महंगाई दर 24 से ज्यादा हो चुकी है तो राजकोषीय घाटा 115 फीसद पर पहुंच गया है. हालात ये है कि पाकिस्तान को मदद के लिए यूएई और सऊदी अरब जैसे देशों के सामने हाथ फैलाना पड़ रहा है.

इसी बीच पाकिस्तान में नरेंद्र मोदी का एक वीडियो बहुत वायरल हो रहा है. इस वीडियो में पीएम मोदी पाकिस्तान की हेकड़ी निकालने और कटोरा लेकर दुनिया भर में घूमने का जिक्र कर रहे हैं. आइए जानते हैं कि पीएम मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने के बाद साल दर साल पाकिस्तान की हालत कैसे बिगड़ी और कैसे पड़ोसी देश कंगाली की कगार पर पहुंच गया.

इमरान खान की पार्टी ने शेयर किया है वीडियो
पीएम मोदी का यह वीडियो इमरान खान की पार्टी पीटीआई के ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया गया, इसके बाद से पार्टी के अन्य नेताओं ने भी पाक के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को निशाना बनाते हुए इसे ट्वीट किया. हालांकि ये वीडियो 2019 आम चुनाव के दौरान का है, उस वक्त इमरान खान ही पाक की सत्ता संभाले थे. 15 सेकेंड के इस वीडियो में पीएम मोदी कह रहे हैं ‘हमने पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकाल दी, उसे कटोरा लेकर दुनिया भर में घूमने के लिए मजबूर कर दिया’

2015 से ही बिगड़ने लगे थे हालात
पीएम मोदी ने 2014 में देश की सत्ता संभाली थी और पाकिस्तान में 2015 से हालात बिगड़ने लगे थे. महंगाई दर की बात करें तो 2015 में पाकिस्तान की मुद्रास्फीति (Inflation) की दर 2.53% थी, 2016 में बढ़कर ये 3.77 प्रतिशत पर पहुंच गई थी. 2017 में इसमें आंशिक बढ़ोतरी हुई और 4.09% हुई लेकिन 2018 में महंगाई की दर 5.09 % रही. 2019 में इसमें रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी हुई और महंगाई दर 11% पर पहुंच गई. अगले दो साल इसमें आंशिक गिरावट तो हुई, लेकिन पाकिस्तान में महंगाई पर कोई प्रभाव नहीं हुआ. 2021 में पाकिस्तान में महंगाई की दर 9.50% थी जो 2022 दिसंबर तक 12.3% पर पहुंची और इस साल बढ़कर 24.5% फीसदी हो गई.


जीडीपी का 77% कर्ज
पाकिस्तान की जीडीपी में 2016 से लेकर अब तक आंशिक बढ़ोतरी हुई, लेकिन कर्ज लगातार बढ़ता रहा. 2016 में पाकिस्तान की कुल जीडीपी 313 अरब डॉलर थी और उसका कर्ज 61% था. 2017 में जीडीपी के मुकाबले कर्ज कुछ कम हुआ, लेकिन 2018 में ये 64.82% पर पहुंच गया. 2019 में इसमें रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी हुई और कर्ज जीडीपी 77.5 % पर पहुंच गया. 2020 में 79.56%, 2021 में 74.9% कर्ज रहा. 2022 में पाकिस्तान की जीडी 350 अरब डॉलर रही, इसके मुकाबले कर्ज 77.75% रहा.

डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहा पाकिस्तानी रुपया
2014 से पाकिस्तानी रुपये में भी लगातार गिरावट आ रही है, वर्तमान में 1 डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत 229 रुपये है. यदि 2014 की बात करें तो तब एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत 100.68 थी. 2015 में यह 105 पर पहुंचा. 2016 और 2017 में पाकिस्तानी रुपया थोड़ा संभला, लेकिन 2018 में फिर ये 138 तक पहुंच गया. 2019 में एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत 155 थी. जो 2020 में 160 हुई और 2021 में 178 पर पहुंच गई. 2022 में पाकिस्तानी रुपये की कीमत एक डॉलर के मुकाबले 209 पर पहुंच गई थी.

महंगाई का यह है आलम
पाकिस्तान में महंगाई का आलम ऐसा है कि वहां पिछले साल जिस प्याज के दाम 37 पाकिस्तानी रुपये थी वह अब 220 पर पहुंच गए हैं, इसके अलावा चिकन जो 210 रुपये बिकता था उसकी कीमत 384 रुपये से ज्यादा हो गई है. चना दाल 151 की जगह 228, मूंग दाल 172 की जगह 252, सरसों तेल 375 रुपये प्रति लीटर की जगह 533 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर बिक रहा है. ब्रेड के दाम 65 से 89 रुपये और दूध के दाम 115 पाकिस्तानी रुपये प्रति लीटर से 150 पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच गई है.

कर्ज मांगना शर्मिंदगी की बात
पाकिस्तान पीएम शाहबाज शरीफ ने माना कि कर्ज मांगना शर्मिंदगी की बात है, इसके अलावा पाक पीएम शाहबाज शरीफ ने पीएम मोदी को संदेश भेजा है. शाहबाज ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी को मेरा संदेश है कि ‘आइए मेज पर बैठते हैं और कश्मीर जैसे मसलों पर समझदारी से बात करते हैं’ यह बात शाहबाज शरीफ ने अरेबिया चैनल से साक्षात्कार में कही है. उनका ये बयान तब आया है जब पाकिस्तान भुखमरी की कगार से जूझ रहा है. पाक मीडिया पीएम मोदी की तारीफ कर रही है और भारत को ताकतवर मान रही है.

Share:

Next Post

अब राजनीतिक लड़ाई भारत की संस्थाओं और विपक्ष के बीच है - राहुल गांधी

Tue Jan 17 , 2023
होशियारपुर । कांग्रेस सांसद (Congress MP) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा कि अब राजनीतिक लड़ाई (Now the Political Fight) भारत की संस्थाओं और विपक्ष के बीच है (Is in between India’s Institutions and the Opposition) । पहले जो राजनीतिक लड़ाई होती थी वैसी लड़ाई अब नहीं है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने […]