नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी पिछले लंबे समय से केंद्र सरकार के लिए मुखर रहे हैं और सरकार की नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं. एक बार फिर उन्होंने सरकार पर निशाना साधा है. वरुण गांधी ने आज शनिवार को 432 मरीजों खासकर छह साल से कम उम्र के बच्चे के खतरे में पड़े जीवन को लेकर कहा कि दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित लोगों को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का आश्वासन देने वाली केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की इस योजना से अभी तक किसी भी मरीज को लाभ नहीं मिला है.
उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से इन भुगतानों को तुरंत मंजूरी देने का आग्रह करते हुए ट्वीट किया कि इलाज के इंतजार में 10 बच्चों की मौत हो गई है. मांडविया को भेजे पत्र में वरुण गांधी ने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों से ग्रसित मरीजों की जान बचाने के लिए 30 मार्च, 2021 को राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति, 2021 की शुरुआत की थी.
आश्वासन के बाद भी नहीं मिली मदद
उन्होंने कहा कि मई, 2022 में उसमें किए गए संशोधन के अनुसार दुर्लभ रोगों के मरीजों के सभी समूहों को इलाज के लिए 50 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने का आश्वासन दिया गया था. वरुण ने पत्र में लिखा है कि घोषणा के कई महीने बाद भी एक भी मरीज इस योजना का लाभ नहीं ले पाया है, जिससे “432 मरीजों, खासकर छह साल से कम उम्र के रोगियों की जान खतरे में पड़ गयी है.”
Last year, the govt assured financial assistance of Rs 50 lakh to every rare disease patient.
So far, not a single patient has benefited from this scheme. 10 children have died waiting for treatment.
I request Shri @mansukhmandviya to act immediately by clearing these payments. pic.twitter.com/6IcpFuNft0
— Varun Gandhi (@varungandhi80) January 7, 2023
उन्होंने कहा कि उनमें ज्यादातर बच्चे गौचर (gaucher) (प्लीहा और यकृत में कुछ खास वसीय पदार्थ का जमा होना), पोम्प (हृदय और कंकाल मांसपेशियों का बहुत कमजोर हो जाना), एमपीएस- वन (बच्चों की कोशिकाओं में शर्करा की असामान्य मात्रा) और एमपीएस-टू और फैब्री (इंजाइमों में त्रुटि) जैसे लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर (Lysosomal Storage Disorders) से ग्रस्त हैं.
208 बच्चों का इलाज तुरंत शुरू होः वरुण गांधी
बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय अंशदान मंच के अनुसार लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर के करीब 208 मरीजों का तत्काल उपचार किया जा सकता है, क्योंकि इनमें से अधिकतर रोगों के लिए भारतीय औषधि महानियंत्रक द्वारा मंजूर उपचार भारत में कई सालों से उपलब्ध है.
उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत स्थापित 10 सेंटर्स ऑफ एक्सेलेंस (COE) ने मंत्रालय से कई बार स्मरण पत्र भेजे जाने के बाद भी दुर्लभ बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए अभी तक वित्तीय सहायता की मांग नहीं की है. उन्होंने कहा कि दुर्लभ रोगों के मरीजों के लिए काम कर रहे संगठनों के अनुसार आधे से अधिक सीओई ने स्वास्थ्य मंत्रालय को एक भी उपचार अनुरोध नहीं भेजा है.
वरुण गांधी ने कहा, “10से अधिक बच्चे इलाज की बाट जोहते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं. इसलिए मैं अनुरोध करता हूं कि सीओई में इन 208 बच्चों का तत्काल उपचार शुरू किया जाए.”
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