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श्रीलंका में टैक्स बढ़ोतरी के खिलाफ कोलंबो की सड़कों पर उतरे लोग, किया विरोध प्रदर्शन

कोलंबो । आर्थिक तंगी (Economic Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) के लोगों को नए राष्ट्रपति (new president) मिलने के बाद भी उनकी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. श्रीलंका के लोग पिछले 70 सालों में सबसे खराब वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं. अब श्रीलंका में एक बार फिर विरोध-प्रदर्शन (Protest) शुरू हो गए हैं. श्रीलंका के सबसे बड़े शहर कोलंबो (Colombo) में बुधवार को सैकड़ों लोगों ने टैक्स बढ़ोतरी (tax hike), मुद्रास्फीति और लोगों के खिलाफ शासन-प्रशासन के दमन के विरोध में मार्च किया.

इस मार्च का आयोजन सरकार का विरोध कर रहे विपक्षी दलों, ट्रेड यूनियनों और सामाजिक संगठनों ने संयुक्त रूप से किया था. प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने शहर के उस इलाके में पहुंचने की कोशिश की, जहां राष्ट्रपति का घर और दूसरे कई मंत्रालय हैं. लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां पहुंचने से रोक दिया.


बता दें कि श्रीलंका इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड कमी के चलते गहरे वित्तीय संकट की चपेट में है. इसके कारण ही यहां पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस समेत खाने-पीने की चीजें और दवा भी कई गुना महंगी हो गई हैं. श्रीलंका को इंपोर्ट किए जाने वाले सामान के बदले भुगतान करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है.

इस साल जुलाई में ही व्यापक विरोध के प्रदर्शन के बाद पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर भाग गए थे. प्रदर्शनकारियों के उनके कार्यालय और आवास पर धावा बोलने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. उनके उत्तराधिकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे 14 नवंबर को अपना पहला बजट पेश करने जा रहे हैं. इस बजट में देश की जर्जर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 2.9 अरब डॉलर का कर्ज हासिल करने के लिए इस बजट में लोगों पर भारी टैक्स वृद्धि की जा सकती है.

संकट के बीच श्रीलंका में ऐसे बंटा था ईंधन
श्रीलंका में जारी संकट के बीच ईंधन वितरण भी नए तरीका से किया गया था. इसके मुताबिक, आईडी कार्ड दिखाने पर एक सप्ताह में एक वाहन चालक को दो बार तेल दिया जाता था. गाड़ी का चेसिस नंबर और अन्य डिटेल वेरिफाई होने पर क्यूआर कोड आवंटित किया जाता था. इस क्यूआर कोड से ईंधन भरने के लिए नंबर प्लेट के अंतिम अंक के अनुसार सप्ताह के 2 दिन तेल दिया जा रहा था.

60 लाख लोगों ने झेला खाद्य संकट
गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में 60 लाख से अधिक लोगों के सामने खाने का संकट पैदा हो गया था. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के हवाले से कहा गया था कि श्रीलंका की 28 प्रतिशत से अधिक आबादी को खाद्य संकट से जूझना पड़ा. दावा किया गया कि ये स्थिति और खराब हो सकती है. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) ने भी एक रिपोर्ट में कहा था कि देश में 63 लाख लोग यानी 28.3 प्रतिशत आबादी के सामने खाने का संकट है. अगर स्थितियां नहीं सुधरीं तो ये संकट और बढ़ सकता है.

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